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शुक्रवार, 17 जून 2016

छानो कोनी रेवै...

*एक राजस्थानी हास्य कविता*

दर्द गोडा रो..
संग डोडा रो..
स्कुटर होन्डा रो...
*छानो कोनी रेवै....*

खायडो खिचड...
चिपेडो चिँचड...
आदत को लिचड...
*छानो कोनी रेवै...*

घराँ बाजेडा सोट...
छिटकायडा होठ...
जाटणी रो रोट...
*छानो कोनी रेवै...*

माँगेडा बूँट...
खायडी सूँठ...
पावलो ऊँट...
*छानो कोनी रेवै...*

फौजी की फीँत...
भोपी रो गीत...
झुठी प्रीत...
*छानी कोनी रेवै....*

आँधी आती..
गाँव का बराती..
मतलब को साथी...
*छानो कोनी रेवै....*

भाँग खायडो...
दारू पीयेडो..
अर माँ को बिगाडेडो...
*छानो कोनी रेवै....*

*आर के छंगाणी*

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