राम राम सा !!
आजकाल इस्कूल भोत बदळीजग्या । टाबर भी एकदम छोटा छोटा इस्कूल जावै और मास्टरां गी जग्यां फूटरी फूटरी मैडम हुवै ।
म्हारै जमाने में आठवीं मैं भी दाढ़ी मूंछ हाळा इस्टूडेंट हुँवता .....दसवीं मै तो दो तीन टाबरां गा माईत भी पढ़ाई करता ।
और मास्टर गी तो पूछो मत ....धोती और खद्दर गो चोळो , एक एक बिलांत गी मूंछ ....जाणै जल्लाद है । ऊपर स्युं हाथ मै तेल स्युं चोपडेड़ो डंडो !!!
मैं टाबर हो जणा मन्नै इस्कूल जाणै गो भोत डर लागतो । अबै थे ही बताओ ......नहा धो गे , चला गे जाओ और क्यां खातर ? मास्टर जी कनु डंडा खाण खातर !!!
बेटी आ कठै गी स्याणप हुई ??
और मेरो दिमाग तो थे जाणो ....टाबरपणै स्युं ही तेज !!! तो मैं इस्कूल कोनी जांवतो ।
मेरी दादी एक दिन मन्नै बोली -
" जे मेरो राजा बेटो इस्कूल जासी तो मैं एक पताशो देस्युं "
मैं पताशै गै लालच में इस्कूल चल्यो गयो । मास्टर जी मन्नै दुवै गी भारणी पूछी । मन्नै भारणी आई कोनी..... और मास्टर जी मेरै एक डंडे गी फटकार दी ।
मैं पाटी -बरतो ले गे घरे आग्यो और जेब स्युं पताशो काढ गे दादी नै पाछो दे दियो कै -
" मास्टर जी मेरै डंडे गी मारी है .....तेरो पताशो काठो राख ।"
फेर एक दिन दादी बोली कै - "तूं सुखियै सागै इस्कूल चल्यो जा .....सुखियो तन्नै कूटण कोनी देवै "
सुख काको नौंवी में पढतो ....चोखो छ: फूटो जवान और मुंह पर दाढ़ी मूंछ ।
मैं सोच्यो ओ काम ठीक है । सुख काको मन्नै कूटीजण कोनी देवै ।
दूसरै दिन मैं सुख काकै सागै इस्कूल ऊठ ग्यो ।
सूख काको पोथी खोल गे बैठ ग्यो और मैं सुख काकै गै सारै बैठ गे..... पाटी पर कोचरी गो चित्र कोरण लाग ग्यो ।
थोड़ी देर बाद मास्टर जी आया । लाल आँख और हाथ में डंडो .....जाणै जमदूत है ।
मेरो तो हाथ काँपण लागग्यो । मास्टर जी आंता पाण सुख काकै नै खड्यो करयो और सुवाल पूछ्यो -
" बोल सुखा .....तेराह चौका किता हुवै ?"
सुख काको तो काणो ऊँट नीम कानै देखै ज्यूँ देखण लाग ग्यो ।
मास्टर जी सुख काकै नै मुर्गो बणा दियो और..... लाग्या डंडा मारण नै । इयाँ तो धापेड़ो बावरी बळद नै ही कोनी कुटै ....जियां मास्टर जी सुख काकै नै कुटै !!
मेरी तो छाती गुल्लो काढ़ण लाग गी । तेरा भला हुवै .....जको बोडी गार्ड बणगे आयो बो तो और जोरगो कुटीजै !!!!
मैं तो पाटी बरतो बठै ही छोड़ दियो और तुतकियो लगाएड़ो रोजड़ो भाजै ज्यूँ भाज्यो ।
घरै पूग्यो जणा दादी बोली -" अरै आज तो सुखियो तेरै सागै हो .....फेर कियां पाछो आग्यो ?"
मैं बोल्यो - " बो तेरो सुखियो तो खुद औसर में गंडक कुटीजै ज्यूँ कुटीजण लाग रैहयो है "