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रविवार, 3 जुलाई 2016

म्हारो चतर हार गयो।

राज री गोळयाँ बण निशाणो,
                   म्हारो चतर हार गयो।
मायड़ हिवड़े हुक छोड़ क
                   बेटो स्वर्ग सिधार गयो।।

कद तांई इस्यो ही राज चाल सी
               कद तांई चिता में आग लाग सी।
बेटा री अर्थी न कद तक
                  बूढ़ा बाप रा कन्धा लाग सी।।
माँ बापां री पोळ्यां कर सूनी
                  घर रो तो हकदार गयो।
राज री गोळयाँ बण निशाणो,
                   म्हारो चतर हार गयो।।

किण कसूरां छाती धसिया
                तीर दंश रा राजां रा।      
बिना कसुरां मिल्या मौत सूं
                  पूत पळेड़ा नाजां रा।।
बिन बीजायो तो खेत छोड़ क
               खेत रो सांझेदार गयो।
राज री गोळयाँ बण निशाणो,
                   म्हारो चतर हार गयो।।

भरी जवानी देख्यो क्यों ना
                ना देखी दुनियांदारी न
घरां रोवंती मायड़ छोड़ी
               छोड़ी बहन बिचारी न।
कुळ रो कुळ दीपक बुझगयो।
                    बाप रो लठ्ठेदार गयो।
राज री गोळयाँ बण निशाणो,
                   म्हारो चतर हार गयो।।

भायाँ रो तो भाई बिछड़ग्यो
              बहण धीरजड़ो खोवाण लागी।
आकाशं सूं आसूँ टपक्या
             धरा थार री रोवण लागी।।
छाती लाग्यो शेल राज रो
            खाली नी कोई वार गयो।
राज री गोळयाँ बण निशाणो,
                   म्हारो चतर हार गयो।।

न्याय करणीया अन्यायी बणग्या
                       खून सूं रंगली वर्दी न।
झुक्यो तराजू इंसाफी
                 ख़ारिज करदी अर्जी न।।
चाली वाड़ो आयो राज रो
                 जनता रो स्वीकार गयो।
राज री गोळयाँ बण निशाणो,
                   म्हारो चतर हार गयो।।

शनिवार, 25 जून 2016

हॉस्यां हीयौ खिलै

***** हॉस्यां हीयौ खिलै *****
*  ऊनाळा रा दिनों में एक मिठाई वाळौ मिठाई री दुकान माथै बैठो हो । गिराक नी आवण सूं दुकान माथै बैठो बैठो उबासियाँ खा रियौ थो ।ऐक मारवाड़ी उण दुकान रै आगै सूं निकळतौ मिठाईवाळा नै ऊबासी खावतौ दैख नै पूछियौ --- " सेठजी ! ऊबासियां कांई खावौ ?
सेठजी बोल्या --- " तो पछै काई खावौ ? "
मारवाड़ी बोल्यौ --- " मिठाई खावौ कोनी । आ घणीं पड़ी है नी । "
सेठ जी बोल्या --" कयूं ? म्हारै टाबरियौ नै रूळावणा परा ?"
मारवाड़ी बौल्यौ --- " आप अठीनै आवो । मन्नै मिठाई खावण दो । मिठाई खावणां सूं टाबरिया रूळता होवै तो म्हारा टाबरिया छो रूळता ।"
सेठ उण मारवाड़ी रो मुंडों दैखतो रियौ ।

शुक्रवार, 24 जून 2016

आपणां बडेरा

आपणां बडेरा
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आला बंचता नीं आप सुं सूखा कोई रा बाप सुं
बडेरां रो काम चालतो अंगूठा री छाप सुं

दीखणं में गिंवार हा लाखां रो बिजनस कर लेंता
ब्याजूणां दाम दियां पेली अडाणें गेणां धर लेंता

धोती  लोटा ले जांता हा धन री पोटां ले आंंता हा
ढाका सुं मलमल ल्यांता हा लाहोरी लोटा ल्यांता हा

च्यार महीनां खपता हा बारा महीनां खांता हा
आणां टाणां औसर मौसर दस दस गांव जिमांता हा

एक लोटो हूंतो हो सगला घर रा निपट्यांता हा
दांतणं खातर नीमडा री डाली तोड लियांता हा

होकां रा हबीड ऊठता चिलम भरयोडी राखता
गाय भौंस रा धीणां हा बलदां री जोडी राखता

परणींजण नें जांवता हा ऊंट बलद रा गाडां में
हनीमून मनाय लेंवता भैंसियां रा बाडा मैं

न्यारा न्यारा रूम कठै हा कामलां रा ओटा हा
पोता पोती पसता पसता दादी भेला सोंता हा

सात भायां री बेनां हूंती दस बेटां रा बाप हूंता
भूखो कोई रेंवतो कोनीं मोटा अपणें आप हूंता

मा बापां रे सामनें फिल्मी गाणां गांता कोनीं
घरवाली री छोडो खुद रा टाबर नें बतलांता कोनीं

कारड देख राजी हूंता तार देखकर धूजता
मांदगी रा समाचार मरयां पछै ही पूगता

मारवाडी में लिखता लेणां आडी टेडी खांचता
लुगायां रा लव लेटर नें डाकिया ही बांचता

च्यार पांच सोगरा तो धाप्योडा गिट ज्यांवता
खेजडी रा छोडा खार काल सुं भिड ज्यांवता

लुगायां घर में रेंती मोडा पर कोनीं बैठती
साठ साल की हू ज्यांती बजार कोनीं देखती

बाडा भरयोडा टाबर हूंता कोठा भरिया धान हा
पैदा तो इंशान करता पालता भगवान हा

कोडियां री कीमत हूंती अंटी में कलदार रेंता
लुगायां री पेटियां में गेणां रा भंडार रेंता

भाखरां पर ऊंचा म्हेल मालिया चिणायग्या
आदमी में ताकत किती आपां नें समझायग्या

पाला जांता मालवे डांग ऊपर डेरा हा
दूजा कोनीं बे आपणां बडेरा हा
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गुरुवार, 23 जून 2016

जापा

इतिहास के टीचर ने छोरे स्यु  पुछयो:
बताओ अकबर का जन्म कब हुआ..??
.
जवाब सुनता ही टीचर बेहोश होग्यो
.
.
सर,, मैं तो स्कूल में पढ़ण अाऊं हूँ,,

"जापा" थोड़ी करातो फिरु

बुधवार, 22 जून 2016

पीली धरती पथवाली..

~पीली धरती पथवाली..
धन धोरां रो देस..
~अमर पागड़ी वीरां री.. केसर बरणो
वेश..
~जरणी जाया नाहर सम.. ऐड़ा वीर सपूत..
~"तेजस" धन या मरूधरा.. धन धन धन रजपूत।

रविवार, 19 जून 2016

मारवाड़ी कविता

मारवाड़ी कविता

आ दातल्ली केडी,
रजको वाडे जेडी
ओ रजको केडो,
भैंयो ने नोके जेडो
ऐ भैंयो केडी,
दुध दे जेडी
ओ दुध केडो,
दही वणे जेडो
ओ दही केडो,
मोखण वणे जेडो
ओ मोखण केडो,
घी वणे जेडो
ओ घी केडो,
बाटियो सोपडे जेडो
ऐ बाटियो केडी,
पोमणा जिमे जेडी
ऐ पोमणा केडा,
चुल्हा में नोके जेडा

शुक्रवार, 17 जून 2016

छानो कोनी रेवै...

*एक राजस्थानी हास्य कविता*

दर्द गोडा रो..
संग डोडा रो..
स्कुटर होन्डा रो...
*छानो कोनी रेवै....*

खायडो खिचड...
चिपेडो चिँचड...
आदत को लिचड...
*छानो कोनी रेवै...*

घराँ बाजेडा सोट...
छिटकायडा होठ...
जाटणी रो रोट...
*छानो कोनी रेवै...*

माँगेडा बूँट...
खायडी सूँठ...
पावलो ऊँट...
*छानो कोनी रेवै...*

फौजी की फीँत...
भोपी रो गीत...
झुठी प्रीत...
*छानी कोनी रेवै....*

आँधी आती..
गाँव का बराती..
मतलब को साथी...
*छानो कोनी रेवै....*

भाँग खायडो...
दारू पीयेडो..
अर माँ को बिगाडेडो...
*छानो कोनी रेवै....*

*आर के छंगाणी*

HISTORY OF JODHPUR : मारवाड़ का संक्षिप्त इतिहास

  Introduction- The history of Jodhpur, a city in the Indian state of Rajasthan, is rich and vibrant, spanning several centuries. From its o...

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