नारायणदानजी बांधेवा री हिंदी कविता रो राजस्थानी उथल़ो-
*कविता*
कोरी मोहरा मेल़ कै
तुकां रा भेटा करावण ई
नीं है कविता!
मात्रावां री गिणत कै
मात्रावां रो सही माप जाणणो
ई नीं है कविता!
अलंकारां री छटा
कै चोकड़िया,तिकड़िया ,दुकड़िया
अनुप्रासां रो उपयोग रो आंटो
आ जावणो ई नीं है कविता!
कविता पढण री जुगत
उटीपी बाण कै
कविता जोड़णी
आ जावणी ई नीं है कविता!!
अर नीं इण आंटै रै पाण
कवि बणण रा
कांटा घालणा मनमें!
!इण तजबीज सूं ई
कोई नीं हो सकै कवि !!
इणसूं पैला ओ ई जाणणो
जरूरी है कै
है कांई कविता!!
कविता वा हुवै है
जिकी पाठक कै श्रोता रै
मर्म नै भेद देवै !
कांई आप मानो कै
कविता फखत आपरै
अंतस में कै आपरै
इण कागजां रै चिमठियै में
लिपटियोड़ी ईज है!
नीं !
ओ कोरो- मोरो
आपरो भ्रम है!
कविता रो विगसाव
अनंत तक हुवै है।
आ आपरै ,म्हारै कनै कै
गांव गल़ी गवाड़ रै
ओल़ै.दोल़ै नी रैयर
देश काल री सीमावां सूं
परिया हुवै है !
कविता रो काम
भांगै -तोड़ै
कै सांग बिगाड़ै रो नीं.है!
कविता संघठन कारक हुवै है!
कविता रो काम किणी नै
डाफाचूक कै
चितबगनो करण रो नीं है!
कविता तो सूंई राह बतावै
भूल्यै नै मारग लावै!
हां ,आ बात आपरी
सोल़ै आना सही है कै
कविता कवि मनरंजणी हुवै है!
आ ई सही है
कै मरियै में प्राण
अर डरियै में जोश
भरण रो काम करै है कविता!!
हां ,आ ई सही है कै
बिछड़ियां रो मिल़ाप
अर लड़ियां रो जुड़ाव ई
करावै है कविता!!
कांई आप कविता नै
फखत हरिकीर्तन ई मानो हो?
नीं, आ मत मानजो!
आ आपरी भोल़प है
हरिकीर्तन नीं है कविता!!
कविता तो मोटै मन री
ओल़खाण है!
मन रो कालास
धोवण री खल़कती गंगा
अर अभिमान रै थोथै बादल़ा नै
छांटण रो एक झीणै वायरै रो अहसास है कविता!
मत घड़ो कविता री
आप नवी नवी.
मनकथी परिभाषावां!!
उथल़ो -गिरधरदान रतनू दासोड़ी
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