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शनिवार, 25 जून 2016

हॉस्यां हीयौ खिलै

***** हॉस्यां हीयौ खिलै *****
*  ऊनाळा रा दिनों में एक मिठाई वाळौ मिठाई री दुकान माथै बैठो हो । गिराक नी आवण सूं दुकान माथै बैठो बैठो उबासियाँ खा रियौ थो ।ऐक मारवाड़ी उण दुकान रै आगै सूं निकळतौ मिठाईवाळा नै ऊबासी खावतौ दैख नै पूछियौ --- " सेठजी ! ऊबासियां कांई खावौ ?
सेठजी बोल्या --- " तो पछै काई खावौ ? "
मारवाड़ी बोल्यौ --- " मिठाई खावौ कोनी । आ घणीं पड़ी है नी । "
सेठ जी बोल्या --" कयूं ? म्हारै टाबरियौ नै रूळावणा परा ?"
मारवाड़ी बौल्यौ --- " आप अठीनै आवो । मन्नै मिठाई खावण दो । मिठाई खावणां सूं टाबरिया रूळता होवै तो म्हारा टाबरिया छो रूळता ।"
सेठ उण मारवाड़ी रो मुंडों दैखतो रियौ ।

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