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मंगलवार, 26 अगस्त 2025

काळी- काळी उमड़ी कांठळ

काळी- काळी उमड़ी कांठळ
       
   डॉ मदन सिंह राठौड़

काळी- काळी उमड़ी कांठळ,
धवळा- धवळा अहो! धोरिया।
गुडळा- गुडळा भुरज गहरावै,
गैरा - गैरा रे ! गाडरिया।।
घुमराळी घणघोर घटावां,
भरियै भादरवै भुरजाळी।
नखराळी चमकै आभै में,
बडभागण बिरखा रूपाळी।।

उतर दिशा में आज कळायण,
गुडळा बादळ गरज रैया।
कर- कर करसा कोड अणूंता,
भुरज भूरोड़ा निरख रैया।।

काळी कांठळ आभ ऊमटी,
झब-झब बीजळ पळका करती।
गीत - प्रीत रा गावै बिरखा,
झिर-मिर झिर-मिर हिवड़ौ हरती।।

घट कड़ियां ऊंचायां ऊभी,
नभ-पथ सूं धर पर ढुळकावै।
आ पणिहारी! प्रीतम प्यारी!
व्योम-विहारी! इम मुळकावै।।

धोरां नै वा नेह धपाती,
प्रीतड़ली पलकां पसरावै।
हिवड़ै हेत लियोड़ौ ऊंडी,
बिरखा-रमणी रमती आवै।।

अंबर सूं उतरी वा अपसर,
लाडां-कोडां हरख बधावै
गाजां - बाजां गौरव गूंजै,
चपला चहुंदिश में चमकावै।।

पुहुपां पर मंडराया भंवरा,
दादुर डह- डह डहकाया।
कांठळ-वनिता रै स्वागत में
जळ-पांखी री झूमै काया।।

खमा! खमा! खेजड़ियां ऊभी,
आकड़िया लुळ-लुळ पग लागा।
कांठळ - धण रौ कोड करंतां,
भल धोरड़ियां भाग'ज जागा।।

तरुवर-शाखां माथै खग-दळ,
गीत हेत रा मन सूं गावै।
टूंकै - टूंकै मोर टहूकै,
हरियल धर ई पलक बिछावै।।

आज धराऊ सूं अधरातां,
कांठळ- कंता धर पर आई।
तीर तळायां नीर खळकियौ,
पाळां सरवर री छळकाई।।

आ धर उतरी होळै- होळै
पीळोड़ा पल्ला पळकाती।
ठुमक-ठुमक चालै है गजबण,
म्रगनैणी ! वैणी लटकाती।।

कांठळ- रांणी झींणै घूंघट,
नैण झुकाती मन सरमावै।
कटि लचकाती मंथर गत रव,
पायलड़ी पग में झणकावै।।

मंद- मंद मधरी मुस्काती,
रमणी आंगण रास रचावै।
इणनै निरख-निरख इंदर रौ,
अमरापुर में जी ललचावै।।

काळा-काळा केश घुंघराळा,
भाखरियां ऊपर लहरावै।
आंख-मिचौली खेलै बिरखा,
पलकां पर पांणी छळकावै।।

तीन लोक में अनुपम रमणी,
नखराळी थूं सबसूं न्यारी।
रति- पति रौ मनड़ौ झूमै,
थारी सुंदरता सबसूं प्यारी।।

रे! धण, मनरंजण, रे! चपला,
रे! नटखट, रे! सुरपुर बाला।
किण कारण तूं देवलोक तज,
धरा-लोक पर करै' ज चाळा।।

बालम रै गळ- बांहां भरती,
बिरखा-बीनण मन महकावै।
मनमेळू सूं मिळतां- मिळतां,
तन-मन गीत- प्रीत रा गावै।।

आज रति सरमाई सुरपुर,
कांठळ आगळ फीकी लागै।
इणरी सुंदरता रै कारण,
कामदेव पण लारै भागै।।

किण सिरजी रे! थनै वनिता,
किण पण खांत करी है थारी?
तीन लोक में रे वडभागण,
किण सुंदरता आपी भारी?

डहकै डेडर, मोर टहूकै,
सरवर - तरवर मन सरसावै।
प्रीत हिंयै पसरावै प्रीतम,
हरियल- हरियल वसु हरसावै।।

रिमझिम बूंदां सांवण बरसै,
पुहुमी रा पट भींज रिया।
मधरौ मौसम मन मुळकावै,
गुडळा बादळ गरज रिया।।

पांणी बरस रह्यौ परनाळां,
खळखळ खाळा खळक रैया।
नेही नाळा तालरियां में,
जळधारा बण छळक रैया।।

मेघ बरसतां अंबर मुळकै,
मुळकै है धरती धोरां री।
मुळकै है मांणस मुरधर रा,
मुळकै है बेल मतीरां री।।

प्रीत- जळ भरियोड़ी बेवै,
पालर पांणी री परनाळां।
धारो - धार बरसियौ अंबर,
नीर खळकियौ खाळां-नाळां।।

रळियांणा रूपास रूंखड़ा,
हरियाळा हिंवळास हरखिया।
करसां रै कंवळास काळजै,
बादळ सावण मास बरसिया।।

पीव - पीव चातक पुकारै,
बादळ मझ पळकै बीजळियां।
हिवड़ौ हरख हिलोरां लेवै,
तरु-डाळां हींडै तीजणियां।।

चौमासै हरियाळी छायी,
आलीजां रै अंतस भावै।
बिरखा आवै जांण बीनणी,
पेलै सांवण पीहर जावै।।

धरा सुरंगौ वेस प्हैरियौ,
बाजरियां मुरधर लहरावै।
करै निदांण कोड सूं करसा,
हरियल खेतां मन हरसावै।।

प्रीत पसरगी पालर पांणी,
मुरधर री ढांणी- ढांणी में।
अवनी रै ऊजळ आंगण में,
पंखियां री बांणी-बांणी में।।
               
              

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