सेवा देश समाज हित,
ज्यां मर करी जहांन।
ज्यांरो ई इण जगत में,
मरण सारथक मांन।।1
माता जिम ही मातभू,
ज्यां मन दीधी जांन।
अमर आज इल़ ऊपरै,
मरद जिकै ई मांन।।2
जिण माटी उपज्या जिकै,
उण रो खाधो अन्न।
उण हित वां तो आपरो,
तिल तिल समप्यो तन्न।।3
मात -धरा मोटी मनी,
दिल निज छोटी देह।
ऊ सब चोटी ऊपरै,
लाख मुखां जस लेह।।4
मन वंदे कर मातरम,
जिकै गया फँद झूल।
जिंदो राख जमीर नै,
भावै ई मत भूल!!5
डर तज वां देश हित,
झट ली फासी झेल।
जात-पांत सबसूं जिकै,
ऊपर नर अजरेल।।6
बेड़ी काटण वतन री,
बदन कियो बलिदान।
वांरो निसदिन बांचणो,
गौरव हंदो गान।।7
श्रद्धा बढै मन सिमरियां,
सुजस सूरां रो सत्त।
विमल़ हुवै वाणी वल़ै,
कथियां कीरत कत्थ।।8
मूरत परसां साच मन,
सूरत चखां सपेख।
सुजस पढां वां सूरमां,
अघ नीं रैवै एक।।9
भिड़ रण भारथ में भलां,
अरियण दिया उथाल।
मगर- अगर बिन मानजो,
लख सत भारत- लाल!!10
अमर शहीद प्रतापसिंह बारहठ नै उणांरै शहादत दिवस माथै सश्रद्ध नमन।
गिरधरदान रतनू दासोड़ी
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