बरसात के बाद नेट चलाना हुआ मुश्किल ....
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क्योंकि घरवाले बोलते है" बंद कर थारै ठीकरै ने फिङकला
आवैं "
काळी- काळी उमड़ी कांठळ डॉ मदन सिंह राठौड़ काळी- काळी उमड़ी कांठळ, धवळा- धवळा अहो! धोरिया। गुडळा- गुडळा भुरज गहरावै, गैरा - गैर...
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