माण मिटाणा मीत-गिरधरदान रतनू दासोड़ी
बाजै देखो वायरो,
लाज उडावण लीक।
रलकीज्या ऐ रेत में,
ठाठ वडां रा ठीक।।1
मरट वडां रो मेटियो,
समै किया इकसार।
भरम अबै तो भायलां,
लेस न रैयो लिगार।।2
कठै गयो वो कायदो,
कठै गई वा काण।
फट्ट मिल़ै कीं फायदो,
वीरां!पड़गी बाण।।3
पैठ मेट परिवार री,
मोद करै मन मूढ।
डरता देखो डांगबल़
गैला बणग्या गूढ।।4
वडा -वडा के विटल़गा,
छती लाज जग छोड।
अधुनातन री आड़ में,
हिंया फूट सूं होड।।5
पह दिया मर पूरजां,
राखण कुल़वट रीत।
गेह जनमिया गादड़ा,
मांण मिटाणा मीत।।6
घर रो कुरब घटावियो,
वडकां जस नैं बोड़।
मगर-अगर में मोथिया,
डगर उंधोड़ी दौड़।।7
लेस लगै न लाभरी,
वडकां वाल़ी वाट।
बैठै जिथ करणा विटल़,
कुटल़ा वद वद काट।।8
विलल़ां सदन विगाड़ियो,
कर कर कोजा काम।
निरभै राम निकाल़ियो,
हित चित दियो हराम।।9
प्रीत नहीं मन पांगरै,
रखै नहीं घर रीत।
अंजसजोग अतीत रै,
चूंची दे बुरचीत।।10
स्वाभिमान नैं सिटल़ ऐ,
गिणै न आज गहीर।
लाज छोड लिपल़ापणै,
बोतां कियो वहीर।11
शंको रैयो न शर्म तिल,
रही न रीत रिवाज।
जात रसातल़ जाय री,
नेही किण पर नाज।।12
किसो 'चार' चालै कहो,
किसी घमँड री कत्थ।
गल सब छोड गुमेज री,
परी गमाई पत्त।।13
वाटां ऊंधी बह रह्या,
अधुनातन री ओट।
पटकै चवड़ै पापिया ,
खरी कमाई खोट।।14
सिटल़ै कामां सज्जना!
पिटै जात में प्रीत।
घटै काण घरवट तणी,
फल़ नित मिल़ै फजीत।।15
सधरो नहीं समाज नैं,
रेटो नितप्रत रीत।
पह मिल़सी सत पीढियां,
फोड़ा अनै फजीत।।16
सग्गा मन सोझो नहीं,
धन सग्गा सब धार।
जोवो इणविध जातरो,
सो किम होय सुधार।।17
रुपियां सूं रीझ्या रहै,
भूल न देखै भाव।
मन मोल़ै रा मानवी,
तन नैं मानै ताव।।18
कहो आज सँगठण किसो,
सबल़ कूणसो संघ।
कूण सधर अगवाण में,
भिल़ी कुवै में भंग।।19
गिनर गैलै री गांम नीं,
गिणै न गैलो गांम।
वडपण धार बतावजो,
कीकर सुधरै कांम।।20
चढ आसण झाड़ै चतुर,
भासण सखरा भास।
जदै मिल़ां घर जायनैं,
नेही करै निरास।।21
सूधी गाय समाज ओ,
गिण नेता लगडेल।
बातां सूं बुचकारनै,
झाड़ दूयलै झेल।।22
कितरी बधी कुरीतियां,
लिखण न आवै लेख।
कूण गमावै सच कहो?,
पांय कुत्ते री पेख!।।23
डोल़ा काढै देखलो,
रिदै बसै नीं राम।
बुरीगार बदनीत सूं,
कुटल़ विगाड़ै काम।।24
गल़ै मांय गेडी फसा,
बूझै सुखरी बात।
ज्यांनैं दुनिया जोयलो,
हरदम जोड़ै हाथ।।25
गिरधरदान रतनू दासोड़ी
शनिवार, 9 जुलाई 2016
माण मिटाणा मीत-गिरधरदान रतनू दासोड़ी
शुक्रवार, 8 जुलाई 2016
सीए
लड़के के पिता लड़की
देखने गए
लडकी के पिता से कहा
लड़की क्या करती है ?
पिता ने कहा : सीए है ।
भाई क्या करते हैं ?
सीए है ।
मम्मी क्या करती है ?
सीए है ।
आप भी ???
हाँ साब ।।।
पिता बहुत खुश
आपका आफिस कहां है?
सब काम घर पर ही होवे...
मैं कटिंग करू ने ई सब
घाघरा ब्लाउज सीए है ।
।।।।
गुरुवार, 7 जुलाई 2016
सुरराज करी गजराज सवारिय-गिरधरदान रतनू दासोड़ी
दूहो
आज करी थल़ ऊपरै,
गज चढ गाज गहीर।
राज सुरांपत रीझियो,
भुई सज आयो भीर।।
छंद -रोमकंद
उमड़ी उतराद अटारिय ऊपड़,
कांठल़ सांम वणाव कियो।
चित प्रीत पियारिय धारिय चातर,
आतर जोबन भाव अयो।
वसुधा धिनकारिय आघ बधारिय,
वा बल़िहारिय बात बही।
सुरराज करी गजराज सवारिय,
मौज वरीसण आज मही।।
जियै ,मौज समापण राज मही।।1
धड़ड़ै धड़ड़ै धर ऊपर धाहुड़,
गाढ करै गड़ड़ै गड़ड़ै।
अड़ड़ै अड़ड़ै द्रब नीर सु आपण,
हेर हँसी इल़ यूं हड़ड़ै।
कड़ड़ै कड़ड़ै चमकी चपल़ा कर,
साच विजोगण दाह सही।
सुरराज करी गजराज सवारिय,
मौज वरीसण आज मही।
जियै,मौज समापण राज मही।।2
मन चाव अहो मघवान मरूधर,
कोड उपाव उछाव कियो।
पड़ बीज पल़ाव पल़ापल़ पाधर,
देव उमाव सुदाव दियो।
सुध नीर भराव तल़ाव- सरोवर
थाट वल़ोवल़ हाट थही।
सुरराज करी गजराज सवारिय,
मौज वरीसण आज मही।
जियै, मौज समापण राज मही।।3
हल़ जोतण खेत सुहेत हल़ध्धर,
बीजरु जूंगरु लेय बुवा।
मनभावण सूण मनाविय मोदर,
हाम सपूरण त्यार हुवा।
भतवारण प्रीत धरी उर भारिय,
लोभ सु खारिय सीस लही।
सुरराज करी गजराज सवारिय,
मौज वरीसण आज मही।
जियै,मौज समापण राज मही।।4
धव आवण सूं धरिया धरती धिन,
हेर सुअंबर ऐ हरिया।
करिया मन कोड कितायक कामण,
पेख सँताप हुवा परिया।
सरिया सब काज सताबिय सामण,
भामण भोम निहाल भही।
सुरराज करी गजराज सवारिय,
मौज वरीसण आज मही।
जियै,मौज समापण राज मही।।5
खल़कै जल़ खाल़ सुगाढ खतावल़,
अंग नदी हद ऊफणियै।
तणियै दरियाव दिसी कर ताकड़,
वाम सुहागण यूं बणियै।
भणियै भरतार तणो सुख भावण,
लोयण जोबन लोम लही।
सुरराज करी गजराज सवारिय,
मौज वरीसण आज मही।
जियै,मौज समापण राज मही।।6
पह धूड़ रुकी उडती थल़ पाधर,
पात तरव्वर पांगरिया।
पद मोर नचै सुण घोर पुरंदर,
सांम सबै सुख सांभरिया।
किरपाल़ दटावण काल़ कराल़ नुं,
मेटण ग्रीखम ताप मही।
सुरराज करी गजराज सवारिय,
मौज वरीसण आज मही।
जियै,मौज समापण राज मही।।7
मधरी मधरी सुण टेर सुमोहक,
बाल़ ग्वाल़ रि बांसुरिया।
सुरभी दल़ टोकर साद सुहावण,
ऐवड़ जंगल़ ऊछरिया।
चरिया वन लील सबै जद चौपग,
रीझ अबै वनराय रही।
सुरराज करी गजराज सवारिय,
मौज वरीसण आज मही।
जियै,मौज समापण राज मही।।8
सज रूप ललाम सलाम सहेलिय,
ताम सजी तन तीजणियां।
मनरंजण बाग बही मतवाल़िय,
राग सुरीलिय रीझणियां।
हर पूरण भाम जची हद हींडण,
गात रसीलिय सार गही।
सुरराज करी गजराज सवारिय,
मौज वरीसण आज मही।
जियै,मौज समापण राज मही।।9
हरियाल़िय खेत हुई मनहारण,
बेख खुसी धर बादरियां।
बग जाय अकास करेवाय बंतल़,
वाद चढी धिन बाजरियां।
लहराय रही फसलां चित लोभत,
सोभत सुंदर नाज सही।
सुरराज करी गजराज सवारिय,
मौज वरीसण आज मही।
जियै,मौज समापण राज मही।।10
चित चैन हुवो सबरै मन चायक
बात सुलायक ऐम बणी।
सुखदायक होय सहायक सांप्रत,
धाम सुधायक भोम धणी।
गुण 'गीध' गहीर प्रफुल्लत गायक,
कत्थ कवेसर मांड कही।
सुरराज करी गजराज सवारिय,
मौज वरीसण आज मही।
जियै,मौज समापण राज मही।।11
गिरधरदान रतनू दासोड़ी।
मंगलवार, 5 जुलाई 2016
हर काम उन्दो वेईरो
हर काम उन्दो वेईरो
पेली माँ बाप आँख्या काढ़ता,
अबे छोरा छोरी आँख्या काडिरा ।
पेली मास्टर स्कूला में दरपावता,
अबे छोरा वणाने दरपाईरा ।
पेली ईमानदारा री चालती,
अबे बेईमाना री चालिरी ।
पेली छोर्या पूरा गाबा पेरती,
अबे ओगड़ बाबा वणीन फरिरी ।
पेली भणाई बोझ ढोवती,
अबे छोरा भणाई रो बोझ ढोईरा ।
पेली नोर्मल डिलेवरी वेवती,
अबे पेट फाड़िन काड़िरा ।
पेली टाबरा ने हाथ पकड़िन चलावता,
अबे बुजुर्ग खुद गडोळ्या चालिरा ।
पेली लोग अन्न खावता,
अबे अन्न वणाने खाईरो ।
पेली लुगाया पाछे चालती,
अबे सबऊ आगे चालिरी ।
पेली लगाया मुन्डो ढाकती,
अबे मनक मुन्डो ढाकिरा ।
पेली राजन सरस्वती आगे चालती,
अबे लछमी आगे चालिरी ।
पेली भगत भगवान ने होदता,
अबे भगवान भगत ने होदिरा ।
पेली हर काम हुदो वेवतो,
अबे हर काम उन्दो वेईरो
हर काम उन्दो वेईरो
रविवार, 3 जुलाई 2016
म्हारो चतर हार गयो।
राज री गोळयाँ बण निशाणो,
म्हारो चतर हार गयो।
मायड़ हिवड़े हुक छोड़ क
बेटो स्वर्ग सिधार गयो।।
कद तांई इस्यो ही राज चाल सी
कद तांई चिता में आग लाग सी।
बेटा री अर्थी न कद तक
बूढ़ा बाप रा कन्धा लाग सी।।
माँ बापां री पोळ्यां कर सूनी
घर रो तो हकदार गयो।
राज री गोळयाँ बण निशाणो,
म्हारो चतर हार गयो।।
किण कसूरां छाती धसिया
तीर दंश रा राजां रा।
बिना कसुरां मिल्या मौत सूं
पूत पळेड़ा नाजां रा।।
बिन बीजायो तो खेत छोड़ क
खेत रो सांझेदार गयो।
राज री गोळयाँ बण निशाणो,
म्हारो चतर हार गयो।।
भरी जवानी देख्यो क्यों ना
ना देखी दुनियांदारी न
घरां रोवंती मायड़ छोड़ी
छोड़ी बहन बिचारी न।
कुळ रो कुळ दीपक बुझगयो।
बाप रो लठ्ठेदार गयो।
राज री गोळयाँ बण निशाणो,
म्हारो चतर हार गयो।।
भायाँ रो तो भाई बिछड़ग्यो
बहण धीरजड़ो खोवाण लागी।
आकाशं सूं आसूँ टपक्या
धरा थार री रोवण लागी।।
छाती लाग्यो शेल राज रो
खाली नी कोई वार गयो।
राज री गोळयाँ बण निशाणो,
म्हारो चतर हार गयो।।
न्याय करणीया अन्यायी बणग्या
खून सूं रंगली वर्दी न।
झुक्यो तराजू इंसाफी
ख़ारिज करदी अर्जी न।।
चाली वाड़ो आयो राज रो
जनता रो स्वीकार गयो।
राज री गोळयाँ बण निशाणो,
म्हारो चतर हार गयो।।
शनिवार, 25 जून 2016
हॉस्यां हीयौ खिलै
* ऊनाळा रा दिनों में एक मिठाई वाळौ मिठाई री दुकान माथै बैठो हो । गिराक नी आवण सूं दुकान माथै बैठो बैठो उबासियाँ खा रियौ थो ।ऐक मारवाड़ी उण दुकान रै आगै सूं निकळतौ मिठाईवाळा नै ऊबासी खावतौ दैख नै पूछियौ --- " सेठजी ! ऊबासियां कांई खावौ ?
सेठजी बोल्या --- " तो पछै काई खावौ ? "
मारवाड़ी बोल्यौ --- " मिठाई खावौ कोनी । आ घणीं पड़ी है नी । "
सेठ जी बोल्या --" कयूं ? म्हारै टाबरियौ नै रूळावणा परा ?"
मारवाड़ी बौल्यौ --- " आप अठीनै आवो । मन्नै मिठाई खावण दो । मिठाई खावणां सूं टाबरिया रूळता होवै तो म्हारा टाबरिया छो रूळता ।"
सेठ उण मारवाड़ी रो मुंडों दैखतो रियौ ।
शुक्रवार, 24 जून 2016
आपणां बडेरा
आपणां बडेरा
-------------------
आला बंचता नीं आप सुं सूखा कोई रा बाप सुं
बडेरां रो काम चालतो अंगूठा री छाप सुं
दीखणं में गिंवार हा लाखां रो बिजनस कर लेंता
ब्याजूणां दाम दियां पेली अडाणें गेणां धर लेंता
धोती लोटा ले जांता हा धन री पोटां ले आंंता हा
ढाका सुं मलमल ल्यांता हा लाहोरी लोटा ल्यांता हा
च्यार महीनां खपता हा बारा महीनां खांता हा
आणां टाणां औसर मौसर दस दस गांव जिमांता हा
एक लोटो हूंतो हो सगला घर रा निपट्यांता हा
दांतणं खातर नीमडा री डाली तोड लियांता हा
होकां रा हबीड ऊठता चिलम भरयोडी राखता
गाय भौंस रा धीणां हा बलदां री जोडी राखता
परणींजण नें जांवता हा ऊंट बलद रा गाडां में
हनीमून मनाय लेंवता भैंसियां रा बाडा मैं
न्यारा न्यारा रूम कठै हा कामलां रा ओटा हा
पोता पोती पसता पसता दादी भेला सोंता हा
सात भायां री बेनां हूंती दस बेटां रा बाप हूंता
भूखो कोई रेंवतो कोनीं मोटा अपणें आप हूंता
मा बापां रे सामनें फिल्मी गाणां गांता कोनीं
घरवाली री छोडो खुद रा टाबर नें बतलांता कोनीं
कारड देख राजी हूंता तार देखकर धूजता
मांदगी रा समाचार मरयां पछै ही पूगता
मारवाडी में लिखता लेणां आडी टेडी खांचता
लुगायां रा लव लेटर नें डाकिया ही बांचता
च्यार पांच सोगरा तो धाप्योडा गिट ज्यांवता
खेजडी रा छोडा खार काल सुं भिड ज्यांवता
लुगायां घर में रेंती मोडा पर कोनीं बैठती
साठ साल की हू ज्यांती बजार कोनीं देखती
बाडा भरयोडा टाबर हूंता कोठा भरिया धान हा
पैदा तो इंशान करता पालता भगवान हा
कोडियां री कीमत हूंती अंटी में कलदार रेंता
लुगायां री पेटियां में गेणां रा भंडार रेंता
भाखरां पर ऊंचा म्हेल मालिया चिणायग्या
आदमी में ताकत किती आपां नें समझायग्या
पाला जांता मालवे डांग ऊपर डेरा हा
दूजा कोनीं बे आपणां बडेरा हा
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Introduction- The history of Jodhpur, a city in the Indian state of Rajasthan, is rich and vibrant, spanning several centuries. From its o...
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