गण तो फायो-फीटो फिरर्यो!
नायक बैठो मौजां करर्यो!!
गणनायक नैं कीकर जाणां?
ध्यान नहीं गण कानी धरर्यो!!
कण-कण नैं जण -जण ऐ रींकै!
ओ तो लाट तिजुर्यां भरर्यो!!
दीन-दुखी कितरो ई सेवो!
मेहर इणी कज मोटां सरर्यो!!
गणतंत्र कैवण रो भाई!
गण तो गोण बापड़ो डरर्यो!!
माणै माल मसकरा चौड़ै
हाड गाल़तो गण ओ मरर्यो!!
बाई फसलां बलदां पच-पच!
पुल़छां देख गधेड़ो चरर्यो!!
गण रो पग कुंडाल़ै आयो!
नायक झाड़ा मंत्र करर्यो!!
भेद गरीबी छीना झपटी!
फूट फैंटोड़ो सगल़ै पसर्यो!!
लोकराज रो नायक लांठो!
गिरै-गोचर रो सह कीं जरर्यो!!
गिरधरदान रतनू दासोड़ी
सोमवार, 5 सितंबर 2016
गण तो फायो
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