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मंगलवार, 28 जनवरी 2020

तोरण क्या है

तोरण क्या है


what is toran,विवाह में तोरण का महत्व, तोरण,दूल्हा तोरण को तलवार से क्यों स्पर्श करता है

कुछ लोग जानकारी के अभाव मे गलती कर रहे हे

हिन्दू समाज में शादी में तोरण मारने की एक आवश्यक रस्म है।

जो सदियों से चली आ रही है। लेकिन अधिकतर लोग नहीं जानते कि यह रस्म कैसे शुरू हुई।

दंत कथानुसार कहा जाता है कि एक तोरण नामक राक्षस था जो शादी के समय दुल्हन के घर के द्वार पर तोते का रूप धारण कर बैठ जाता था तथा दूल्हा जब द्वार पर आता तो उसके शरीर में प्रवेश कर दुल्हन से स्वयं शादी रचाकर उसे परेशान करता था।

एक बार एक राजकुमार जो विद्वान एवं बुद्धिमान था शादी करने जब दुल्हन के घर में प्रवेश कर रहा था अचानक उसकी नजर उस राक्षसी तोते पर पड़ी और उसने तुरंत तलवार से उसे मार गिराया व शादी संपन्न की।
बताया जाता है कि तब से ही तोरण मारने की परंपरा शुरू हुई अब इस रस्म में दुल्हन के घर के दरवाजे पर लकड़ी का तोरण लगाया जाता है, जिस पर एक तोता (राक्षस का प्रतीक) होता है।

बगल में दोनों तरफ छोटे तोते होते हैं। दूल्हा शादी के समय तलवार से उस लकड़ी के बने राक्षस रूपी तोते को मारने की रस्म पूर्ण करता है।

गांवों में तोरण का निर्माण खाती करता है, लेकिन आजकल बाजार में बने बनाए सुंदर तोरण मिलते हैं, जिन पर गणेशजी व स्वास्तिक जैसे धार्मिक चिह्न अंकित होते हैं और दूल्हा उन पर तलवार से वार कर तोरण (राक्षस) मारने की रस्म पूर्ण करता है।

यानी दूल्हा राक्षस की जगह गणेशजी या धार्मिक चिन्हों पर वार करता है जो कि भारतीय परंपरा और धार्मिक दृष्टि से उचित नहीं है।

एक तरफ हम शादी में गणेश पूजन कर उनको रिद्धि-सिद्धि सहित शादी में पधारने का निमंत्रण देते हैंऔर दूसरी तरफ तलवार से वार कर उनका अपमान करते हैं, यह उचित नहीं है।

अत:
तोरण की रस्म पर ध्यान रखकर परंपरागत राक्षसी रूपी तोरण ही लाकर रस्म निभाएं ।

कोई अशुभ कार्य नहीं करे कृपया उपरोक्त सन्देश को
जितना हो सके सेयर करे एवम् सभी को सत्यता से अवगत कराईये ताकि भविष्य में ध्यान रखा जा सकेँ। 

सोमवार, 1 अक्टूबर 2018

जंगी गढ जोधांण

जंगी गढ जोधांण-- मोहनसिंह रतनू


जयपुर कदेन जावणो,
अंबु हवा असुद्व।
प्राय वाहन गिरपडै,
राह करे अवरूद्व।।1

बारीश में कोटा बुरो,
दिन रूकणो नह दोय।
माखी माछर मांदगी,
हर च्यारुं दिस होय।।२

सरदी में आबू शिखर,
भूल कदे मत भेट।
काया धूजै कांपती,
लेवे  ठंड लपेट।।३

मझ गरमी रै मांयनै, चुरू उपाडे चांम।
चिलबलती लूंवां चले,
हुवे नींद हराम।।४

क्यूं काला दर दर भमे,
फिर मत व्यग्र फजूल।
जगां सुहाणी जोधपुर,
आब हवा अनुकूल।।५

आडो रह्यो अजीत रै,
दिलसुध दुरगा दास।
जीवण भर रण जूंझियो,
अमर हुओ इतिहास।।६

विटप रूखाल़ण वासतै,
पिण्ड दिया तज प्राण।
अगवाणी री अमरता,
जाहर हुइ जोधांण।।७

मधुर संभासण,
मोटमन,
अंतस घण अपणास।
जी कारो हर जीब पे,
खूबी जोधपुर खास।।८

बंध कोट ओपे बदन,
कमर बद्व करपाण।
पाग अनुपम्म जोधपुर,
पूरे जग पहचांण।।९

जौध बसायो जोधपुर,
नवखंड करियो नाम।
दी कुरबाणी देह री,
रंग हो राजा राम।।१०

जग में चावो जोधपुर,
भल चमकंतो भाण।
अड़ियो जाय अकास सूं,
जंगी गढ जोधांण।।११

इमली,लूंग,इलाइची,
अठे न निपजै आम।
सिर देवण रण सूरमां,
बैठा गामो गाम।।१२

बोर मतीरा बाजरी,
कूमटिया अरु कैर।
राजी व्हे सुर राज तो,
लागे लावा लैर।।१३

वसुधा देश विदेश मे,
करे शाह सब काम।
आज इल़ा पर अग्र है,
नग्र जोधपुर नाम।।१४
 


जोधपुर  रै नांम चंद ओल़ियां
रचयिता-मोहन सिंह रतनू 
आदरणीय मोहनसा रै दूहां री सम्मति में चंद दूहा-
बंको बीकानेर-गिरधरदान रतनू दासोड़ी
मुरधर रो जस मंडियो,
चारण मोहन चाव।
अलंकार उकती अनुप,
भर उर आदर भाव।।1

जाहर गढ जोधाण री,
पंगी समँदां पार।
आज सुरंगी की अवस,
विध विध कर विस्तार।।2

सहर बीजा तो सांप्रत,
है नीं समवड़ हेर।
जग समवड़ जोधाण रै,
(ओ तो) बंको बीकानेर।।4

धर धिन धोरा धोल़िया,
समवड़ जिकै सुमेर।
संत सती वड सूरमा,
बो'ल़ा बीकानेर।।5

जग जणणी राजै जठै,
किनियांणी करनल्ल।
उत रिड़मल जोधो अवस,
हिव पूगा धर हल्ल।।6

महि कानै नै मारियो,
मुदै तजत मरजाद।
जो करनी राजै जठै,
सुणण सेवगां साद।।7

बदरी अन केदार वड,
जाण पुरी जगन्नाथ।
इल़ देसाणै आय इम,
पेख दास फल़ पात।।8

ओरण हरियाल़ी अवन,
जग बदरी सम जाण।
जगत सगत री जातरा,
देख करै देसाण।।9

कमरै रा कंध भँगिया,
जैतराव धर जेथ।
मुगल़ बीह उण मुलक में,
अवर न पूगा ऐथ।।10

राती-घाटी राठवड़
भिड़ियो जैतो भट्ट।
हल्दीघाटी री हिव जनक,
रही  जँगल़ रजवट्ट।।11
धर राखी राख्यो धरम,
विमल़ हिंदवां वेस।
जा'झ कँवाड़ां झूड़िए,
कमध जेथ करनेस।।12

जंभेसर जोगी जठै,
महि धिन तप्यो मुकांम।
जाहर जिणरो जोयलो,
धर समराथल़ धांम।।13

जस जोवो जसनाथ रो,
भुइ सारी इण भेर।
अगन-निरत चावो अवस,
बसुधा बीकानेर।।14

जाहर गढ जोधांण रो,
हाड अकूणी हेर।
सदा निशंको सांप्रत,
बंको बीकानेर।।

शुक्रवार, 13 जुलाई 2018

नारियल वदारियो

अमेरिका का Aeroplane ब्लास्ट हुआ:

जापान: टेक्नोलॉजी परीक्षण किये थे ?
अमेरिका: yes

रशिया: क्रिटिकल मास वॉल्यूम ठीक था ?
अमेरिका: yes

ब्रिटेन: ऑपरेटिंग मोड सिस्टम चेक किया था ?
अमेरिका: yes

भारत:   बावजी के नारियल वदारियो...?

अमेरिका : No...!

भारत:    ले............ अटे भूल वेगी नी !!!!!

सोमवार, 9 जुलाई 2018

त्रिपोलिया मायने

एक बार अमेरीका में एक विमान खराब मौसम के चलते गोते खाने लगा l

विमान के पायलट ने अपना सारा अनुभव और कौशल लगा के पहाड़ों के बीच से बचते बचाते आड़े तिरछे कट मार के विमान को बचा कर एअरपोर्ट पे ले आया l

उसका सत्कार किया गया और पुछा गया की ऐसा talent और अनुभव उसने कहा और कैसे प्राप्त किया..??

*कसम से आंखों मे खुशी के आंसू आ गये* जब वह बोला...









पहला जोधपुर रा त्रिपोलिया मायने टेक्सी चलावतो सा..!

सोमवार, 18 जून 2018

मारवाड़ी मिनट आँधी अकाल जमाने आदी हैं

*मारवाड़ी बातां*

मारवाड़ी मिनट आँधी अकाल जमाने आदी हैं, 

यदि रोहिणी नक्षत्र में गर्मी अधिक हो तथा मृग नक्षत्र में आंधी जोरदार चले, तो आर्द्रा नक्षत्र के लगते ही बादलों की गरज के साथ वर्षा होने की संभावना बन सकती है।

रोहण तपै, मिरग बाजै तो आदर अणचिंत्या गाजै।

एक दोहे में अकाल के लक्षणों का चित्रण इस प्रकार किया गया है :-

मिरगा बाव न बाजियौ, रोहण तपी न जेठ।
क्यूं बांधौ थे झूंपड़ौ, बैठो बड़ले हेठ।।

आर्द्रा नक्षत्र के प्रारंभ में यदि बारिश के छींटे हो जाएँ, तो शुभ माने जाते हैं और जल्दी ही बरसात होने की आशा बंधती है।

पहलों आदर टपूकड़ौ मासां पखां मेह।

यदि आर्द्रा नक्षत्र में आँधी चलनी शुरु हो जाये, तो अकाल का जोखिम न आने लगता है।

आदर पड़िया बाव, झूंपड़ झौला खाय।

यदि चौदह नक्षत्रों में दो- दो दिन के हिसाब से हवा नहीं चले, तो क्या- क्या होगा, इस विषय में निम्नलिखित छंद कहा गया है :-

दोए मूसा, दोए कातरा, दोए तिड्डी, दोए ताव।
दोयां रा बादी जळ हरै, दोए बिसर, दोए बाव।।
रोहिनी बरसै मृग तपै, कुछ कुछ अद्रा जाय।
कहै घाघ सुने घाघिनी, स्वान भात नहीं खाय।।

यदि रोहिणी बरसे, मृगशिरा तपै और आर्द्रा में साधारण वर्षा हो जाए तो धान की पैदावार इतनी अच्छी होगी कि कुत्ते भी भात खाने से ऊब जाएंगे और नहीं खाएंगे।

सर्व तपै जो रोहिनी, सर्व तपै जो मूर।
परिवा तपै जो जेठ की, उपजै सातो तूर।।

    *संकलन~ राजेन्द्र सिंह कुरडायाँ*

रविवार, 27 मई 2018

फलका खाणां

फलका खाणां 

एक मारवारी कविता


फलका खाणां सोरा है पणं आटो ल्याणों दोरो है ।

भक्ति करणीं सोरी है पणं नेम निभाणों दोरो है ।

जीमणं जाणों सोरो है पणं घरां जिमाणों दोरो है ।

फूट घालणीं सोरी है पणं मेल कराणों दोरो है ।

धान ल्यावणों सोरो है पणं रांध खावणों दोरो है ।

चोरी करणीं सोरी है पणं जेल जावणों दोरो है ।

झगडो करणों सोरो है पणं मार खावणों दोरो है ।

धंधो करणों सोरो है पणं नफो कमाणों दोरो है ।

झूठ बोलणों सोरो है पणं साच केवणों दोरो है ।

निंदा करणीं सोरी है पणं मान देवणों दोरो है ।

मौज मनाणीं सोरी है पणं कमा खावणों दोरो है ।

डूब ज्यावणों सोरो है पणं पार जावणों दोरो है ।

गुस्सो करणों सोरो है पणं गम खा ज्याणों दोरो है ।

मांग खावणों सोरो है पणं घर घर जाणों दोरो है ।

बातां करणीं सोरी  है पणं बात निभाणीं दोरी है ।

सिलकाणीं तो सोरी है पणं लाय बुझाणीं दोरी है ।

बालपणां में पडे आदतां पछे सुधरणीं दोरी है ।

गंजो माथो बुरो नहीं पणं खाज कुचरणीं दोरी है ।

ठोकर खाणीं सोरी है पणं बुद्दि आणीं दोरी है ।

अंगरेजी पढ ज्याणें है पणं हिंदी आणीं दोरी है ।

मीठो खाणों सोरो है पणं जेर पीवणों दोरो है ।

खोटा धंधा सोरा है पणं पछे जीवणों दोरो है ।

गुरु बणाणों सोरो है पणं ग्यान आवणों दोरो है ।

तिवाडी लेणों सोरो पणं पाछो देणों दोरो है ।

           
        

गुरुवार, 24 मई 2018

मरण सारथक मांन।।

सेवा देश समाज हित,
ज्यां मर करी जहांन।
ज्यांरो ई इण जगत में,
मरण सारथक मांन।।1

माता जिम ही मातभू,
ज्यां मन दीधी जांन।
अमर आज इल़ ऊपरै,
मरद जिकै ई मांन।।2

जिण माटी उपज्या जिकै,
उण रो खाधो अन्न।
उण हित वां तो आपरो,
तिल तिल समप्यो तन्न।।3

मात -धरा मोटी मनी,
दिल निज छोटी देह।
ऊ सब चोटी ऊपरै,
लाख मुखां जस लेह।।4

मन वंदे कर मातरम,
जिकै गया फँद झूल।
जिंदो राख जमीर नै,
भावै ई मत भूल!!5

डर तज वां देश हित,
झट ली फासी झेल।
जात-पांत सबसूं जिकै,
ऊपर नर अजरेल।।6

बेड़ी काटण वतन री,
बदन कियो बलिदान।
वांरो निसदिन बांचणो,
गौरव हंदो गान।।7

श्रद्धा बढै मन सिमरियां,
सुजस सूरां रो सत्त।
विमल़ हुवै वाणी वल़ै,
कथियां कीरत कत्थ।।8
मूरत परसां साच मन,
सूरत चखां सपेख।
सुजस पढां वां सूरमां,
अघ नीं रैवै एक।।9

भिड़ रण भारथ में भलां,
अरियण दिया उथाल।
मगर- अगर बिन मानजो,
लख सत भारत- लाल!!10
अमर शहीद प्रतापसिंह बारहठ नै उणांरै  शहादत दिवस माथै सश्रद्ध नमन।
गिरधरदान रतनू दासोड़ी

गोगा नवमी

गोगा नवमी  ********** पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष की नवमी पर गोगा नवमी मनाई जाती है। गोगा देव की पूजा सावन माह की पूर्णिमा ...

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