एक अवार्ड गांव के उन बुढऊ ताऊओं को भी मिलना चाहिये ......
..
..
..
..
जो घूंघट वाली औरतों को भी देखकर बता देते कि ये फलाने की बहू है !!
गुरुवार, 2 जून 2016
फलाने की बहू
चुमट्या
विद्यार्थी 1 :-- सर ये मेरे चुमट्या भर रहा है ।
विद्यार्थी 2 :-- सर इसने मेरी कॉपी में कुचल्डे कर दिए ।
अध्यापक :-- छाने हो जाओ वरना गाढ़ा दुचूंगा ।
conversation from
(राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय )
बुधवार, 1 जून 2016
Proud to Be A Rajasthani
A Poem On Rajasthan.. Proud to Be A Rajasthani
आँखों के दरमियान मैं गुलिस्तां दिखाता हुँ,
आना कभी मेरे देश मैं आपको राजस्थान दिखाता हुँ|
खेजड़ी के साखो पर लटके फूलो की कीमत बताता हुँ,
मै साम्भर की झील से देखना कैसे नमक उठाता हुँ!
मै शेखावाटी के रंगो से पनपी चित्रकला दिखाता हुँ,
महाराणा प्रताप के शौर्य की गाथा सुनाता हुँ|
पद्मावती और हाड़ी रानी का जोहर बताता हुँ,
पग गुँघरु बाँध मीरा का मनोहर दिखाता हुँ|
सोने सी माटी मे पानी का अरमान बताता हुँ,
आना कभी मेरे देश मै आपको राजस्थान दिखाता हुँ|
हिरन की पुतली मे चाँद के दर्शन कराता हुँ,
चंदरबरदाई के शब्दों की वयाख्या सुनाता हुँ|
मीठी बोली, मीठे पानी मे जोधपुर की सैर करता हुँ,
कोटा, बूंदी, बीकानेर और हाड़ोती की मै मल्हार गाता हुँ
|पुष्कर तीरथ कर के मै चिश्ती को चाद्दर चढ़ाता हुँ,
जयपुर के हवामहल मै, गीत मोहबत के गाता हुँ|
जीते सी इस धरती पर स्वर्ग का मैं वरदान दिखाता हुँ,
आना कभी मेरे देश मै आपको राजस्थान दिखाता हुँ||
कोठिया दिखाता हुँ, राज हवेली दिखाता हुँ,
नज़्ज़रे ठहर न जाए कही मै आपको कुम्भलगढ़ दिखाता हुँ
|घूंघट में जीती मर्यादा और गंगानगर का मतलब समझाता हुँ,
तनोट माता के मंदिर से मै विश्व शांति की बात सुनाता हुँ|
राजिया के दोहो से लेके, जाम्भोजी के उसूल पढ़ाता हुँ,
होठो पे मुस्कान लिए, मुछो पे ताव देते राजपूत की परिभाषा बताता हुँ|
सिक्खो की बस्ती मे, पूजा के बाद अज़ान सुनाता हुँ,
आना कभी मेरे देश मै आपको राजस्थान दिखाता हुँ||
रविवार, 29 मई 2016
बाळेसर री खाणिया
बाळेसर री खाणियां
घणो जोर रो झटको लागो,
पङियो दिल रो दौरो।
ताङ तोङ ने पैसा लाता,
मनङो हो तो सौरो॥
टाबर सौरा,टींगर सौरा,
सौरा भाई अर सैण।
बंद करीह ए खाणियां,
कींया करीह आ दैण॥
पेली तो डोडा रुकवाया,
अब रुकवायी खाण।
कांई करूं रे जीवङा,
पव्वो मिळे न पाण॥
फोकट म्हे फेरा खाङे,
गोता खाङे च्यार।
बिना तळे रा लोटिया,
बोट बगत त्यार॥
टींगर तो टळ्ळाटा करेह,
लुगाई मारे लात।
बाळेसर री खाणियां,
ओ प्रवासी मीनका !
छोड़ चलो गुजरात !!!
डोडी रै बिन डील
डोडी रै बिन डील
पङया है गोडा पाधरा,बिन डोडा बालम ।
झरती आंख्यां झेपता ,तङफै नवतालंम ।
तङफै नवतालंम,कि आलम छायो ऐङौ ।
आसंग रही न संग,कयो नी जावै कैङो ।
कहे"गिरधर"कविराय-"रै सुणलै राजे राणी ।
डोडी दे दातार,पङी हालत पतळांणी ।।
"डोडा देवो डोकरी,गोडा गया है गिर ।
डील उठंतां डगमगै,झरै नैण झिरमिर ।
झरै नैण झिरमिर,तिमिर दीसै चहूं तरफां ।
आळस छायो अंग,डील बिन डोडां डरपा ।
कहे"गिरधर"कविराय-"मती लो हाय हमारी ।
भळै नी देवां भूल,बोट म्है अब की बारी ।।"
"कोङी कज ना ही करै,डोडी रै बिन डील ।
रोक लगा दी राज री,खरा ज दीना खील ।
खरा ज दीना खील ,पील वरणी तन पङियो ।
दिखतो आंटो डील,लील बिन रण में लङियो ।
कहे"गिरधर"कविराय-जे रोको दारू "राजे" ।
करो जे ऐङो काम,साख थांरी जद साजै ।।"
जी.डी.बारहठ
गुरुवार, 12 मई 2016
जोधपुर स्थापना दिवस
"अपणायत" की इस नगरी के जहाँ " खंडे" यानी इमारती पत्थर प्रसिद्ध है वहीँ इसके " खावण खंडे" यानी खाने- पीने के शौकीन मशहूर हैं। इस शहर की आबोहवा में प्यार को महसूस करने वाले जानते है कि दिन कही भी गुजरे परन्तु शाम को किले के दर्शन जरुरी हैं।
राव सिंहा जी, राव जोधा जी की इस नगरी को राव मालदेव ने विस्तार व चंद्रसेन ने स्वाभिमान दिया। दुर्गादास राठोड़ व मुकनदास खींची ने इसकी सेवा की और मीरा माता ने सोभाग्य प्रदान किया। पत्थर के मेहरानगढ़ की नीव में राजाराम मेघवाल ने अपनी जिंदगी कुर्बान की।
आज इस शहर का अन्तर्राष्ट्रीय टूरिंग मैप में विशेष स्थान इसके नीले रंग से पुते निवास स्थानों से है और सूर्य देवता की पहली किरण यहाँ आशीर्वाद देती है। पहले इसे मारवाड़ अब इसे ब्लू सिटी और सन सिटी कहा जाता हैं।
आप यहाँ पधारे और यहाँ की मावा की कचोरी, मिर्चीबड़ा और माखनिया लस्सी नहीं जीमे तो बात नहीं बनेगी। यहाँ के लोग तो खाने की थाली देखकर बता देते है कि लड्डु मोहनजी की दूकान का है और गुलाबजामुन चतुर जी के हाथो से बना हैं।
शहर के सातो दरवाजो की बात निराली है, उम्मेद पैलेस जहाँ ताजमहल की याद दिलाता है वहीँ मेहरानगढ़ दुश्मनो में ख़ौफ़ पैदा करता है। कायलाना जल का स्त्रोत है वही मंडोर इतिहास को समझने का केंद्र है।
यहाँ की वाणी और यहाँ का पानी बहुत मीठा है। यहाँ आओ तो " पधारो " और जाओ तो भी " पधारो " विश्वविख्यात है। कभी मेरे शहर से गुजरो तो सीधे मत निकल जाना , कुछ रुकना और इसकी आत्मा में इसके अपनत्व की मिठास को साथ लेकर पधारना।
गोगा नवमी
गोगा नवमी ********** पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष की नवमी पर गोगा नवमी मनाई जाती है। गोगा देव की पूजा सावन माह की पूर्णिमा ...
MEGA SALE!!! RUSH TO AMAZON
-
राजस्थानी भाषा में एक व्यंगात्मक हास्य कविता कलयुग में भगवान एक, ''खिलौनों बणायो। दुनियावाला ई को नाम मोबाइल ...
-
राजपूती दोहे ( - ठा फ़तह सिंह जसौल) •» ” दो दो मेला नित भरे, पूजे दो दो थोर॥ सर कटियो जिण थोर पर, धड जुझ्यो जिण थोर॥ ” मतलब :- •» एक रा...
-
राजस्थान की कुछ पुरानी कहावतें राजस्थानी में वर्षा अनुमान: ☃☔ आगम सूझे सांढणी, दौड़े थला अपार ! पग पटकै बैसे नहीं, जद मेह आवणहार !! ..सा...