राज री गोळयाँ बण निशाणो,
म्हारो चतर हार गयो।
मायड़ हिवड़े हुक छोड़ क
बेटो स्वर्ग सिधार गयो।।
कद तांई इस्यो ही राज चाल सी
कद तांई चिता में आग लाग सी।
बेटा री अर्थी न कद तक
बूढ़ा बाप रा कन्धा लाग सी।।
माँ बापां री पोळ्यां कर सूनी
घर रो तो हकदार गयो।
राज री गोळयाँ बण निशाणो,
म्हारो चतर हार गयो।।
किण कसूरां छाती धसिया
तीर दंश रा राजां रा।
बिना कसुरां मिल्या मौत सूं
पूत पळेड़ा नाजां रा।।
बिन बीजायो तो खेत छोड़ क
खेत रो सांझेदार गयो।
राज री गोळयाँ बण निशाणो,
म्हारो चतर हार गयो।।
भरी जवानी देख्यो क्यों ना
ना देखी दुनियांदारी न
घरां रोवंती मायड़ छोड़ी
छोड़ी बहन बिचारी न।
कुळ रो कुळ दीपक बुझगयो।
बाप रो लठ्ठेदार गयो।
राज री गोळयाँ बण निशाणो,
म्हारो चतर हार गयो।।
भायाँ रो तो भाई बिछड़ग्यो
बहण धीरजड़ो खोवाण लागी।
आकाशं सूं आसूँ टपक्या
धरा थार री रोवण लागी।।
छाती लाग्यो शेल राज रो
खाली नी कोई वार गयो।
राज री गोळयाँ बण निशाणो,
म्हारो चतर हार गयो।।
न्याय करणीया अन्यायी बणग्या
खून सूं रंगली वर्दी न।
झुक्यो तराजू इंसाफी
ख़ारिज करदी अर्जी न।।
चाली वाड़ो आयो राज रो
जनता रो स्वीकार गयो।
राज री गोळयाँ बण निशाणो,
म्हारो चतर हार गयो।।
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