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शनिवार, 27 अगस्त 2016

इस्कूल भोत बदळीजग्या

राम राम सा !!

आजकाल इस्कूल भोत बदळीजग्या । टाबर भी एकदम छोटा छोटा इस्कूल जावै और मास्टरां गी जग्यां फूटरी फूटरी मैडम हुवै ।

म्हारै जमाने में आठवीं मैं भी दाढ़ी मूंछ हाळा इस्टूडेंट हुँवता .....दसवीं मै तो दो तीन टाबरां गा माईत भी पढ़ाई करता ।
और मास्टर गी तो पूछो मत ....धोती और खद्दर गो चोळो , एक एक बिलांत गी मूंछ ....जाणै जल्लाद है । ऊपर स्युं हाथ मै तेल स्युं चोपडेड़ो डंडो !!!

मैं टाबर हो जणा मन्नै इस्कूल जाणै गो भोत डर लागतो । अबै थे ही बताओ ......नहा धो गे , चला गे जाओ और क्यां खातर ? मास्टर जी कनु डंडा खाण खातर !!!
बेटी आ कठै गी स्याणप हुई ??

और मेरो दिमाग तो थे जाणो ....टाबरपणै स्युं ही तेज !!! तो मैं इस्कूल कोनी जांवतो ।

मेरी दादी एक दिन मन्नै बोली -
" जे मेरो राजा बेटो इस्कूल जासी तो मैं एक पताशो देस्युं "

मैं पताशै गै लालच में इस्कूल चल्यो गयो । मास्टर जी मन्नै दुवै गी भारणी पूछी । मन्नै भारणी आई कोनी..... और मास्टर जी मेरै एक डंडे गी फटकार दी ।

मैं पाटी -बरतो ले गे घरे आग्यो और जेब स्युं पताशो काढ गे दादी नै पाछो दे दियो कै -

" मास्टर जी मेरै डंडे गी मारी है .....तेरो पताशो काठो राख ।"

फेर एक दिन दादी बोली कै - "तूं सुखियै सागै इस्कूल चल्यो जा .....सुखियो तन्नै कूटण कोनी देवै "
सुख काको नौंवी में पढतो ....चोखो छ: फूटो जवान और मुंह पर  दाढ़ी मूंछ ।

मैं सोच्यो ओ काम ठीक है । सुख काको मन्नै कूटीजण कोनी देवै ।

दूसरै दिन मैं सुख काकै सागै इस्कूल ऊठ ग्यो ।

सूख काको पोथी खोल गे बैठ ग्यो और मैं सुख काकै गै सारै बैठ गे..... पाटी पर कोचरी गो चित्र कोरण लाग ग्यो ।

थोड़ी देर बाद मास्टर जी आया । लाल आँख और हाथ में डंडो .....जाणै जमदूत है ।

मेरो तो हाथ काँपण लागग्यो । मास्टर जी आंता पाण सुख काकै नै खड्यो करयो और सुवाल पूछ्यो -

" बोल सुखा .....तेराह चौका किता हुवै ?"

सुख काको तो काणो ऊँट नीम कानै देखै ज्यूँ देखण लाग ग्यो ।

मास्टर जी सुख काकै नै मुर्गो बणा दियो और..... लाग्या डंडा मारण नै । इयाँ तो धापेड़ो बावरी बळद नै ही कोनी कुटै ....जियां मास्टर जी सुख काकै नै कुटै !!

मेरी तो छाती गुल्लो काढ़ण लाग गी । तेरा भला हुवै .....जको बोडी गार्ड बणगे आयो बो तो और जोरगो कुटीजै !!!!

मैं तो पाटी बरतो बठै ही छोड़ दियो और तुतकियो लगाएड़ो रोजड़ो भाजै ज्यूँ भाज्यो ।

घरै पूग्यो जणा दादी बोली -" अरै आज तो सुखियो तेरै सागै हो .....फेर कियां पाछो आग्यो ?"

मैं बोल्यो - " बो तेरो सुखियो तो खुद औसर में गंडक कुटीजै ज्यूँ कुटीजण लाग रैहयो है "

शुक्रवार, 26 अगस्त 2016

नीं मिल़िया चार मिनख!!

नीं मिल़िया चार मिनख!!

गिरधरदान रतनू दासोड़ी
इतरै लंबै -चौड़ै
भारत में
किलबिलता
घणा ई दीसै
फगत कैवण रा मिनख!!
जिणां रै नीं नैण!
नीं कोई सैण!
नीं दिल नीं दरद!
फगत माटी रा पुतला है!
जिणां रै किसो धरम?
किसो करम?
पछै कठै मरम
अर कैड़ी शरम?
ऐ तो खुद ई वेदना है!
पछै संवेदना कठै सूं उपजेला?
कांई आप मानो हो!
कै कदै ई भाठां रै ई
होवै काल़जा!
जिकै पिघलता होवैला
पारखी पीड़ माथै!
म्है नीं सुणिया
नीं दीठा
कदै ई भाठां नै पसीजता!
किणी री कल़़पती काया
अर झरती आंख्यां माथै!!
कांई आप अजै ई मानो !
कै  मिनख जीवता है
अर उणां में कठै ई
कुणै में लुकियोड़ी
बैठी होसी मानवता!!
नीं आवै पतियारो!
आपरै मूंडै अबार ई
सुणी इण खबर पछै
कै एक भारत रो आद-अनादिवासी
आपरी जोड़ायत री मृत देह
घाल कांधै बुवो एकलो
कोसां दर कोसा!
फगत इणी आस में
कै कठै ई तो मिलेला चार मिनख!
जिणां में बसतो होवैला राम!
वै तो हालेला
म्हारै साथै मरघट तक
म्हारी सायधण नैं
मजलां पुगावण!
पण अड़थड़थै
किलबिलतै
इण रॉबेटां में
नीं मिलियो कोई मिनख
जिको एक मृत देह नै उखण
मुट्ठी लकड़ी
देवण नै हालतो समसाण तक।
कांई आप अजै ई मानो?
कै भारत मिनखां सूं
रातो -मातो देश है!!
गिरधरदान रतनू दासोड़ी

गोगा गुणमाल़ा

गोगा गुणमाल़ा -

गिरधरदान रतनू दासोड़ी
(महान राष्ट्रवादी वीर अर सांप्रदायिक सद्भाव रा प्रतख प्रमाण जाहर पीर गोगा चौहाण  रै नाम नैं समर्पित 'गोगा नम' री सगल़ै सैणां नैं कोटिशः बधाई।
हालांकि म्हारी आ रचना आप पढ चूका हो ,पण इण राष्ट्रीय गौरव रै दिन आपसूं पाछी साझा करण रो लोभ संवरण नीं कर सक्यो।)
गांम -गांम खेजड़ी अर गांम-गांम गोगो रो कैताणो चावो।मुंशी देवीप्रसाद गोगैजी रो समै1070वि. मानियो है।आई बात इतिहास वेता डाॅ दशरथ शर्मा ,चंद्रदान चारण आद विद्वानां मानी हैं। महमूद गजनवी सूं  सतलज नदी री रक्षा करतां  वीरगति वरणियै  गोगै रै साथै पैतालीस बेटा, सितर भतीजा , पांच जंवाई, गुणचाळीस बीजा भाई,बीजी जात रै कितैई राजपूतां  देश हितार्थ वीरगति वरी।
महावीर गोगा ददरेवा रा शासक हा।इणां  री मा नाम वाछल/बाछल अर पिता  रो नाम जेवर हो।
गोगो पूरै भारत रो जननायक है। देश रै खातर वीरगति  वरणियो ओ वीर लगैटगै सगळै उत्तर भारत में इणी खातिर  लोकदेवता रै रूप में संमपूंजित है। लोकदेवता गोगै नै लेयर  केई प्रवाद  प्रचलित है। म्है म्हारी इण छोटीसीक रचना सूं शब्दांजळी भेंट कर रैयो हूं।
                         दूहा
चढियो गजनी सूं चठठ,
मुहमदियो मछराळ।
हिंद पूरी नै हाण दे ,
भड़ बीकणिया भाळ।।1
घाव कियो गुजरात रै ,
पँचनद चूंथी पूर।
भिड़ कितां कंध भांजिया,
हेर लियो सब हूर।।2
सैंभरियां कानै सुणी ,
बीती धर री बात।
गोगो अड़ियो गाढ सूं ,
जम री लेय जमात।।3
अड़ियो नहको अडर नर ,
दळ गजनी रा देख।
मछरीकां उण पुळ मुदै,
टणकी राखी टेक।।4
छावो जेवर रो छतों ,
चावो वो चहुवाण
जोर गोगो भड़ जूझियो ,
मँडण भारत  माण।।5
             छंद रेंणकी
आयो दळ उरड़ गजन रो इळ पर , मुरड़ दूठ हिंदवाण मही।
जबरा जोधार राखिया झुरड़ै ,
सबळ कितां नै दुरड़ सही।
कितरां नै मुरड़ खायग्यो किलमो, चुरड़ पीयग्यो रगत चठै
भारत रो रिछक गोग भड़ भिड़ियो, जँग छिड़ियो जिणवार जठै।।1
माची चहुंकूंट कूट हद माची  ,
लूटपाट घर करी लखां।
फट फूट फिटळ उण उठा फायदो ,
थाट विडार्या पाण थकां।
हिंदवां री हाण काण बिन कीनी , भांज बिठाई जवन भठै।
भारत2
घाई गुजरात संपूंरण घावां,
देव सोम सूं नाय डर्यो।
मद में मचकूर होय उण मूरख ,
कटक लेय नै अटक  कर्यो।
भांज्यो उण आय म॔दर नै  भटकै ,
इक खटकै बिन बीह  उठै।
भारती3
तण तण कर सोर  जोर सूं  तणियो, कण कण उण पँजाब करी।
जण जण हहकार मार सूं जिणदिन , डग डग रैयत सपन डरी।
पग पग अनियाय धापनै पामर,
तरवारां घण घाण तठै।
भारत4
वीरत री वाट खाग बळ बैतो ,
चहुवाणां धर माथ चड़्यो।
कीरत रो बींद जेवर रो कँवरो ,
उण पुळ गोगो आय अड़्यो।
गौरव रो कोट  गंजनियां गँजण ,
वाह भंजण अरियाण बठै।
भारत5
छिड़ियो विकराळ छत्रधर छोगो  ,
जग जोगो  कुळभाण जयो।
चावो चहुवाण गाढ मे गोगो  ,
भाळ रूठ भुजंगाण भयो।
डरिया मन दूठ सांभ रण  डाकर हाकल सूं  तनहार हठै।
भारत6
ददरेवो अड़्यो महारण दाटक ,
काटक अरियां माथ करै।
झूड़ै दळ गजन तणा बळ झाटक ,
ताटक वारां मेह तरै
बहगी रगताण धार नद वळ वळ ,
घड़ मेछां घमसाण घटै
भारत7
तन रो नह सोच कियो तिल मातर ,
खातर भारत जाय खस्यो।
खड़ियो अस खीझ झाल कर खागां
,रीझ वीर रणताळ रस्यो।
जेवर रै सुतन मंडी झड़ चोटां ,
फड़ जवनां उदराण फटै
भारत8
मुहमद रो मछर  खंडियो मांटी ,
देयर आंटी पटक दियो
करवाळां झाट काढिया कांटा ,कज सैंभरियै अमर कियो।
जासी नह बात समै भलै जासी , अवनी गासी सुजस अठै।
भारत9
पड़िया रण पूत भाई रण पड़िया, राजपूत  रण  तूझ रया।
पड़िया  दामाद  गाढ सूं  पेखो ,
बीह धार नह हार बया ।
वाछल रा लाल वीरगत  पामी ,
जूझ हिंद रै काज जठै।
भारत10
पूजै प्रथमाद  घरोघर परगळ,
थान खेजड़ी मान थपै।
हिंदू किलमाण राख द्रढ हिरदै ,
आण आपरी नह उथपै।
मानै सब जात तनै लघु मोटा ,
मेटै ज्यांरां करम मठै।
भारत11
मांटीपो धार मात भू मंडण ,
सरब कबीलो साथ सही।
रहियो रणखेत हेत सूं   रांघड़,
कीरत हित चित गीध कहीं।
सुणजै चहुवाण  सनातन  साचै,
बाचै जिणरै आव बठै।
भारत12
         कवत्त
मंडण भारत माण,
आण इळ गोग उबारी।
मछरीकां कर मछर ,
धरा कज मरबा धारी।
अड़िया रण मे आय ,
सबळ दळ गोगै साथै।
मुहमद सूं  मनमोट ,
तणी तरवारां तातै।
तिल मात सोच काया तणो ,
कीरत लाडां नह कियो।
गीधियो कहै गोगै  गुणी ,
दान धरा तन रो दियो।।

सावण आयो सायबा, हियो हिलोरा खाय।

सावण आयो सायबा, हियो हिलोरा खाय।
जोड़ायत जोवै बाटड़ी, बैठ झरोखां मांय।।
जौबन छळकै जोररो र सावण सु़रंगो मास।
हीण्डो ऊंचो मांडियो, पिया मिलण री आस।।
धकधक धड़कै काळजो बीजळ जद चमकै।
गहरो गाजत बादळा तूं! कीड़्यां क्यूं छमकै।।
घरां पधारो पीवजी म्हारि रातां नींद उड़ी।
सीरो जिमास्यूं परेम रो र आछी साग पुड़ी।।
गुरबत करस्यां रात में र सगळी मन री बात।
अणमोलो छीज्यां जौबणोआवैलो नी हाथ।।
खेती करस्यां गांव में र गायां दुहस्यां च्यार।
रळमिळ टाबर पाळस्यां भली करै करतार।।

आ रे म्हारा समपमपाट!

आ रे म्हारा समपमपाट!-

गिरधरदान रतनू दासोड़ी
आ रे म्हारा समपमपाट!
हूं तनै चाटूं तूं म्हनै चाट!!
म्हारी चुगली तूं मत खाजै!
हुं नीं करसूं थारी काट!!
मिल़ियां मिल़सी माल मलिदा!
लड़ियां घर में लूखी घाट!!
म्हारो तूं नै,थारो हूं तो!
दुसमण री लागै नीं झाट!!
तूं म्हनै ढकजै,हूं तो ढकसूं
ऊबरसी दोनां री टाट!!
मरसी दूजां तिरसां  आपां!
भोगेला घर टाबर थाट!!
भाई म्हारी बात समझियां!
सत्ता री बिणलां ला खाट!!
तूं तो काढ राम नैं गाल़ां!
म्है कैसूं रहमाणो घाट!!
चितबगनो तो जण-जण.होसी
आ फससी आपां रै पाट!!
आधा थारै, आधा म्हारै!
मतोमती आ जासी फाट!!
म्हारी सीख बैवेलो बंधु!
खेत लेवांला सुदियां लाट!!
समझणिया तो रोता रैसी!
आपां दोनूं एकण वाट!!
गिरधरदान रतनू दासोड़ी

जोधपुर शहर जीमण का शहर

यह जोधपुर शहर जीमण का शहर है
यहाँ रोज रोज हर मोड मोड पर होता है कोई ना कोई जीमण
जन्म में होता तो, सूरज में भी होता है , बिदामो में होता है,  जीमण
चोटी में होता है, वर्षगाठ में होता है, होता है हर बात पे यहाँ तो जीमण
यह जोधपुर शहर जीमण का शहर है ….यहाँ रोज रोज हर मोड मोड पर होता है कोई ना कोई जीमण

जनेउ में होता,, मायरे में होता है, होता है खोला भराई , जीमण
सगाई में होता है , आड में होता है , खोला में होता है जीमण
यह जोधपुर शहर जीमण का शहर है ………..

बडाखोला - अमजर - जान में होता है जीमण
रिसपेंशन में होता है, इधर भी होता है उधर भी होता है जीमण
यह जोधपुर शहर जीमण का शहर है ………..

मरण में भी होता है , मासिसे में होता है ,
छमासी में भी  होता हे, वर्षी में भी  होता है जीमण
यह जोधपुर शहर जीमण का शहर है ………..

श्राद्ध में भी जीमण, छमछरी में भी जीमण
हर रूप् में होता है यहाँ केवल जीमण
यह जोधपुर शहर जीमण का शहर है ………..

सावाण में भी जीमण, पाटोत्सव में भी जीमण
धम्बोली का भी जीमण, बाबे मेले में भी  जीमण
यह जोधपुर शहर जीमण का शहर है ………..

होता है गौठो में  यहाँ तो जीमण
सवामणी में होता है, दिखावे मे होता है होता है, हर रूप में होता है जीमण
यहाँ रोज रोज हर मोड मोड पर हर धर्म में होता है जीमण
यह जोधपुर शहर जीमण का शहर

गुरुवार, 25 अगस्त 2016

मातृभाषा

अध्यापक -
टेबल पर चाय किसने गिराई ? इसेअपनी मातृभाषा मे बोलो ।

छात्र -
मातृभाषा मतलब मम्मी की भाषा में ?

अध्यापक - हां ।

छात्र - अरे छाती कूटा म्हारा जीव लियां बिना थने चैन नी पड़े ? ओ कीरो बाप ढोली चाय ?

अध्यापक बेहोश !

HISTORY OF JODHPUR : मारवाड़ का संक्षिप्त इतिहास

  Introduction- The history of Jodhpur, a city in the Indian state of Rajasthan, is rich and vibrant, spanning several centuries. From its o...

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