Translate

मंगलवार, 9 अगस्त 2016

म्हारै देखतां -देखतां गमग्यो गांम!

म्हारै देखतां -देखतां गमग्यो गांम!-

गिरधरदान रतनू दासोड़ी
नीं चंवरां में जाजम
नीं घेर घुमेर वड़लो!
नीं मन!
नीं मन री बातां!
करण री कोई ठावी ठौड़
फगत निगै आवै है-
झोड़ ई झोड़!
जिणरो नीं कोई निचोड़!
नीं निचोड़ काढणियो
तो पछै तोड़ कठै है?
जठै नीं मिल़ै -
किणी री आंख आपस में
उठै पांख विहूणो मन
तूटोड़ै तन में ढिरड़ीजै है
बिनां कमाया
धन जोड़ण री जुगत में
पचै है सगल़ा बिनां विसराम!
म्हारै देखतां-देखतां गमग्यो गांम।।
जठै नीं बाजै अबै
चैन री वंशी
नीं आवै किणी नैं
घोर खांच
सुखरी नींद!
नीं उछरै वाघेलो
नीं बाजै रुणझुणता टोकरिया
छोकरिया तो भूलग्या मस्ती
अर मस्ती में रमणो!
डोकरिया तो नीं जाणै!
कठै  होयग्या गायब?
कठै मोटियार!
अर कठै मोटियार गाल़ो?
कठै मालो!अनै कठै मल्ल?
ऐ बातां तो पड़गी है पांतरै!
अबै तो फगत
चर -भर रमणिया
आवै है निगै
जोड़ता दुभरिया अठजाम!
म्हारै देखतां -देखतां गमग्यो गांम!
नीं कोई दूध री अथाणी!
नीं मथाणी घूमती महि री!
नीं घट्टी !नीं घट्टी वेल़ा!
नीं प्रभात नीं प्रभाती!
नीं कोई मीठास
नीं कोई मीठी मा!
नीं कोई भाभो नी कोई भाभू!
अबै तो फगत
चैप्योड़ा लागै है गन्ना!
माल़ीपानां में पल़पल़ाता
साव भाठै रै उनमान।
नीं नेह री निर्झणी
नीं अपणास रो इमरत!
नीं दिल में दरद
नीं दरद समझण री समझ!
नीं लड़थड़तै नैं कोई थामै
आगै बधर हाथ थाम!
म्हारै देखतां-देखतां गमग्यो गांम।।
ज्यूं -ज्यूं बदल़ियो समै
त्यूं-त्यूं इकरंगो गांम
किरड़ै ज्यूं बदल़तो गयो!
छोडतो गयो लाज
उतारतो गयो कांचल़ी शरम री
त्यागतो रैयो धरम मिनखापणै रो!
भरम में भमीज्योड़ो
बोल री कीमत ई विसरग्यो!
सीखग्यो छल -छदम
कदम-कदम माथै करणी-
छागटाई!
कर लीनो धारण
वानो  हुसनाकपणै रो!
गल़ी -गल़ी गल़गल़ी कर
गिटग्यो गवाड़ ,गोचर
देखतां-देखतां !
नीं छोडी नाडी
नीं निवाण नीं ताडो!
जारग्यो जीवती माखी
बिनां मिचलाण रै
नीं मानी हलाल
अर  नीं गिणी हराम!
म्हारै देखतां-देखतां गमग्यो गांम!!
गिरधरदान रतनू दासोड़ी

सोमवार, 8 अगस्त 2016

मने कई ठा

दुनिया भर में 3 तरह के जवाब दिए जाते हैं
1- हाँ
2- नहीं
3- शायद

केवल जोधपुर में चौथा जवाब भी दिया जाता है वो है .
.
.

मने कई ठा

मित्रता

गजल-गिरधरदान रतनू दासोड़ी
मित्रता
है खांडै री धार मित्रता।
सबसूं उत्तम कार मित्रता!!
रथ हांकै नै पग धो देवै।
सँभल़ै डग -डग लार मित्रता!!
डिगतै नैं कांधो दे ढाबै।
निज भुज लेवै भार मित्रता!!
बढती -घटती नहीं चांद ज्यूं।
सुख-दुख में इकसार मित्रता!!
तन-मन-धन सब  अर्पण करदे।
लालच स्वारथ मार मित्रता!!
छल़ -बल़ साम्हीं तणनै ऊभै।
दृढता रै हद द्वार मित्रता!!
गुडल़ो बादल़ वणनै वरसै।
बल़ती छाती ठार मित्रता!!
जीत मित्र री सिर स्वीकारै।
खुशियां पल्लै हार मित्रता!!
ज्यूं -त्यूं बेड़ो पार लगावै।
नीं छोडै मँझधार मित्रता!!
जिणसूं जुड़ग्यो जड़ीजंत बो।
मन सूं मन रो तार मित्रता!!
जात -पांत नै धर्म धजा सूं।
रैवै  निरभै बार मित्रता!!
ऊंच -नीच रै भरम न झूलै।
भेद मरम नै पार मित्रता!!
पद रै मद नैं रद वा करदे।
सदरै गुण वा सार मित्रता!!
परस बादल़ रो पा उर विकसै।
हर दिस थोथी थार मित्रता!!

गिरधरदान रतनू दासोड़ी

मायरा को सूट


व्हाट्सअप रो मैसेज
मतलब
मायरा को सूट

एक जगह सूं दूसरी जगह
जावे
कोई-कोई तो खोल न भी नी देखे
और आगे बडाई दे

कदे तो घुम फिर ने...
वापस अपाणे कने ही आई जाय

रविवार, 7 अगस्त 2016

नीं लागै अठै कोई तीज!

नीं लागै अठै कोई तीज!

गिरधरदान रतनू दासोड़ी

अजै तो नीं आई
आधुनिकता री आंधी!
ओ तो फगत दोटो है
आधुनिकता रो!
जिणमें ई आपांरी जड़ां
जोखमीजर उखड़गी!
तो पछै कीकर झालांला?
अरड़ाट देती वा आकरी आंधी!
आपांनैं तो इण दोटै ई
चाढ दिया टोरै!
भमा दिया भोगना!
नाख दी आंख्यां में धूड़
अर
कर दिया चितबगना
चेताकूक
साव गावल़ा!
आपां तो पांतर ई ग्या
आपांरी रीत -प्रीत
मेल़ा -मगरिया
मन री उमंग तो
मार ई नाखी!
विसर ई ग्या!
सतरंगां री सोहणी सांझ
दिन तो विदऱंगो सो
राखै है ओढ्योड़ो बांझपण!
अतंस इलोल़ तो लागै है अमूझ्योड़ो!
किल्लोल़ तो सूतो है
कमाड़ी जड़
जड़ीजंत होयोड़ो!
इण दोटै रै गोट में
पाल़ लिया कितरा भरम?
पांतरग्या धरम मिनख रो!
फगत एक मसीन रै उनमान
कर रैयां हां वरताव!
हंसणो-रमणो!
तो लागै है सदियां  जूनो
कोई ऐड़ो खिलको
जिकै काला मिनख ई
करिया करता हा!
आपां तो काला नीं हां
नीं है कालो आपांरो बगत!
हंसणो -रमणो -गावणो!
कोई आपांरो काम थोड़ो ई है?
आपां तो आजरा मिनख हां!
आधुनिकता दोटै चढियोड़ा!
आपांरो तो काम ई फगत ओ है
कै
कोई कीकर पांतर सकै हंसी?
किंया हो सकै है डाफाचूक?
कीकर आ सकै है हींयाबूझी?
कोई कीकर हो सकै है
चितभमियो?
ओ काम तो
इण अंधल़गोटै रै खेल में
आपां कर ई सकां हां!
कर ई सकां हां !कांई ?
आपां तो कर ई चूका!
जद ई तो नीं दीसै
रमझमती तीजणियां रा झूलरा
नीं सुणीजै हंसी रा हबोल़ा
गीतां रा गरणाट
तो सरणाट में पसरग्या!
अर
रात रात जागणिया गाम!
आधाक तो काम रै भरम में
सहर में गमग्या
अर आधांक में
देखो जणै ई
पसर्योड़ो रैवै है सोपो!
अठै नीं सावण सुरंगो लागै
अर नीं भादवो विरंगो!
नीं लागै अठै
कै कोई तीज
रीझनै आई होवै तिंवारां रै सागै
रंगरल़ी कै मनरल़ी करती!
अर नीं लागै कै
कोई गणगौर
आपरै घेर घुमेर गागरै रै फटकै सूं
डूबा दिया होवै तिंवार!

गिरधरदान रतनू दासोड़ी

पत्नी री पीड़ मोबाईल

"पत्नी री पीड़ मोबाईल"

सखी अमीणों सायबो, सुणे नी मन री बात।
सोच सोच बिलखूँ घणी,निबळो पड़ियो गात।
जद स्यूं घर में आवियो,रिपु मोबाइल भूत।
बतळायाँ बोले नहीं,रैवे जियां अवधूत।
दिन आखो चिपियो रैवे,इण मोबाइल संग।
झख नी लेवै रात दिन,आछो हुयो अपंग।
कैवो सखी आ वाट्सप, कुण कीदी निरमाण।
छाती छोलण देयदी, म्हारी सौतन जाण।
आँख्यां ताणे उंघतो, आधी आधी रात।
झंझारकै ही जागज्या, झट ले ठूंठो हात।
म्हा स्यूं तो बतळे नहीं,फेसबूक पे गल्ल।
मुळक मुळक गल्लां करै,कर मोबायल झल्ल्।
टुकड़ो तिल खावै नहीं,लाईक री घण भूख।
चढ़ चश्मो आंधा हुआ,डोभा लाग्या दूख।
रैण दिवस पड़ियो रैवे,करै न कोई काम।
मोबाईल हथ में रवै,भोर दुपहरी शाम।
हाथ मगज़ दुबळा हुया, नैण हुया अणसूझ।
सखी तमीणे सायबे ने,रस्तो कोई बूझ।
पिंड छूटे इण पाप स्यूं,करै'ज कोई काम।
करै राजरी नौकरी,सिंझ्या भजले राम।
सखी राह कोई बता,किम छोडाउं लार।
मोबाइल इण सौत ने,केहि बिध काढुं बार।
हाल रैयो जै कैई दिनाँ,(तो)उठसी म्हारौ चित्त।
का मोबाइल रैइसी,का बंदी रहसी इत्त।
                     

शनिवार, 6 अगस्त 2016

अंतस रो ऊजास दीकरी

अंतस रो ऊजास दीकरी,
नैणा रो परकास दीकरी।
मिठडी मिठडी बाँता री,
झालर री झणकार दीकरी।।

आँगणियै रो फूल दीकरी,
पाँवा री रमझौल दीकरी।
कुंकुं पगल्या ले घर मे आवै,
छमछम करती अणमौल दीकरी।।

कुळ री व्है जोत दीकरी,
मनडै रो व्है मोद दीकरी।
लाजाळु ममत्व दयालु,
करूणा री व्है खांण दीकरी।।

देवलोका रो संसार दीकरी,
खुशियाँ अपरमपार दीकरी।
पगल्या धोय चरणामृत लेवुँ,
देवी रो व्है वरदान दीकरी।।
  

गोगा नवमी

गोगा नवमी  ********** पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष की नवमी पर गोगा नवमी मनाई जाती है। गोगा देव की पूजा सावन माह की पूर्णिमा ...

MEGA SALE!!! RUSH TO AMAZON