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शनिवार, 25 जून 2016

हॉस्यां हीयौ खिलै

***** हॉस्यां हीयौ खिलै *****
*  ऊनाळा रा दिनों में एक मिठाई वाळौ मिठाई री दुकान माथै बैठो हो । गिराक नी आवण सूं दुकान माथै बैठो बैठो उबासियाँ खा रियौ थो ।ऐक मारवाड़ी उण दुकान रै आगै सूं निकळतौ मिठाईवाळा नै ऊबासी खावतौ दैख नै पूछियौ --- " सेठजी ! ऊबासियां कांई खावौ ?
सेठजी बोल्या --- " तो पछै काई खावौ ? "
मारवाड़ी बोल्यौ --- " मिठाई खावौ कोनी । आ घणीं पड़ी है नी । "
सेठ जी बोल्या --" कयूं ? म्हारै टाबरियौ नै रूळावणा परा ?"
मारवाड़ी बौल्यौ --- " आप अठीनै आवो । मन्नै मिठाई खावण दो । मिठाई खावणां सूं टाबरिया रूळता होवै तो म्हारा टाबरिया छो रूळता ।"
सेठ उण मारवाड़ी रो मुंडों दैखतो रियौ ।

शुक्रवार, 24 जून 2016

आपणां बडेरा

आपणां बडेरा
-------------------
आला बंचता नीं आप सुं सूखा कोई रा बाप सुं
बडेरां रो काम चालतो अंगूठा री छाप सुं

दीखणं में गिंवार हा लाखां रो बिजनस कर लेंता
ब्याजूणां दाम दियां पेली अडाणें गेणां धर लेंता

धोती  लोटा ले जांता हा धन री पोटां ले आंंता हा
ढाका सुं मलमल ल्यांता हा लाहोरी लोटा ल्यांता हा

च्यार महीनां खपता हा बारा महीनां खांता हा
आणां टाणां औसर मौसर दस दस गांव जिमांता हा

एक लोटो हूंतो हो सगला घर रा निपट्यांता हा
दांतणं खातर नीमडा री डाली तोड लियांता हा

होकां रा हबीड ऊठता चिलम भरयोडी राखता
गाय भौंस रा धीणां हा बलदां री जोडी राखता

परणींजण नें जांवता हा ऊंट बलद रा गाडां में
हनीमून मनाय लेंवता भैंसियां रा बाडा मैं

न्यारा न्यारा रूम कठै हा कामलां रा ओटा हा
पोता पोती पसता पसता दादी भेला सोंता हा

सात भायां री बेनां हूंती दस बेटां रा बाप हूंता
भूखो कोई रेंवतो कोनीं मोटा अपणें आप हूंता

मा बापां रे सामनें फिल्मी गाणां गांता कोनीं
घरवाली री छोडो खुद रा टाबर नें बतलांता कोनीं

कारड देख राजी हूंता तार देखकर धूजता
मांदगी रा समाचार मरयां पछै ही पूगता

मारवाडी में लिखता लेणां आडी टेडी खांचता
लुगायां रा लव लेटर नें डाकिया ही बांचता

च्यार पांच सोगरा तो धाप्योडा गिट ज्यांवता
खेजडी रा छोडा खार काल सुं भिड ज्यांवता

लुगायां घर में रेंती मोडा पर कोनीं बैठती
साठ साल की हू ज्यांती बजार कोनीं देखती

बाडा भरयोडा टाबर हूंता कोठा भरिया धान हा
पैदा तो इंशान करता पालता भगवान हा

कोडियां री कीमत हूंती अंटी में कलदार रेंता
लुगायां री पेटियां में गेणां रा भंडार रेंता

भाखरां पर ऊंचा म्हेल मालिया चिणायग्या
आदमी में ताकत किती आपां नें समझायग्या

पाला जांता मालवे डांग ऊपर डेरा हा
दूजा कोनीं बे आपणां बडेरा हा
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गुरुवार, 23 जून 2016

जापा

इतिहास के टीचर ने छोरे स्यु  पुछयो:
बताओ अकबर का जन्म कब हुआ..??
.
जवाब सुनता ही टीचर बेहोश होग्यो
.
.
सर,, मैं तो स्कूल में पढ़ण अाऊं हूँ,,

"जापा" थोड़ी करातो फिरु

बुधवार, 22 जून 2016

पीली धरती पथवाली..

~पीली धरती पथवाली..
धन धोरां रो देस..
~अमर पागड़ी वीरां री.. केसर बरणो
वेश..
~जरणी जाया नाहर सम.. ऐड़ा वीर सपूत..
~"तेजस" धन या मरूधरा.. धन धन धन रजपूत।

रविवार, 19 जून 2016

मारवाड़ी कविता

मारवाड़ी कविता

आ दातल्ली केडी,
रजको वाडे जेडी
ओ रजको केडो,
भैंयो ने नोके जेडो
ऐ भैंयो केडी,
दुध दे जेडी
ओ दुध केडो,
दही वणे जेडो
ओ दही केडो,
मोखण वणे जेडो
ओ मोखण केडो,
घी वणे जेडो
ओ घी केडो,
बाटियो सोपडे जेडो
ऐ बाटियो केडी,
पोमणा जिमे जेडी
ऐ पोमणा केडा,
चुल्हा में नोके जेडा

शुक्रवार, 17 जून 2016

छानो कोनी रेवै...

*एक राजस्थानी हास्य कविता*

दर्द गोडा रो..
संग डोडा रो..
स्कुटर होन्डा रो...
*छानो कोनी रेवै....*

खायडो खिचड...
चिपेडो चिँचड...
आदत को लिचड...
*छानो कोनी रेवै...*

घराँ बाजेडा सोट...
छिटकायडा होठ...
जाटणी रो रोट...
*छानो कोनी रेवै...*

माँगेडा बूँट...
खायडी सूँठ...
पावलो ऊँट...
*छानो कोनी रेवै...*

फौजी की फीँत...
भोपी रो गीत...
झुठी प्रीत...
*छानी कोनी रेवै....*

आँधी आती..
गाँव का बराती..
मतलब को साथी...
*छानो कोनी रेवै....*

भाँग खायडो...
दारू पीयेडो..
अर माँ को बिगाडेडो...
*छानो कोनी रेवै....*

*आर के छंगाणी*

राजस्थानी में वर्षा अनुमान

राजस्थानी में वर्षा अनुमान:
☃☔

आगम सूझे सांढणी, दौड़े थला अपार !
पग पटकै बैसे नहीं, जद मेह आवणहार !!

..सांढनी  (ऊंटनी) को वर्षा का पूर्वाभास हो जाता है. सांढणी जब इधर-उधर भागने लगे, अपने पैर जमीन पर पटकने लगे और बैठे नहीं तब समझना चाहिए कि बरसात आयेगी !
---☔☔

मावां पोवां धोधूंकार, फागण मास उडावै छार|
चैत मॉस बीज ल्ह्कोवै, भर बैसाखां केसू धोवै ||

.... माघ और पोष में कोहरा दिखाई पड़े, फाल्गुन में धुल उड़े, चैत्र में बिजली न दिखाई दे तो बैशाख में वर्षा हो|
----☃☃

अक्खा रोहण बायरी, राखी सरबन न होय|
पो ही मूल न होय तो, म्ही डूलंती जोय ||

.....अक्षय तृतीया पर रोहणी नक्षत्र न हो, रक्षा बंधन पर श्रवण नक्षत्र न हो और पौष की पूर्णिमा पर मूल नक्षत्र न हो तो संसार में विपत्ति आवे|
----

अत तरणावै तीतरी, लक्खारी कुरलेह|
सारस डूंगर भमै, जदअत जोरे मेह ||

.... तीतरी जोर से बोलने लगे, लक्खारी कुरलाने लगे, सारस पहाड़ों की चोटियों पर चढ़ने लगे तो ये सब जोरदार वर्षा आने के सूचक है !!
----☃☃

आगम सूझै सांढणी, तोड़ै थलां अपार।
पग पटकै, बैसे नहीं, जद मेहां अणपार।

....यदि चलती ऊँटनी को रात के समय ऊँघ आने लगे, तब भी बरसात का होना माना जाता है।
------☔☔

तीतर पंखी बादली, विधवा काजळ रेख
बा बरसै बा घर करै, ई में मीन न मेख ||

....यदि तीतर पंखी बादली हो (तीतर के पंखों जैसा बादलों का रंग हो) तो वह जरुर बरसेगी| विधवा स्त्री की आँख में काजल की रेखा दिखाई दे तो समझना चाहिए कि अवश्य ही नया घर बसायेगी, इसमें कुछ भी संदेह नहीं !!
----☔

अगस्त ऊगा मेह पूगा|

....अगस्त्य तारा उदय होने पर वर्षा का अंत समझना चाहिए
----
अगस्त ऊगा मेह न मंडे,
जो मंडे तो धार न खंडे ||

....अगस्त तारा उदय होने पर प्राय: वर्षा नहीं होती, लेकिन कभी हो तो फिर खूब जोरों से होती है ।
----⛈

अम्मर पीलो
मेह सीलो |

....वर्षा ऋतू में आसमान का रंग पीलापन लिए दिखाई पड़े तो वर्षा मंद पड़ जाती है|

अम्बर रातो|
मेह मातो||

....वर्षा ऋतू में यदि आसमान लाल दिखाई पड़े, लालिमा छाई हो तो अत्यधिक वर्षा होती है|

अम्बर हरियौ, चुवै टपरियौ |

...आकाश का हरापन सामान्य वर्षा का धोतक है|
-----⛅

काळ कसुमै ना मरै, बामण बकरी ऊंट|
वो मांगै वा फिर चरै, वो सूका चाबै ठूंठ||

...ब्राह्मण, बकरी और ऊंट दुर्भिक्ष के समय भी भूख के मारे नहीं मरते क्योंकि ब्राह्मण मांग कर खा लेता है, बकरी इधर उधर गुजारा कर लेती है और ऊंट सूखे ठूंठ चबा कर जीवित रह सकता है|
----

धुर बरसालै लूंकड़ी, ऊँची घुरी खिणन्त|
भेली होय ज खेल करै, तो जळधर अति बरसन्त|

....यदि वर्षा ऋतू के आरम्भ में लोमड़िया अपनी “घुरी” उंचाई पर खोदे एवं परस्पर मिल कर क्रीड़ा करें तो जानो वर्षा भरपूर होगी||
--

गुरुवार, 16 जून 2016

व्हाट्सएप्प पर है के" ?

जाट- "तुं व्हाट्सएप्प पर है के" ?
जाटणी- "ना, मैं तो म्हारै घरां हुँ "...
जाट- "मैरो मतलब है, व्हाट्सएप्प यूज करै है के" ?
जाटणी- "ना रै, मैं तो फेयर लवली यूज करुं हुँ" ...!!
जाट- "अरै बावळी, व्हाट्सएप्प चलावै है के" ?
जाटणी- "ना रै बावळा, मेरै कनै तो साईकल है, बा
ही चलाऊँ हुँ" ...!!
जाट- "मेरी माँ, व्हाट्एप्प चलाणो आवै है के तनै" ?
जाटणी- "तु चला लेयी, मैं पीछै बैठ ज्याऊँगी" ...!!!

मारवाड़ी जोड़ो

✪ मारवाड़ी जोड़ो ✪

बीवी: अजी, सुणयो है कि। आदमी मरे जदे उणाने स्वर्ग माए अप्सरा मिले है।
.....तो लुगायां ने स्वर्ग में काई मिले  है..?

पति: बांदरो मिले है... बांदरो ..!!

बीवी: (ठंडी सांस लैती हुई) आ तो गलत बात है। थाने अठै भी अप्सरा.... ने वठै भी अप्सरा।
म्हाने अठै भी बांदरो .... ने वठै भी बांदरो।

राजस्थान की कुछ पुरानी कहावते

राजस्थान की कुछ पुरानी कहावतें

राजस्थानी में वर्षा अनुमान:
☃☔

आगम सूझे सांढणी, दौड़े थला अपार !
पग पटकै बैसे नहीं, जद मेह आवणहार !!

..सांढनी  (ऊंटनी) को वर्षा का पूर्वाभास हो जाता है. सांढणी जब इधर-उधर भागने लगे, अपने पैर जमीन पर पटकने लगे और बैठे नहीं तब समझना चाहिए कि बरसात आयेगी !
।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।

अत तरणावै तीतरी, लक्खारी कुरलेह|
सारस डूंगर भमै, जदअत जोरे मेह ||

.... तीतरी जोर से बोलने लगे, लक्खारी कुरलाने लगे, सारस पहाड़ों की चोटियों पर चढ़ने लगे तो ये सब जोरदार वर्षा आने के सूचक है !!
------☔☔

तीतर पंखी बादली, विधवा काजळ रेख
बा बरसै बा घर करै, ई में मीन न मेख ||

....यदि तीतर पंखी बादली हो (तीतर के पंखों जैसा बादलों का रंग हो) तो वह जरुर बरसेगी| विधवा स्त्री की आँख में काजल की रेखा दिखाई दे तो समझना चाहिए कि अवश्य ही नया घर बसायेगी, इसमें कुछ भी संदेह नहीं !!
----

काळ कसुमै ना मरै, बामण बकरी ऊंट|
वो मांगै वा फिर चरै, वो सूका चाबै ठूंठ||

...ब्राह्मण, बकरी और ऊंट दुर्भिक्ष के समय भी भूख के मारे नहीं मरते क्योंकि ब्राह्मण मांग कर खा लेता है, बकरी इधर उधर गुजारा कर लेती है और ऊंट सूखे ठूंठ चबा कर जीवित रह सकता है|
----

धुर बरसालै लूंकड़ी, ऊँची घुरी खिणन्त|
भेली होय ज खेल करै, तो जळधर अति बरसन्त|

....यदि वर्षा ऋतू के आरम्भ में लोमड़िया अपनी “घुरी” उंचाई पर खोदे एवं परस्पर मिल कर क्रीड़ा करें तो जानो वर्षा भरपूर होय।

"जय जय राजस्थान"

बुधवार, 15 जून 2016

किरणदेवी

अकबर की महानता का गुणगान तो कई इतिहासकारों ने किया है लेकिन अकबर की औछी हरकतों का वर्णन बहुत कम इतिहासकारों ने किया है
अकबर अपने गंदे इरादों से प्रतिवर्ष दिल्ली में नौरोज का मेला आयोजित करवाता था जिसमें पुरुषों का प्रवेश निषेध था अकबर इस मेले में महिला की वेष-भूषा में जाता था और जो महिला उसे मंत्र मुग्ध कर देती थी उसे दासियाँ छल कपटवश अकबर के सम्मुख ले जाती थी एक दिन नौरोज के मेले में महाराणा प्रताप की भतीजी छोटे भाई महाराज शक्तिसिंह की पुत्री मेले की सजावट देखने के लिए आई जिनका नाम बाईसा किरणदेवी था जिनका विवाह बीकानेर के पृथ्वीराज जी से हुआ

बाईसा किरणदेवी की सुंदरता को देखकर अकबर अपने आप पर काबू नही रख पाया और उसने बिना सोचे समझे दासियों के माध्यम से धोखे से जनाना महल में बुला लिया जैसे ही अकबर ने बाईसा किरणदेवी को स्पर्श करने की कोशिश की किरणदेवी ने कमर से कटार निकाली और अकबर को ऩीचे पटकर छाती पर पैर रखकर कटार गर्दन पर लगा दी और कहा नींच... नराधम तुझे पता नहीं मैं उन महाराणा प्रताप की भतीजी हुं जिनके नाम से तुझे नींद नहीं आती है बोल तेरी आखिरी इच्छा क्या है अकबर का खुन सुख गया कभी सोचा नहीं होगा कि सम्राट अकबर आज एक राजपूत बाईसा के चरणों में होगा अकबर बोला मुझे पहचानने में भूल हो गई मुझे माफ कर दो देवी तो किरण देवी ने कहा कि आज के बाद दिल्ली में नौरोज का मेला नहीं लगेगा और किसी भी नारी को परेशान नहीं करेगा अकबर ने हाथ जोड़कर कहा आज के बाद कभी मेला नहीं लगेगा उस दिन के बाद कभी मेला नहीं लगा

इस घटना का वर्णन गिरधर आसिया द्वारा रचित सगत रासो मे 632 पृष्ठ संख्या पर दिया गया है बीकानेर संग्रहालय में लगी एक पेटिंग मे भी इस घटना को एक दोहे के माध्यम से बताया गया है

किरण सिंहणी सी चढी उर पर खींच कटार
भीख मांगता प्राण की अकबर हाथ पसार

धन्य है किरण बाईसा उनकी वीरता को कोटिशः प्रणाम !

पाडो

सर - तुम भैंस का दुध पिया करो बड़े आदमी बन जाओगे
छात्र - रेवादो मारसा दुध पिवा ती कोई बडो आदमी वेतो तो आज माहरो पाडो कलेक्टर वेतो

मंगलवार, 14 जून 2016

थोड़ा नहीँ खूब हसोला

थोड़ा नहीँ खूब हसोला

जोधपुर में GPS शुरू हुयो । एक भा सा आप रे फोन में इनस्टॉल कियो ।

 भा सा टेस्ट करण री सोची । भाटी सॉफ़्टी सू रवाना हुआ । 

फीड कियो जालोरी गेट सू चतुर्भुज री दूकान ।
जीपीएस ऑन ।

आवाज़ आई - भा सा 50 मीटर सीधा चालजो बाद में नाजरजी री बावड़ी री तरफ जीवणे हाथ कनी मुड़ जाईजो सा ।

भा सा चालता रेया, एकदम सीधा । मोड़ आयो जीपीएस बोलियो - हुकम जीवणे हाथ मुड़ जावो सा ।

भा सा नहीं मुड़िया । आगे चालता रेया । पुष्टिकर स्कूल आई । जीपीएस बोलियो - भा सा 20 मीटर बाद जाळप कनी जीवणे मुड़ जाइजो सा और एकदम सीधा चालजो बाद में ।

भा सा भेर नहीं मुड़िया, आगे चालता रेया ।

जीपीएस बोलियो - भा सा, ज़वरी बाजार आवे जरे बनिये बाड़े वाळे रास्ते जीवणा मुड़ जाईजो और बिस्सों रे चौक साइड चालजो ।

भा सा अनसुनी कर ने भेर आगे बढ़ गया । जीपीएस खीजियो ।

गुस्से में बोलियो - हमें खाण्डे फ़लसे सू भीमजी री हथाई कनी जीवणा मुड़ जाइजो नहीं तो आगे मैं बोलुला कोनी हो ।

भा सा रे की फरक कोनी पड़ियो ।
पिपळीया महादेव जी आया । न भा सा मुड़िया जीवणे कनी और न ही जीपीएस बोलियो ।

आखिर में भैरजी री हॉटेल पहला भा सा रुकिया, पॉन खायो और जीवणे हाथ कनी मुड़िया और ज्यूँ ही मोहनजी री दूकान पार की, जीपीएस खीजियोड़ो बोलियो ' भा सा, थोने खुद रे हिसाब सू इज अगर चालणो है तो म्होने किण वास्ते इंस्टॉल कियो बाळीयो हो, आगो डिलीट इज ठोक नोको नी । 

कायो कर नोकियो है।'

भा सा मंद मंद मुस्कुराया ने बोलिया ' जीपीएस भा, जोधपुर री गळीयों है, अठे थे कई थोरा पड़ दाजी आ जावे तो भी फेल इज हुई ।'

शनिवार, 11 जून 2016

करम खोडला बण्या सूल्डा,

.
करम खोडला बण्या सूल्डा, मनख निमटता हेरै।
बाड़े बाड़े टीबां टीबां देसी इबके फेरै।।
कोई निरखै मात पिता नै, कोई राम-रहीमा।
खोटी करणी गुरु जूण की, इस्या दिया है जिम्मा।।
दिन उगतां ही निरखे नागा, और नरक का कूण्डा।
फोटू खींचे लौट्या सागै, घणा लागसी भूण्डा।।
खूब करी रै रामजी, गुरुदेव के मांय।
घणा मान मनुवार दे सूअर दिया बणाय।।
निमटण लागी डावड़ी, फोटू लीनी त्यार।
जूती लीनी हाथ में पडी टाट पर मार।।
पडी टाट पर मार गुरूजी भागण लाग्या।
छाती फूली सांस पसीना टपकण लाग्या।।
वा वा रै सरकार, हुकुम से होग्या नरतण।
फोटू खींच्या गुरु, डावड़ी लागी निमटण।।

रोजीने अठिनकर ही ......

गाड़ी पर लिफ्ट लेने के बाद
                ...कुछ  प्रतिक्रियाएं...

पंजाबी -
            ओए थैंक्स यार् !

मराठी -
               लई आभार मित्रा !

बंगाली-
         खुब खुब धोन्योबाद !

मारवाड़ी-
        रोजीने अठिनकर ही जावे काईरे???

गुरुवार, 9 जून 2016

करम खोडला बण्या सूल्डा,

.
करम खोडला बण्या सूल्डा, मनख निमटता हेरै।
बाड़े बाड़े टीबां टीबां देसी इबके फेरै।।
कोई निरखै मात पिता नै, कोई राम-रहीमा।
खोटी करणी गुरु जूण की, इस्या दिया है जिम्मा।।
दिन उगतां ही निरखे नागा, और नरक का कूण्डा।
फोटू खींचे लौट्या सागै, घणा लागसी भूण्डा।।
खूब करी रै रामजी, गुरुदेव के मांय।
घणा मान मनुवार दे सूअर दिया बणाय।।
निमटण लागी डावड़ी, फोटू लीनी त्यार।
जूती लीनी हाथ में पडी टाट पर मार।।
पडी टाट पर मार गुरूजी भागण लाग्या।
छाती फूली सांस पसीना टपकण लाग्या।।
वा वा रै सरकार, हुकुम से होग्या नरतण।
फोटू खींच्या गुरु, डावड़ी लागी निमटण।।

कुछ बचे हुए काम जो 'गुरूजी' को दिए जा सकते हैं-
-नाली साफ़ करना
-नेताओं के बच्चों को गोद में रखना
-आवारा कुत्तों की गणना करना
-खेतों में चिड़िया उड़ाना
-ब्याह शादी में जूते चप्पल का ध्यान रखना
-सर्वजनिज स्थानों पर मूतने वालों को पकड़ना
-पेड़ पौधों की गिनती रखना उन्हें काटने की सुचना सरकार को देना।
-सार्वजनिक भवनों पर रंगाई पुताई करना
-नहाने वालों पर नजर रखना एक बाल्टी से ज्यादा पानी काम लेने पर सुचना देना
-आवारा पशुओं का जगह जगह पड़ा गोबर इकट्ठा करना
-नोकरी बचाने और स्पष्टीकरण से बचने के लिए नामांकन वृद्धि हेतु अधिकतम बच्चे पैदा करने की सलाह देना
-चूल्हा जलाने वाले घरों में गैस कनेक्शन लगवाना।
-अधिक मोटे लोगों को नाडा बाँधने में सहायता करना
�

बुधवार, 8 जून 2016

इंतजार चौमासा रो,

इंतजार चौमासा रो,
बिरखा बरसी सांतरी, मुरधर जागी आस ।
कोठा भरसी धान रा, डांगर चरसी घास ।।

हाळी हळड़ा सांभिया, साथै साम्भ्या बीज ।
खेतां ढाणी घालसी, स्यावड़ गई पसीज ।।

ऊंचै धोरै बाजरी, ढळवोँ बीजूं ग्वार ।
बिच्च बिच्च तूंपूं टींढसी, मतीरा मिश्रीदार ।।

ऊंचै धोरै टापरी, साथै रैसी नार ।
दिनड़ै करां हळोतियो, रातां बातां त्यार ।।

काचर काकड़ कीमती, मतीरा मजेदार ।
मोठ मोवणा म्होबला, धान धमाकैदार।।

आभै गाजी बादळी, मुरधर नाच्या मोर ।
जीया जूण खिलखिली, देख घटा घनघोर ।।

आभै चमकी बीजळी, मनड़ै जाग्यो मोह ।
बादळ राजा बरससी, मिटसी पिया बिछोह ।।

छमछम बरसै बादळी, धम धम नाचै मोर ।
धरती माथै रूंखड़ा, घालै घूमर जोर ।।

बादळ ऐड़ा ओसरया, मुरधर करियो वास ।
धरती आली सांतरी, करसां पूरी आस ।।

डेडर जीभां खोल दी, भरिया देख तळाब ।
कोयल वाणी सांचरी, मुरधर उमड़ी आब।।

जै जै राजस्थान

मंगलवार, 7 जून 2016

चेतक पर चढ़ जिसने , भाला से दुश्मन संघारे थे...

चेतक पर चढ़ जिसने , भाला से दुश्मन संघारे थे...
मातृ भूमि के खातिर , जंगल में कई साल गुजारे थे...

झुके नही वह मुगलोँ से,अनुबंधों को ठुकरा डाला...
मातृ भूमि की भक्ति का, नया प्रतिमान बना डाला...

हल्दीघाटी के युद्ध में, दुश्मन में कोहराम मचाया था...
देख वीरता राजपूताने की , दुश्मन भी थर्राया था...

बलिदान पर राणा के, भारत माँ ने, लाल देश का खोया था...
वीर पुरुष के देहावसान पर, अकबर भी फफक कर रोया था...

भारत माँ का वीर सपूत, हर हिदुस्तानी को प्यारा हे...
कुँअर प्रताप जी के चरणों में, सत सत नमन हमारा हे...

मायड़ थारो वो पुत कठे?

मायड़ थारो वो पुत कठे?,
वो एकलिंग दीवान कठे?
वो मेवाड़ी सिरमौर कठे?,
वो महाराणा प्रताप कठे?
हळदीघाटी में समर में लड़यो,
वो चेतक रो असवार कठे?
मायड़ थारो वो पुत कठे?
वो एकलिंग दीवान कठे?
वो मेवाड़ी सिरमौर कठे?
वो महाराणा प्रताप कठे?
मैं बाचों है इतिहासां में,
मायड़ थे एड़ा पुत जण्या,
अन-बान लजायो नी थारो, रणधीरा वी सरदार बण्या,
बेरीया रा वरसु बादिळा,
सारा पड ग्या ऊण रे आगे,
वो झुक्यो नही नर नाहरियो, हिन्दवा सुरज मेवाड़ रतन
मायड़ थारो वो पुत कठे?
वो एकलिंग दीवान कठे?
वो मेवाड़ी सिरमौर कठे?
वो महाराणा प्रताप कठे?
ये माटी हळदीघाटीरी लागे केसर और चंदन है,
माथा पर तिलक करो इण रो इण माटी ने निज वंदन है.
या रणभूमि तीरथ भूमि,
दर्शन करवा मन ललचावे.
उण वीर-सुरमा री यादा हिवड़ा में जोश जगा जावे.
उण स्वामी भक्त चेतक री टापा, टप-टप री आवाज कठे?
मायड़ थारो वो पुत कठे?
वो एकलिंग दीवान कठे?
वो मेवाड़ी सिरमौर कठे?
वो महाराणा प्रताप कठे?
संकट रा दन देख्या जतरा,
वे आज कुण देख पावेला,
राणा रा बेटा-बेटी न,
रोटी घासरी खावेला
ले संकट ने वरदान समझ,
वो आजादी को रखवारो,
मेवाड़ भौम री पति राखण ने, कदै भले झुकवारो,
चरणा में धन रो ढेर कियो,
दानी भामाशाह आज कठे?
मायड़ थारो वो पुत कठे?
वो एकलिंग दीवान कठे?
वो मेवाड़ी सिरमौर कठे?
वो महाराणा प्रताप कठे?
भाई शक्ति बेरिया सूं मिल,
भाई सूं लड़वा ने आयो,
राणा रो भायड़ प्रेम देख,
शक्ति सिंग भी हे शरमायों,
औ नीला घोड़ा रा असवार,
थे रुक जावो-थे रुक जावो
चरणा में आई प़डियो शक्ति, बोल्यो मैं होकर पछतायो.
वो गळे मिल्या भाई-भाई,
जूं राम-भरत रो मिलन अठे.
मायड़ थारो वो पुत कठे?
वो एकलिंग दीवान कठे?
वो महाराणा प्रताप कठे?,
वो मेवाड़ी सिरमौर कठे?
वट-वृक्ष पुराणॊं बोल्यो यो,
सुण लो जावा वारा भाई
राणा रा किमज धरया तन पे, झाला मन्ना री नरवारी
भाळो राणा रो काहे चमक्यो, आँखां में बिजली कड़काई,
ई रगत-खळगता नाळा सूं,
या धरती रगत री कहळाई
यो दरश देख अभिमानी रो जगती में अस्यों मनख कठे?
मायड़ थारो वो पुत कठे?
वो एकलिंग दीवान कठे?
वो मेवाड़ी सिरमौर कठे?
वो महाराणा प्रताप कठे?
हळदीघाटी रे किला सूं
शिव-पार्वती रण देख रिया
मेवाड़ी वीरा री ताकत,
अपनी निजरिया में तौल रिया.
बोल्या शिवजी-सुण पार्वती मेवाड़ भौम री बलिहारी
जो आछा करम करे जग में,
वो अठे जनम ले नर-नारी.
मूं श्याम एकलिंग रूप धरी सदियां सूं बैठो भला अठे.
मायड़ थारो वो पुत कठे?
वो एकलिंग दीवान कठे?
वो मेवाड़ी सिरमौर कठे?
वो महाराणा प्रताप कठे?
मानवता रो धरम निभायो है, भैदभाव नी जाण्यो है
सेनानायक सूरी हकीम यू राणा रो……….चुकायो हे
अरे जात-पात और ऊंच-नीच री बात अया ने नी भायी ही
अणी वास्ते राणा री प्रभुता जग ने दरशाई ही
वो सम्प्रदाय सदभाव री मिले है मिसाल आज अठे.
मायड़ थारो वो पुत कठे?
वो एकलिंग दीवान कठे?
वो मेवाड़ी सिरमौर कठे?
वो महाराणा प्रताप कठे?
कुम्भलगढ़, गोगुन्दा, चावण्ड, हळदीघाटी ओर कोल्यारी
मेवाड़ भौम रा तीरथ है,
राणा प्रताप री बलिहारी,
हे हरिद्वार, काशी, मथुरा, पुष्कर, गलता में स्नान करा,
सब तीरथा रा फल मिल जावे मेवाड़ भौम में जद विचरां.
कवि “माधव" नमन करे शत-शत, मोतीमगरी पर आज अठे.
मायड़ थारो वो पुत कठे?
वो एकलिंग दीवान कठे?
वो मेवाड़ी सिरमौर कठे?
वो महाराणा प्रताप कठे?
अरे आज देश री सीमा पर
संकट रा बादळ  मंडराया,
ये पाकिस्तानी घुसपेठीया,
भारत सीमा में घुस आया,
भारत रा वीर जवाना थे,
याने यो सबक सिखा दिजो,
थे हो प्रताप रा ही वंशज,
याने यो आज बता दिजो,
यो काशमीर भारत रो है,
कुण आज आंख दिखावे आज
अठे.
मायड़ थारो वो पुत कठे?
वो एकलिंग दीवान कठे?
वो मेवाड़ी सिरमौर कठे?
वो महाराणा प्रताप कठे?

सोमवार, 6 जून 2016

गाँव री याद

घर आज्या परदेसी तेरा गाँव बुलाये रे. ..

"गाँव री याद"

गाँव रा गुवाड़ छुट्या, लारे रह गया खेत
धोरां माथे झीणी झीणी उड़ती बाळू रेत

उड़ती बाळू रेत , नीम री छाया छूटी
फोफलिया रो साग, छूट्यो बाजरी री रोटी

अषाढ़ा रे महीने में जद,खेत बावण जाता
हळ चलाता,बिज बिजता कांदा रोटी खाता

कांदा रोटी खाता,भादवे में काढता'नीनाण'
खेत मायला झुपड़ा में,सोता खूंटी ताण

गरज गरज मेह बरसतो,खूब नाचता मोर
खेजड़ी , रा खोखा खाता,बोरडी रा बोर

बोरडी रा बोर ,खावंता काकड़िया मतीरा
श्रादां में रोज जीमता, देसी घी रा सीरा

आसोजां में बाजरी रा,सिट्टा भी पक जाता
काती रे महीने में सगळा,मोठ उपाड़न जाता

मोठ उपाड़न जाता, सागे तोड़ता गुवार
सर्दी गर्मी सहकर के भी, सुखी हा परिवार

गाँव के हर एक घर में, गाय भैंस रो धीणो
घी दूध घर का मिलता, वो हो असली जीणो

वो हो असली जीणो,कदे नी पड़ता बीमार
गाँव में ही छोड़आया ज़िन्दगी जीणे रो सार

सियाळे में धूंई तपता, करता खूब हताई
आपस में मिलजुल रहता सगळा भाई भाई

कांई करा गाँव की,आज भी याद सतावे
एक बार समय बीत ग्यो,पाछो नहीं आवे

कृपा गाँव को याद करके रोना मत रोने से अच्छा है एक बार गाँव हो आना मन हल्का हो जायेगा और मन  को सुकून मिलेगा. ..

रविवार, 5 जून 2016

मारवाङी की तपस्या

एक  मारवाङी की तपस्या से प्रसन्न होकर
भगवान उसको अमृत देते हैं तो
वो मना कर देता है
भगवान - क्यों वत्स..अमृत क्यों नहीं पी रहे.
मारवाङी - मिराज खायोङी हैं बावजी  !!!��������

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मारवाड़ी हवाई यात्रा मे
एयर होस्टेस---- सर क्या लेंगे... ?मारवाड़ी----नुक्कती...चक्किआ... खाटिछा हैं कई??

एयर होस्टेस---डोपा.....अटे कई
रातीजोगा में आयोडो हें कई...........������ आयो मज़ो

मज़ा घणा लेवो

Physics class.
मेडम- जब कोई वस्तु ऊपर फ़ेंकी जाती
है तो वापस नीचे क्यों गिर जाती है?
मारवाड़ी छात्र- तो ऊपर पकड़े कुण ?
थारो काको ..!!!!
मेडम थे भी मज़ा घणा लेवो आजकल ।
.

शनिवार, 4 जून 2016

कर करुणा कर जोड़

कर करुणा कर जोड़  सत मारग चलणो सदा
ठावी मिलसी ठौड़ निज चरणन में नाथ रे  

मारवाड री ऐ सीखण जेडी बातों।   

मारवाड री ऐ सीखण जेडी बातों।   
                                                                
1.   चौखी संगत में रेणो ।
2.   काम ऊं काम करणो ।                 
3.   ऊड़तो तीर नी लेवणो । 
4.   घणो लालच नी करणो।
5.   सोच समझ पग राखणो। 
6.   रास्ते आवणो,  रास्ते जावणो ।           
7.   जितो हो सके उतो कम बोलणो ।
8.   छोटा मोटा रा कायदों राखणो ।                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                          9.   जितो पचे उतो ई खावणो।
      (पेट खुदरों होवे)                                                                                                                                                                                                                       10.  बीना पूछीया सलाह नी देवणी ।                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                    11.  पराई पंचायती नी करणी।                                                                                        12.  आटे मे लूण खटे,  लूण मे आटो नी।                                                                                       13.  पगा बलतो देखणो  डुंगर बलतो नी।                                                               14.  बीच में ही लाडे री भुवा नी बणनो ।
15.  सुणरी सबरी करणी मन री।

HISTORY OF JODHPUR : मारवाड़ का संक्षिप्त इतिहास

  Introduction- The history of Jodhpur, a city in the Indian state of Rajasthan, is rich and vibrant, spanning several centuries. From its o...

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