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मंगलवार, 14 जून 2016

थोड़ा नहीँ खूब हसोला

थोड़ा नहीँ खूब हसोला

जोधपुर में GPS शुरू हुयो । एक भा सा आप रे फोन में इनस्टॉल कियो ।

 भा सा टेस्ट करण री सोची । भाटी सॉफ़्टी सू रवाना हुआ । 

फीड कियो जालोरी गेट सू चतुर्भुज री दूकान ।
जीपीएस ऑन ।

आवाज़ आई - भा सा 50 मीटर सीधा चालजो बाद में नाजरजी री बावड़ी री तरफ जीवणे हाथ कनी मुड़ जाईजो सा ।

भा सा चालता रेया, एकदम सीधा । मोड़ आयो जीपीएस बोलियो - हुकम जीवणे हाथ मुड़ जावो सा ।

भा सा नहीं मुड़िया । आगे चालता रेया । पुष्टिकर स्कूल आई । जीपीएस बोलियो - भा सा 20 मीटर बाद जाळप कनी जीवणे मुड़ जाइजो सा और एकदम सीधा चालजो बाद में ।

भा सा भेर नहीं मुड़िया, आगे चालता रेया ।

जीपीएस बोलियो - भा सा, ज़वरी बाजार आवे जरे बनिये बाड़े वाळे रास्ते जीवणा मुड़ जाईजो और बिस्सों रे चौक साइड चालजो ।

भा सा अनसुनी कर ने भेर आगे बढ़ गया । जीपीएस खीजियो ।

गुस्से में बोलियो - हमें खाण्डे फ़लसे सू भीमजी री हथाई कनी जीवणा मुड़ जाइजो नहीं तो आगे मैं बोलुला कोनी हो ।

भा सा रे की फरक कोनी पड़ियो ।
पिपळीया महादेव जी आया । न भा सा मुड़िया जीवणे कनी और न ही जीपीएस बोलियो ।

आखिर में भैरजी री हॉटेल पहला भा सा रुकिया, पॉन खायो और जीवणे हाथ कनी मुड़िया और ज्यूँ ही मोहनजी री दूकान पार की, जीपीएस खीजियोड़ो बोलियो ' भा सा, थोने खुद रे हिसाब सू इज अगर चालणो है तो म्होने किण वास्ते इंस्टॉल कियो बाळीयो हो, आगो डिलीट इज ठोक नोको नी । 

कायो कर नोकियो है।'

भा सा मंद मंद मुस्कुराया ने बोलिया ' जीपीएस भा, जोधपुर री गळीयों है, अठे थे कई थोरा पड़ दाजी आ जावे तो भी फेल इज हुई ।'

शनिवार, 11 जून 2016

करम खोडला बण्या सूल्डा,

.
करम खोडला बण्या सूल्डा, मनख निमटता हेरै।
बाड़े बाड़े टीबां टीबां देसी इबके फेरै।।
कोई निरखै मात पिता नै, कोई राम-रहीमा।
खोटी करणी गुरु जूण की, इस्या दिया है जिम्मा।।
दिन उगतां ही निरखे नागा, और नरक का कूण्डा।
फोटू खींचे लौट्या सागै, घणा लागसी भूण्डा।।
खूब करी रै रामजी, गुरुदेव के मांय।
घणा मान मनुवार दे सूअर दिया बणाय।।
निमटण लागी डावड़ी, फोटू लीनी त्यार।
जूती लीनी हाथ में पडी टाट पर मार।।
पडी टाट पर मार गुरूजी भागण लाग्या।
छाती फूली सांस पसीना टपकण लाग्या।।
वा वा रै सरकार, हुकुम से होग्या नरतण।
फोटू खींच्या गुरु, डावड़ी लागी निमटण।।

रोजीने अठिनकर ही ......

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बंगाली-
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मारवाड़ी-
        रोजीने अठिनकर ही जावे काईरे???

गुरुवार, 9 जून 2016

करम खोडला बण्या सूल्डा,

.
करम खोडला बण्या सूल्डा, मनख निमटता हेरै।
बाड़े बाड़े टीबां टीबां देसी इबके फेरै।।
कोई निरखै मात पिता नै, कोई राम-रहीमा।
खोटी करणी गुरु जूण की, इस्या दिया है जिम्मा।।
दिन उगतां ही निरखे नागा, और नरक का कूण्डा।
फोटू खींचे लौट्या सागै, घणा लागसी भूण्डा।।
खूब करी रै रामजी, गुरुदेव के मांय।
घणा मान मनुवार दे सूअर दिया बणाय।।
निमटण लागी डावड़ी, फोटू लीनी त्यार।
जूती लीनी हाथ में पडी टाट पर मार।।
पडी टाट पर मार गुरूजी भागण लाग्या।
छाती फूली सांस पसीना टपकण लाग्या।।
वा वा रै सरकार, हुकुम से होग्या नरतण।
फोटू खींच्या गुरु, डावड़ी लागी निमटण।।

कुछ बचे हुए काम जो 'गुरूजी' को दिए जा सकते हैं-
-नाली साफ़ करना
-नेताओं के बच्चों को गोद में रखना
-आवारा कुत्तों की गणना करना
-खेतों में चिड़िया उड़ाना
-ब्याह शादी में जूते चप्पल का ध्यान रखना
-सर्वजनिज स्थानों पर मूतने वालों को पकड़ना
-पेड़ पौधों की गिनती रखना उन्हें काटने की सुचना सरकार को देना।
-सार्वजनिक भवनों पर रंगाई पुताई करना
-नहाने वालों पर नजर रखना एक बाल्टी से ज्यादा पानी काम लेने पर सुचना देना
-आवारा पशुओं का जगह जगह पड़ा गोबर इकट्ठा करना
-नोकरी बचाने और स्पष्टीकरण से बचने के लिए नामांकन वृद्धि हेतु अधिकतम बच्चे पैदा करने की सलाह देना
-चूल्हा जलाने वाले घरों में गैस कनेक्शन लगवाना।
-अधिक मोटे लोगों को नाडा बाँधने में सहायता करना
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बुधवार, 8 जून 2016

इंतजार चौमासा रो,

इंतजार चौमासा रो,
बिरखा बरसी सांतरी, मुरधर जागी आस ।
कोठा भरसी धान रा, डांगर चरसी घास ।।

हाळी हळड़ा सांभिया, साथै साम्भ्या बीज ।
खेतां ढाणी घालसी, स्यावड़ गई पसीज ।।

ऊंचै धोरै बाजरी, ढळवोँ बीजूं ग्वार ।
बिच्च बिच्च तूंपूं टींढसी, मतीरा मिश्रीदार ।।

ऊंचै धोरै टापरी, साथै रैसी नार ।
दिनड़ै करां हळोतियो, रातां बातां त्यार ।।

काचर काकड़ कीमती, मतीरा मजेदार ।
मोठ मोवणा म्होबला, धान धमाकैदार।।

आभै गाजी बादळी, मुरधर नाच्या मोर ।
जीया जूण खिलखिली, देख घटा घनघोर ।।

आभै चमकी बीजळी, मनड़ै जाग्यो मोह ।
बादळ राजा बरससी, मिटसी पिया बिछोह ।।

छमछम बरसै बादळी, धम धम नाचै मोर ।
धरती माथै रूंखड़ा, घालै घूमर जोर ।।

बादळ ऐड़ा ओसरया, मुरधर करियो वास ।
धरती आली सांतरी, करसां पूरी आस ।।

डेडर जीभां खोल दी, भरिया देख तळाब ।
कोयल वाणी सांचरी, मुरधर उमड़ी आब।।

जै जै राजस्थान

मंगलवार, 7 जून 2016

चेतक पर चढ़ जिसने , भाला से दुश्मन संघारे थे...

चेतक पर चढ़ जिसने , भाला से दुश्मन संघारे थे...
मातृ भूमि के खातिर , जंगल में कई साल गुजारे थे...

झुके नही वह मुगलोँ से,अनुबंधों को ठुकरा डाला...
मातृ भूमि की भक्ति का, नया प्रतिमान बना डाला...

हल्दीघाटी के युद्ध में, दुश्मन में कोहराम मचाया था...
देख वीरता राजपूताने की , दुश्मन भी थर्राया था...

बलिदान पर राणा के, भारत माँ ने, लाल देश का खोया था...
वीर पुरुष के देहावसान पर, अकबर भी फफक कर रोया था...

भारत माँ का वीर सपूत, हर हिदुस्तानी को प्यारा हे...
कुँअर प्रताप जी के चरणों में, सत सत नमन हमारा हे...

मायड़ थारो वो पुत कठे?

मायड़ थारो वो पुत कठे?,
वो एकलिंग दीवान कठे?
वो मेवाड़ी सिरमौर कठे?,
वो महाराणा प्रताप कठे?
हळदीघाटी में समर में लड़यो,
वो चेतक रो असवार कठे?
मायड़ थारो वो पुत कठे?
वो एकलिंग दीवान कठे?
वो मेवाड़ी सिरमौर कठे?
वो महाराणा प्रताप कठे?
मैं बाचों है इतिहासां में,
मायड़ थे एड़ा पुत जण्या,
अन-बान लजायो नी थारो, रणधीरा वी सरदार बण्या,
बेरीया रा वरसु बादिळा,
सारा पड ग्या ऊण रे आगे,
वो झुक्यो नही नर नाहरियो, हिन्दवा सुरज मेवाड़ रतन
मायड़ थारो वो पुत कठे?
वो एकलिंग दीवान कठे?
वो मेवाड़ी सिरमौर कठे?
वो महाराणा प्रताप कठे?
ये माटी हळदीघाटीरी लागे केसर और चंदन है,
माथा पर तिलक करो इण रो इण माटी ने निज वंदन है.
या रणभूमि तीरथ भूमि,
दर्शन करवा मन ललचावे.
उण वीर-सुरमा री यादा हिवड़ा में जोश जगा जावे.
उण स्वामी भक्त चेतक री टापा, टप-टप री आवाज कठे?
मायड़ थारो वो पुत कठे?
वो एकलिंग दीवान कठे?
वो मेवाड़ी सिरमौर कठे?
वो महाराणा प्रताप कठे?
संकट रा दन देख्या जतरा,
वे आज कुण देख पावेला,
राणा रा बेटा-बेटी न,
रोटी घासरी खावेला
ले संकट ने वरदान समझ,
वो आजादी को रखवारो,
मेवाड़ भौम री पति राखण ने, कदै भले झुकवारो,
चरणा में धन रो ढेर कियो,
दानी भामाशाह आज कठे?
मायड़ थारो वो पुत कठे?
वो एकलिंग दीवान कठे?
वो मेवाड़ी सिरमौर कठे?
वो महाराणा प्रताप कठे?
भाई शक्ति बेरिया सूं मिल,
भाई सूं लड़वा ने आयो,
राणा रो भायड़ प्रेम देख,
शक्ति सिंग भी हे शरमायों,
औ नीला घोड़ा रा असवार,
थे रुक जावो-थे रुक जावो
चरणा में आई प़डियो शक्ति, बोल्यो मैं होकर पछतायो.
वो गळे मिल्या भाई-भाई,
जूं राम-भरत रो मिलन अठे.
मायड़ थारो वो पुत कठे?
वो एकलिंग दीवान कठे?
वो महाराणा प्रताप कठे?,
वो मेवाड़ी सिरमौर कठे?
वट-वृक्ष पुराणॊं बोल्यो यो,
सुण लो जावा वारा भाई
राणा रा किमज धरया तन पे, झाला मन्ना री नरवारी
भाळो राणा रो काहे चमक्यो, आँखां में बिजली कड़काई,
ई रगत-खळगता नाळा सूं,
या धरती रगत री कहळाई
यो दरश देख अभिमानी रो जगती में अस्यों मनख कठे?
मायड़ थारो वो पुत कठे?
वो एकलिंग दीवान कठे?
वो मेवाड़ी सिरमौर कठे?
वो महाराणा प्रताप कठे?
हळदीघाटी रे किला सूं
शिव-पार्वती रण देख रिया
मेवाड़ी वीरा री ताकत,
अपनी निजरिया में तौल रिया.
बोल्या शिवजी-सुण पार्वती मेवाड़ भौम री बलिहारी
जो आछा करम करे जग में,
वो अठे जनम ले नर-नारी.
मूं श्याम एकलिंग रूप धरी सदियां सूं बैठो भला अठे.
मायड़ थारो वो पुत कठे?
वो एकलिंग दीवान कठे?
वो मेवाड़ी सिरमौर कठे?
वो महाराणा प्रताप कठे?
मानवता रो धरम निभायो है, भैदभाव नी जाण्यो है
सेनानायक सूरी हकीम यू राणा रो……….चुकायो हे
अरे जात-पात और ऊंच-नीच री बात अया ने नी भायी ही
अणी वास्ते राणा री प्रभुता जग ने दरशाई ही
वो सम्प्रदाय सदभाव री मिले है मिसाल आज अठे.
मायड़ थारो वो पुत कठे?
वो एकलिंग दीवान कठे?
वो मेवाड़ी सिरमौर कठे?
वो महाराणा प्रताप कठे?
कुम्भलगढ़, गोगुन्दा, चावण्ड, हळदीघाटी ओर कोल्यारी
मेवाड़ भौम रा तीरथ है,
राणा प्रताप री बलिहारी,
हे हरिद्वार, काशी, मथुरा, पुष्कर, गलता में स्नान करा,
सब तीरथा रा फल मिल जावे मेवाड़ भौम में जद विचरां.
कवि “माधव" नमन करे शत-शत, मोतीमगरी पर आज अठे.
मायड़ थारो वो पुत कठे?
वो एकलिंग दीवान कठे?
वो मेवाड़ी सिरमौर कठे?
वो महाराणा प्रताप कठे?
अरे आज देश री सीमा पर
संकट रा बादळ  मंडराया,
ये पाकिस्तानी घुसपेठीया,
भारत सीमा में घुस आया,
भारत रा वीर जवाना थे,
याने यो सबक सिखा दिजो,
थे हो प्रताप रा ही वंशज,
याने यो आज बता दिजो,
यो काशमीर भारत रो है,
कुण आज आंख दिखावे आज
अठे.
मायड़ थारो वो पुत कठे?
वो एकलिंग दीवान कठे?
वो मेवाड़ी सिरमौर कठे?
वो महाराणा प्रताप कठे?

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