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शुक्रवार, 4 अगस्त 2017

साभार फैसबुक वॉल सूं

*परम श्रद्धेय ठाकुर नाहरसिंह जी री अमोलख टीप म्हारी किताब माथै ।साभार इणांरी फैसबुक वॉल सूं*
*अंतस सूं आभार महेंद्रसिंह जी खिड़िया रो*

श्रद्धेय श्रीमांन गिरधरदानसा रतनू ;

आज आईदांनसिंहजी भाटी ,अर महेन्दरसिंहजी खिड़िया मिलण तांई पधारिया ।

साथै हीरा माेतीयां सूं जड़ी आपरै भेजायाेड़ी एक पाेथी  "ढळगी रातां;बहगी बातां  " म्हनै बक्शाई  ।माथै चढाई ।

आप याद करायो इण वास्तै आभार ।वांरै पधारियां पछै पाेथी पढी ।आणंद आय गयाै ।आप आ पाेथी लिख घणाै उपकार रो कांम करियो ।जूनी बातां सजीवत व्हेगी अर आण वाली पीढी तांई सीखण सारूं अलेखां बातां आप वां  वास्तै उपहार रै रूप में दे दिराई ।यां बातां री इण बदलता समय में नुई पीढी नै घणी जरूरत है ।

वे लखीणा मिनख गया परा ;बातां लारै रैह गई :--

नांम रहंदा ठाकरां ,नांणा न्ह रहित ,
कीरत हंदा काेटड़ा,पड़्या न्ह पडंत !!

की बत्थां घण जाेड़ियां,ना चल्लै सत्थांह ,
एतां री बातां अमर, जुगां रहसी कत्थांह,!!

आपने एकर फेर अंतस सूं आभार ।एकर पढणी शरू कर पूरी बांच नै नैछाै करियाै ।बहुतहीज फूटराे उपहार आप समाज नै दिरायाै जिण
री लख लख बधाई ।बस आपताै एहड़ी अमाेलक बातां लिखताईज रैहवाड़ाै ।

घणै मांन ,जय मा करणी।

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परम श्रद्धेय ठाकर साहब!
सादर
आप इण बातां रा प्रेरक पुरस हो। आप ई आदेश दियो कै म्है लिखतो रैवूं अर आ ई प्रेरणा पुस्तकाकार में आपरै हाथां में।
आपरी मेहरबानी सदैव री गत म्हारै माथै बणी रैसी।

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