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शुक्रवार, 26 अगस्त 2016

आ रे म्हारा समपमपाट!

आ रे म्हारा समपमपाट!-

गिरधरदान रतनू दासोड़ी
आ रे म्हारा समपमपाट!
हूं तनै चाटूं तूं म्हनै चाट!!
म्हारी चुगली तूं मत खाजै!
हुं नीं करसूं थारी काट!!
मिल़ियां मिल़सी माल मलिदा!
लड़ियां घर में लूखी घाट!!
म्हारो तूं नै,थारो हूं तो!
दुसमण री लागै नीं झाट!!
तूं म्हनै ढकजै,हूं तो ढकसूं
ऊबरसी दोनां री टाट!!
मरसी दूजां तिरसां  आपां!
भोगेला घर टाबर थाट!!
भाई म्हारी बात समझियां!
सत्ता री बिणलां ला खाट!!
तूं तो काढ राम नैं गाल़ां!
म्है कैसूं रहमाणो घाट!!
चितबगनो तो जण-जण.होसी
आ फससी आपां रै पाट!!
आधा थारै, आधा म्हारै!
मतोमती आ जासी फाट!!
म्हारी सीख बैवेलो बंधु!
खेत लेवांला सुदियां लाट!!
समझणिया तो रोता रैसी!
आपां दोनूं एकण वाट!!
गिरधरदान रतनू दासोड़ी

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