मारवाड़ी कविताएँ--
जोधपुर मारवाड़ में वीर रस की डिंगल और पिंगल काव्य की प्राचीन परंपरा रही है. मारवाड़ के महाराजा अपने आश्रित और अन्य कवियों को भरपूर संरक्षण और प्रोत्साहन प्रदान करते थे. मारवाड़ के चारण और भाट कवियों ने एक से बढकर एक छंद, कविताएँ, मर्सिये लिखे है. इस ब्लॉग के माध्यम से कुछ काव्यों को संगृहीत कर प्रकाशित किया जा रहा है. इसमें लेखक की कोई मूल कविता नहीं है.
इन सामग्रियों को काफी मेहनत से संगृहीत कर 2014 से पोस्ट किया जा रहा है.
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- कोडमदेसर भैरुंजी रा छंद-
- गीत त्रिकुटबंध करनीजी रो
- छुपेडो
- अड़ियो दिल्ली आंगणै
- शीश बोरलो, नासा मे नथड़ी
- गीत त्रिकुटबंध करनीजी रो
- तेजाजी की विरासत
- आपणी संस्कृति
- तेजा गीत
- दर्द गोडा रो..एक राजस्थानी हास्य कविता
- गण तो फायो
- पैला वाल़ा भाव कठै छै!
- हे रुनिचे रा धणिया
- तूं ई है भरम में
- जुद्ध
- देख सके तो आज देख ले
- बरसाल़ै रो गीत चित इलोल
- देख सके तो आज देख ले
- आजादी
- आपणां बडेरा
- इस्कूल भोत बदळीजग्या
- नीं मिल़िया चार मिनख!!
- गोगा गुणमाल़ा
- सावण आयो सायबा, हियो हिलोरा खाय।
- आ रे म्हारा समपमपाट!
- मातृभाषा
- राजस्थानी भाषा में एक व्यंगात्मक हास्य कविता
- सौगड़ सोनो सेर कठै
- बातचीत री डोर
- तीज पर्व पर छन्द
- तरस मिटाणी तीज!
- कसलै कमर
- साला 25 साल इंतजार करणो
- राखड़ी रो नेग !
- खोपड़ी घूम जावे अंदाता
- आँखड़ल्या में नीर भरयो
- किकर हाला रे थाहरोडै़ देश मे।
- हंसा!इती उतावल़ कांई
- 'ऊम' रा दूहा-
- संभाळ लेई
- देश भगती री जगमगती जोतःक्रांति रा जोरावर
- चूडीया
- एक शिक्षक....
- कलमां री ताकत रै आगै
- छोरो दांतलो
- मत देख मिनख री रीत पंछीड़ा
- म्हारै देखतां -देखतां गमग्यो गांम!
- मित्रता
- नीं लागै अठै कोई तीज!
- अंतस रो ऊजास दीकरी
- रिपियो
- फिङकला
- गेल सफी कठई की.........
- कद ऊगेला थोर में हाथ
- मुंडै चाती अर छाती राखो
- की आदमी स्यूं किंया बात करणी चाईजै ..
- मत दे इतरा धता रामजी !
- अब्दुल कलाम रा मरसिया ....
- माण मिटाणा मीत-गिरधरदान रतनू दासोड़ी
- सीए
- सुरराज करी गजराज सवारिय-गिरधरदान रतनू दासोड़ी
- हर काम उन्दो वेईरो
- म्हारो चतर हार गयो।
- आपणां बडेरा
- जापा
- पीली धरती पथवाली..
- मारवाड़ी कविता
- छानो कोनी रेवै...
- राजस्थानी में वर्षा अनुमान
- मारवाड़ी जोड़ो
- राजस्थान की कुछ पुरानी कहावते
- पाडो
- करम खोडला बण्या सूल्डा,
- रोजीने अठिनकर ही ......
- करम खोडला बण्या सूल्डा,
- इंतजार चौमासा रो,
- चेतक पर चढ़ जिसने , भाला से दुश्मन संघारे थे...
- मायड़ थारो वो पुत कठे?
- गाँव री याद
- मारवाङी की तपस्या
- कर करुणा कर जोड़
- मारवाड री ऐ सीखण जेडी बातों।
- चुमट्या
- Proud to Be A Rajasthani
- बाळेसर री खाणिया
- डोडी रै बिन डील
- Jodhpur jodhpur jodhpur,,,
- राजपूती दोहे ( - ठा फ़तह सिंह जसौल)
- जोधपुर माते भरोसो
- गल़ी -गल़ी गल़गल़ी क्यूं छै!-
- प्रीतम घरां पधार ....
- लोकदेवता तेजाजी
- देख सके तो आज देख ले
- बाबा रामदेव जी द्वारा भैरव राक्षस वध कथा
- श्री हिंगलाज देवी की स्तुति दोहा
- महान_वीर_स्वामिभक्त : दुर्गादास राठौड़
- कैसे हमारे पूर्वज बरसात के अनुमान लगाते थे..
- कठु लावणा
- नारायणदानजी बांधेवा री हिंदी कविता रो राजस्थानी उथ...
- अरजी
- हीरो
- एक क्षत्रिय
- चौमासो
- फोड़ा घणा घाले
- जंगी गढ जोधांण
- नारियल वदारियो
- त्रिपोलिया मायने
- मारवाड़ी मिनट आँधी अकाल जमाने आदी हैं
- फलका खाणां
- मरण सारथक मांन।।
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