प्रीतम घरां पधार ....
Ratan singh champawat:
चटक चंचला चाँदनी धवल रूप रस धार
कंत उडीकै कामणी प्रीतम घरां पधार
कंचन वरणी कामिनी रो़य रोय रतनार
विरह रोग विपदा विविध प्रीतम घरां पधार
सेजां नीं है सायबो सूनो सब सँसार
आप बिना हूँ अेकली प्रीतम घरां पधार
जड़ चेतन जंगम जबर. जीवा जूण जुग सार
सायब बिन सूना सकल प्रीतम घरां पधार
आप तणों अवलम्ब है आतम रूप आधार
निज रूप निराकार व्है प्रीतम घरां पधार
प्रीतम प्रीत प्रभाव प्रण प्रीत प्रबल प्रहार
प्रीत रीत पहचान पुनि प्रीतम घरां पधार
दैवरूप दुनियांण दर दरस देय दातार
प्रीत पुरातन पाळ पण. प्रीतम घरां पधार
अवल अलख आराधना अमित अनंत अपार
आखर आखर अवतरों प्रीतम आप पधार
©®@ रतन सिंह चाँपावत रणसी गांव कृत
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