"अपणायत" की इस नगरी के जहाँ " खंडे" यानी इमारती पत्थर प्रसिद्ध है वहीँ इसके " खावण खंडे" यानी खाने- पीने के शौकीन मशहूर हैं। इस शहर की आबोहवा में प्यार को महसूस करने वाले जानते है कि दिन कही भी गुजरे परन्तु शाम को किले के दर्शन जरुरी हैं।
राव सिंहा जी, राव जोधा जी की इस नगरी को राव मालदेव ने विस्तार व चंद्रसेन ने स्वाभिमान दिया। दुर्गादास राठोड़ व मुकनदास खींची ने इसकी सेवा की और मीरा माता ने सोभाग्य प्रदान किया। पत्थर के मेहरानगढ़ की नीव में राजाराम मेघवाल ने अपनी जिंदगी कुर्बान की।
आज इस शहर का अन्तर्राष्ट्रीय टूरिंग मैप में विशेष स्थान इसके नीले रंग से पुते निवास स्थानों से है और सूर्य देवता की पहली किरण यहाँ आशीर्वाद देती है। पहले इसे मारवाड़ अब इसे ब्लू सिटी और सन सिटी कहा जाता हैं।
आप यहाँ पधारे और यहाँ की मावा की कचोरी, मिर्चीबड़ा और माखनिया लस्सी नहीं जीमे तो बात नहीं बनेगी। यहाँ के लोग तो खाने की थाली देखकर बता देते है कि लड्डु मोहनजी की दूकान का है और गुलाबजामुन चतुर जी के हाथो से बना हैं।
शहर के सातो दरवाजो की बात निराली है, उम्मेद पैलेस जहाँ ताजमहल की याद दिलाता है वहीँ मेहरानगढ़ दुश्मनो में ख़ौफ़ पैदा करता है। कायलाना जल का स्त्रोत है वही मंडोर इतिहास को समझने का केंद्र है।
यहाँ की वाणी और यहाँ का पानी बहुत मीठा है। यहाँ आओ तो " पधारो " और जाओ तो भी " पधारो " विश्वविख्यात है। कभी मेरे शहर से गुजरो तो सीधे मत निकल जाना , कुछ रुकना और इसकी आत्मा में इसके अपनत्व की मिठास को साथ लेकर पधारना।
गुरुवार, 12 मई 2016
जोधपुर स्थापना दिवस
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