Translate

सोमवार, 8 अगस्त 2016

मित्रता

गजल-गिरधरदान रतनू दासोड़ी
मित्रता
है खांडै री धार मित्रता।
सबसूं उत्तम कार मित्रता!!
रथ हांकै नै पग धो देवै।
सँभल़ै डग -डग लार मित्रता!!
डिगतै नैं कांधो दे ढाबै।
निज भुज लेवै भार मित्रता!!
बढती -घटती नहीं चांद ज्यूं।
सुख-दुख में इकसार मित्रता!!
तन-मन-धन सब  अर्पण करदे।
लालच स्वारथ मार मित्रता!!
छल़ -बल़ साम्हीं तणनै ऊभै।
दृढता रै हद द्वार मित्रता!!
गुडल़ो बादल़ वणनै वरसै।
बल़ती छाती ठार मित्रता!!
जीत मित्र री सिर स्वीकारै।
खुशियां पल्लै हार मित्रता!!
ज्यूं -त्यूं बेड़ो पार लगावै।
नीं छोडै मँझधार मित्रता!!
जिणसूं जुड़ग्यो जड़ीजंत बो।
मन सूं मन रो तार मित्रता!!
जात -पांत नै धर्म धजा सूं।
रैवै  निरभै बार मित्रता!!
ऊंच -नीच रै भरम न झूलै।
भेद मरम नै पार मित्रता!!
पद रै मद नैं रद वा करदे।
सदरै गुण वा सार मित्रता!!
परस बादल़ रो पा उर विकसै।
हर दिस थोथी थार मित्रता!!

गिरधरदान रतनू दासोड़ी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

काळी- काळी उमड़ी कांठळ

काळी- काळी उमड़ी कांठळ            डॉ मदन सिंह राठौड़ काळी- काळी उमड़ी कांठळ, धवळा- धवळा अहो! धोरिया। गुडळा- गुडळा भुरज गहरावै, गैरा - गैर...

MEGA SALE!!! RUSH TO AMAZON