व्हाट्सअप रो मैसेज
मतलब
मायरा को सूट
एक जगह सूं दूसरी जगह
जावे
कोई-कोई तो खोल न भी नी देखे
और आगे बडाई दे
न
कदे तो घुम फिर ने...
वापस अपाणे कने ही आई जाय
व्हाट्सअप रो मैसेज
मतलब
मायरा को सूट
एक जगह सूं दूसरी जगह
जावे
कोई-कोई तो खोल न भी नी देखे
और आगे बडाई दे
न
कदे तो घुम फिर ने...
वापस अपाणे कने ही आई जाय
नीं लागै अठै कोई तीज!
गिरधरदान रतनू दासोड़ी
अजै तो नीं आई
आधुनिकता री आंधी!
ओ तो फगत दोटो है
आधुनिकता रो!
जिणमें ई आपांरी जड़ां
जोखमीजर उखड़गी!
तो पछै कीकर झालांला?
अरड़ाट देती वा आकरी आंधी!
आपांनैं तो इण दोटै ई
चाढ दिया टोरै!
भमा दिया भोगना!
नाख दी आंख्यां में धूड़
अर
कर दिया चितबगना
चेताकूक
साव गावल़ा!
आपां तो पांतर ई ग्या
आपांरी रीत -प्रीत
मेल़ा -मगरिया
मन री उमंग तो
मार ई नाखी!
विसर ई ग्या!
सतरंगां री सोहणी सांझ
दिन तो विदऱंगो सो
राखै है ओढ्योड़ो बांझपण!
अतंस इलोल़ तो लागै है अमूझ्योड़ो!
किल्लोल़ तो सूतो है
कमाड़ी जड़
जड़ीजंत होयोड़ो!
इण दोटै रै गोट में
पाल़ लिया कितरा भरम?
पांतरग्या धरम मिनख रो!
फगत एक मसीन रै उनमान
कर रैयां हां वरताव!
हंसणो-रमणो!
तो लागै है सदियां जूनो
कोई ऐड़ो खिलको
जिकै काला मिनख ई
करिया करता हा!
आपां तो काला नीं हां
नीं है कालो आपांरो बगत!
हंसणो -रमणो -गावणो!
कोई आपांरो काम थोड़ो ई है?
आपां तो आजरा मिनख हां!
आधुनिकता दोटै चढियोड़ा!
आपांरो तो काम ई फगत ओ है
कै
कोई कीकर पांतर सकै हंसी?
किंया हो सकै है डाफाचूक?
कीकर आ सकै है हींयाबूझी?
कोई कीकर हो सकै है
चितभमियो?
ओ काम तो
इण अंधल़गोटै रै खेल में
आपां कर ई सकां हां!
कर ई सकां हां !कांई ?
आपां तो कर ई चूका!
जद ई तो नीं दीसै
रमझमती तीजणियां रा झूलरा
नीं सुणीजै हंसी रा हबोल़ा
गीतां रा गरणाट
तो सरणाट में पसरग्या!
अर
रात रात जागणिया गाम!
आधाक तो काम रै भरम में
सहर में गमग्या
अर आधांक में
देखो जणै ई
पसर्योड़ो रैवै है सोपो!
अठै नीं सावण सुरंगो लागै
अर नीं भादवो विरंगो!
नीं लागै अठै
कै कोई तीज
रीझनै आई होवै तिंवारां रै सागै
रंगरल़ी कै मनरल़ी करती!
अर नीं लागै कै
कोई गणगौर
आपरै घेर घुमेर गागरै रै फटकै सूं
डूबा दिया होवै तिंवार!
गिरधरदान रतनू दासोड़ी
"पत्नी री पीड़ मोबाईल"
सखी अमीणों सायबो, सुणे नी मन री बात।
सोच सोच बिलखूँ घणी,निबळो पड़ियो गात।
जद स्यूं घर में आवियो,रिपु मोबाइल भूत।
बतळायाँ बोले नहीं,रैवे जियां अवधूत।
दिन आखो चिपियो रैवे,इण मोबाइल संग।
झख नी लेवै रात दिन,आछो हुयो अपंग।
कैवो सखी आ वाट्सप, कुण कीदी निरमाण।
छाती छोलण देयदी, म्हारी सौतन जाण।
आँख्यां ताणे उंघतो, आधी आधी रात।
झंझारकै ही जागज्या, झट ले ठूंठो हात।
म्हा स्यूं तो बतळे नहीं,फेसबूक पे गल्ल।
मुळक मुळक गल्लां करै,कर मोबायल झल्ल्।
टुकड़ो तिल खावै नहीं,लाईक री घण भूख।
चढ़ चश्मो आंधा हुआ,डोभा लाग्या दूख।
रैण दिवस पड़ियो रैवे,करै न कोई काम।
मोबाईल हथ में रवै,भोर दुपहरी शाम।
हाथ मगज़ दुबळा हुया, नैण हुया अणसूझ।
सखी तमीणे सायबे ने,रस्तो कोई बूझ।
पिंड छूटे इण पाप स्यूं,करै'ज कोई काम।
करै राजरी नौकरी,सिंझ्या भजले राम।
सखी राह कोई बता,किम छोडाउं लार।
मोबाइल इण सौत ने,केहि बिध काढुं बार।
हाल रैयो जै कैई दिनाँ,(तो)उठसी म्हारौ चित्त।
का मोबाइल रैइसी,का बंदी रहसी इत्त।
अंतस रो ऊजास दीकरी,
नैणा रो परकास दीकरी।
मिठडी मिठडी बाँता री,
झालर री झणकार दीकरी।।
आँगणियै रो फूल दीकरी,
पाँवा री रमझौल दीकरी।
कुंकुं पगल्या ले घर मे आवै,
छमछम करती अणमौल दीकरी।।
कुळ री व्है जोत दीकरी,
मनडै रो व्है मोद दीकरी।
लाजाळु ममत्व दयालु,
करूणा री व्है खांण दीकरी।।
देवलोका रो संसार दीकरी,
खुशियाँ अपरमपार दीकरी।
पगल्या धोय चरणामृत लेवुँ,
देवी रो व्है वरदान दीकरी।।
रिपियो
बापड़ी रिपियो रिपियो करती करती ही मर गी
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इया कोनी कहयो कंठा मे फसेडो है
बरसात के बाद नेट चलाना हुआ मुश्किल ....
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क्योंकि घरवाले बोलते है" बंद कर थारै ठीकरै ने फिङकला
आवैं "
पत्नी बोली ....ओ जी थे हर बात मं म्हारा पीहर वाला न बीच मं क्यूँ
ल्याओ हो।जो केवणो है म्हन
सीधो- सीधो के दिया करो
पति बोल्यो :देख बावळी, अगर आपणो मोबाइल खराब हु ज्याव तो आपां मोबाइल न थोड़ी बोलां ,
गाल्यां तो कंपनी वाला न ही काढस्यां नी गेल सफी कठई की.........
Introduction- The history of Jodhpur, a city in the Indian state of Rajasthan, is rich and vibrant, spanning several centuries. From its o...