अबार रै कवियां री कलम में कितरी ताकत है ?इणरै अनुमान रो दाखलो अजै सुणण में नीं आयो पण आपांरी आगली अर इणां सूं पैलड़ी पीढी रै कवियां री कलम में कितरी ताकत ही इणरा फगत तीन दाखला आपनै देय रैयो.हूं। 1 महाकवि पृथ्वीराजजी राठौड 'पीथल' 2कवि भूषण सूर्यमल्लजी मीसण 3,कवि पुंगव केशरीसिंहजी बारठ री वाणी रै पाणी सूं आप परिचित हो -
कलमां री ताकत रै आगै-गिरधरदान रतनू दासोड़ी
कलमां री ताकत रै आगै,
पड़गी ही तरवारां काची।
इतियास बदल़ियो आखरियां,
भरर्यो है हामल़ जग साची!
वनखंडां थकग्यो नाहर बो,
बगतर जद.ढीलो पड़गयो।
आडावल़ अडर रुखाल़णियो,
खावणियो भाला लड़थड़ग्यो।
सुखवाल़ी रातां रै सपनां ,
लागा जद पातल नैं आवण!
भूरड़ै भाखर री भुरजां,
लागी जद बांठां री ताटी अल़खावण!
काकरिया कामण रै गडता,
फूलां रै कांटां बै चुबता।
जद मेवाड़ी राण़ डगमगियो,
दुखड़ा बै अंतस में चुबता।
स्याल़ां रै हाथां आजादी,
नाहर जद बेचण री धारी!
दिल्ली नै मेलण परवानो,
लीनी उण कलमां मन भारी!!
पीथल उण जांगल़ में सुणियो,
थाहर में नाहर लुक जासी!
माथो इकलिंग रै पायक रो,
अकबर रै आगै झुक जासी!!
आखर जद पीथल रा पूगा,
पाखर उण घोड़ां पर घाती।
भाखरियां सारु बो लड़ियो,
सुणियां ई फूलै.है छाती।
पीथल नै पातल अमर है,
वाणी बा अंतस में राची।
कलमां री ताकत.....1
मतवाल़ा भूल्या गौरव नैं,
घट -घट सूं रजवट रीत गयो।
हाथां में प्याला दारू रा,
बातां में जोबन बीत गयो।
छापल़िया सूरा धरती रा,
दापल़िया हेठा बैठ गया।
टोपी रा मालक बै आया,
जोपी नै आसण बैठ गया!!
लाठी री ताकत सूं लाटां तो,
लांठां नैं छेकड़ फोर लिया।
मरणै री हाटां बंद होई,
टाटां जिम गोरां टोर लिया।
घर-घर में लुकिया मूंछाल़ा,
धर रा जो रखवाल़ा होता!
दर -दर रा होयग्या घण दाटक,
झुरझुरियै महलां नैं जोता!!
जामणियां देती फिटकारा,
कसमसती कामणियां ज्यांरी।
हीणप सूं बैठ्या हार्योड़ा,
उठती नीं आंखड़ियां वांरी!
बुझतोड़ै दीपक घी घालण,
रीत्योड़ो जोस जगावण नैं।
सूरजमल रचिया आखरिया,
अंतस सूं बीह भगावण नैं।
वीरां रो भूसण बिन दूसण,
मीसण री सतसईया साची।
कलमां री ताकत....2
फतमल नैं पूगो संदेसो,
दिल्ली में भूपत सह जुड़सी!
दरबार लगैलो करजन ऱो,
आणो तो राणै नैं पड़सी!!
गोरां रै हाथां राणै नैं,
कूरब बो तारै रो मिलसी!
भूरां रै रचियै इण तोतक,
कुर्सी बा दिल्ली री खिलसी।
पुरखां री मेटण मरजादा,
करजन सूं भेटण राण बुवो!
गफलत में गाहड़ रो गाडो,
दिल्ली में हाजर आण हुवो!
केहर रै कानां भणक पड़ी,
मरजादा मिलसी माटी में!
हिंदवाणी सूरज साचाणी,
आथमसी हल़्दीघाटी में!!
रीतां बै लुपसी रजवट री,
लागोड़ो काजल़ नीं लुकसी!
धुपसी बा कीरत मेवाड़ी,
फिरंग्यां नैं फतमल यूं झुकसी!!
चूंगटिया लिखबा चेतण रा,
गूंजी जद वाणी बारठ री!
भणकार पड़ी जद राणै नैं,
खुलगी बै आंख्यां झट भट री!!
चाली जद कलमां केहर री,
हल़वल़ बा करजन रै माची!
कलमां री ताकत..3
गिरधरदान रतनू दासोड़ी
शनिवार, 13 अगस्त 2016
कलमां री ताकत रै आगै
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
HISTORY OF JODHPUR : मारवाड़ का संक्षिप्त इतिहास
Introduction- The history of Jodhpur, a city in the Indian state of Rajasthan, is rich and vibrant, spanning several centuries. From its o...
MEGA SALE!!! RUSH TO AMAZON
-
राजस्थानी भाषा में एक व्यंगात्मक हास्य कविता कलयुग में भगवान एक, ''खिलौनों बणायो। दुनियावाला ई को नाम मोबाइल ...
-
राजस्थान की कुछ पुरानी कहावतें राजस्थानी में वर्षा अनुमान: ☃☔ आगम सूझे सांढणी, दौड़े थला अपार ! पग पटकै बैसे नहीं, जद मेह आवणहार !! ..सा...
-
राजपूती दोहे ( - ठा फ़तह सिंह जसौल) •» ” दो दो मेला नित भरे, पूजे दो दो थोर॥ सर कटियो जिण थोर पर, धड जुझ्यो जिण थोर॥ ” मतलब :- •» एक रा...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें