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सोमवार, 29 अगस्त 2016

देख सके तो आज देख ले

देख सके तो आज देख ले !!!!!

आ आजादी आज देख ले ! तकदीरां का ताज देख ले !!

करमां आडी लीकां काडी, आरक्षण आगाज देख ले !
रुजगारां रो रोळो मचियौ ,
रोळ दपट्ट ऐ राज देख ले !!

ठावा ठरका ठसक ठाकरी, अफसरिया अंदाज देखलेे !
लहरां बिच में लाय लागगी ,
जळ बिन डूू़बी जाज देख ले!!

धरम धजा धारै धणियापौ ,
दुष्टि  दंगाबाज  देख  ले !
नेताजी रा नखरा न्यारा ,
खिणे कोढ में खाज देख ले !!

लाडेसर लखणां रा लाडा ,
लुटतां लिछमी लाज देख ले! भ्रष्टाचारी गुणिया भणिया ,
करोड़ां का काज देख ले !!

चोरी  ज़ारी  बारी  बारी ,
रोज करे रियाज देख ले !
लुकती लुळती लाचारी रा ,
सूना पड़िया साज देख ले!!

निबंळां ऊपर निरभै नाचै ,
सबळां रो समाज देख ले !
अंत हो जासी आंख अंधेरों ,
देख सके तो आज देख ले !!

*रतन सिंह चंपावत रणसी गांव* ©©©©©©

बरसाल़ै रो गीत चित इलोल

बरसाल़ै रो गीत चित इलोल़-गिरधरदान रतनू दासोड़ी
अहर निस असमान आयो,
महर कर मघवान।
लहर कर हद ल़ोर लूंब्या,
ठहर थल़वाट थान।
तो थिरथानजी थिरथान,
थपियो इँद थल़वट थान।।1
गहर नभ गड़डाट गाजै,
धरर कर धड़ड़ाट।
अड़ड़ाट ओसर आवियो इल़,
डकर भर दड़ड़ाट।
तो कड़ड़ाटजी कड़ड़ाट
कड़कै बीजल़ी कड़ड़ाट।।2
छता सरवर तोय छौल़ां,
भरै तण-तण भाव।
खल़किया नद नीर खाल़ा
डगर दिस दरियाव।
तो मनभाव रै मनभाव ,
मुरधर रूप ओ मनभाव।।3
सुरपत्त भरिया खाडिया सह,
नाडिया नीवाण।
काढिया दिन कूट दुरभक्ख,
आप मनसुध आण।
तो महराण रै महराण,मन रो इँदवो महराण।।4
हरस अवनी वसन हरिया,
पहरिया कर प्रीत।
जोप जोबन कोड करणी,
रीझ तरुणी रीत।
तो मनमीतजी मनमीत,
मिल़ियो आय वासव मीत।।5
सरस सावण रैयो सुरँगो,
झड़ी मंडियो जोर।
तीज रै मिस वरस तूठो,
रसा तोड़ण रोर।
तो घणघोर रै घणघोर
घुरियो रीझ नै घणघोर।।6
भादवा तूं भलो भाई!
बूठियो वरियाम।
बूठियां तुझ मिटी विपती,
केक सरिया काम।
तो इमकामजी इमकाम
करिया भादवै भल काम।।7
रम किसन वाल़ा धोया रलक्या
निमल पालर नीर।
पमँग निजपण आप पाया,
पेख गोगै पीर।
तो निजनीरजी निजनीर
नामी भादवै निजनीर।।8
जँगल़ धरती मँगल़ जोवो,
हरदिसा हरियाल़।
मुरधरा ठाकर आय मोटै,
काटियो सिर काल़।
तो हरियाल़जी हरियाल़
हरदिस थल़ी में हरियाल़।।9
धरा भुरटी मोथ धामण,
सरस सेवण साव।
मछर सुरभी महक मसती
चरै गंठियो चाव।
तो कर चावजी कर चाव,
चरणी चरै डांगर चाव।।10
डेयरियां में बधी डीगी,
बाजरी बूंठाल़।
मूंग मगरै तिल्ल तालर,
फूल मोठां फाल़।
तो मतवाल़जी मतवाल़
मुरधर रीझियो मतवाल़।।11
धापिया पालर देख धोरा,
भर्या तालर भाल़।
दहै टहुका मोर दादर,
ताण ऊंची टाल़।
तो नितपाल़जी नितपाल़,
परगल़ नेह सुरियँद पाल़।।12
मही माटां मांय मत्थणो,
देय झाटां दोय।
दही माखण देय दड़का,
लहै लावा लोय।
तो सब लोयजी सब लोय,
सब दिस हरसिया सह लोय।।13
रल़ियावणी धर करो रल़ियां,
थया थल़ियां थाट।
खरी इणविध लगी खेतां,
हेतवाल़ी हाट।
तो हिव हाटजी हिव हाट,
हर दिस हेत री थल़ हाट।।14
गिरधरदान रतनू दासोड़ी

देख सके तो आज देख ले

देख सके तो आज देख ले !!!!!

आ आजादी आज देख ले ! तकदीरां का ताज देख ले !!

करमां आडी लीकां काडी, आरक्षण आगाज देख ले !
रुजगारां रो रोळो मचियौ ,
रोळ दपट्ट ऐ राज देख ले !!

ठावा ठरका ठसक ठाकरी, अफसरिया अंदाज देखलेे !
लहरां बिच में लाय लागगी ,
जळ बिन डूू़बी जाज देख ले!!

धरम धजा धारै धणियापौ ,
दुष्टि  दंगाबाज  देख  ले !
नेताजी रा नखरा न्यारा ,
खिणे कोढ में खाज देख ले !!

लाडेसर लखणां रा लाडा ,
लुटतां लिछमी लाज देख ले! भ्रष्टाचारी गुणिया भणिया ,
करोड़ां का काज देख ले !!

चोरी  ज़ारी  बारी  बारी ,
रोज करे रियाज देख ले !
लुकती लुळती लाचारी रा ,
सूना पड़िया साज देख ले!!

निबंळां ऊपर निरभै नाचै ,
सबळां रो समाज देख ले !
अंत हो जासी आंख अंधेरों ,
देख सके तो आज देख ले !!

*रतन सिंह चंपावत रणसी गांव* ©©©©©©

आजादी

आजादी-
गिरधरदान रतनू दासोड़ी
तिकड़म रासो देख अठै धूतां में आजादी रल़गी !
देवां रो तज वास ,नास भूतां में  आजादी मिल़गी!!
जण जण री कण कण है कीमत लोकतंत्र री गल़ियां में!
छल़ियां रो मिल़ियां संग जबर ढंग री   आजादी खल़गी!!
टेरां नैं टीवणियां भल तोतक कर कोतक ओ कीनो!
स्वाभिमान साचां रो बेच पोल में आजादी छल़गी!!
फाड़ धरम री धज्जियांं सुदियां देश नाखियो कजियै में!
विध -विध बाना धार मार मिनखापण आजादी पल़गी!!
बधिया धर लीचड़ देख खून चूसण नैं चींचड़िया ऐ
खा भ्रष्टाचार गदीड़ हार कीचड़ में आजादी कल़गी!!
कठै बा लोह पुरस री ललकार? कठै गांधी रा सुपना!
जोबन सारो गाल़ भरम में! माग बूढापै  आजादी ढल़गी!!
कांई बदल़्यो बोल बता तूं? भारत री स्वारथ भोमी पर!
कर अपणां सूं अल़गाव भाव मोटां में    आजादी भिल़गी!!
मिनख हुवा लाचार , मार डांगबल़ आगै डरफरिया!
भरिया लुच्चां माल हाल रुल़ियारां सँग  आजादी रल़गी!!
गिरधरदान रतनू दासोड़ी

रविवार, 28 अगस्त 2016

आपणां बडेरा

आपणां बडेरा
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बडेरां रो काम चालतो अंगूठा री छाप सुं

दीखणं में गिंवार हा लाखां रो बिजनस कर लेंता
ब्याजूणां दाम दियां पेली अडाणें गेणां धर लेंता

च्यार महीनां खपता हा बारा महीनां खांता हा कांण मोखाण औसर मौसर दस दस गांव जिमांता हा

एक लोटो हूंतो हो सगला घर रा निमट (फ्रेस) आऊन्ता हा
दांतणं खातर नीमडा री डाली तोड लियांता हा

गाय भैंस रा धीणां हा बलदां री जोडी राखता

परणींजण नें जांवता हा ऊंट बलद रा गाडां में
हनीमून मनाय लेंवता भैंसियां रा बाडा में

न्यारा न्यारा रूम कठै हा कामलां रा ओटा हा
पोता पोती पसता पसता दादी भेला सोंता हा

सात भायां री बेनां हूंती दस बेटां रा बाप हूंता
भूखो कोई रेंवतो कोनीं मोटा अपणें आप हूंता

मा बापां रे सामनें फिल्मी गाणां गांता कोनीं
घरवाली री छोडो खुद रा टाबर नें बतलांता कोनीं

कारड देख राजी हूंता तार देखकर धूजता
मांदगी रा समाचार मरयां पछै ही पूगता

मारवाडी में लिखता लेणां आडी टेडी खांचता
लुगायां रा लव लेटर नें डाकिया ही बांचता

च्यार पांच सोगरा तो धाप्योडा गिट ज्यांवता
खेजडी रा छोडा खार काल सुं भिड ज्यांवता

लुगायां घर में रेंती मोडा पर कोनीं बैठती
साठ साल की हू ज्यांती बजार कोनीं देखती

बाडा भरयोडा टाबर हूंता कोठा भरिया धान हा
पैदा तो इंसान करता पालता भगवान हा

कोङियां री कीमत हूंती अंटी में कलदार रेंता
लुगायां री पेटियां में गेणां रा भंडार रेंता

भाखरां पर ऊंचा म्हेल मालिया चिणायग्या
आदमी में ताकत किती आपां नें समझायग्या

पाला जांता मालवे डांग ऊपर डेरा हा
दूजा कोनीं बे आपणां बडेरा हा

शनिवार, 27 अगस्त 2016

इस्कूल भोत बदळीजग्या

राम राम सा !!

आजकाल इस्कूल भोत बदळीजग्या । टाबर भी एकदम छोटा छोटा इस्कूल जावै और मास्टरां गी जग्यां फूटरी फूटरी मैडम हुवै ।

म्हारै जमाने में आठवीं मैं भी दाढ़ी मूंछ हाळा इस्टूडेंट हुँवता .....दसवीं मै तो दो तीन टाबरां गा माईत भी पढ़ाई करता ।
और मास्टर गी तो पूछो मत ....धोती और खद्दर गो चोळो , एक एक बिलांत गी मूंछ ....जाणै जल्लाद है । ऊपर स्युं हाथ मै तेल स्युं चोपडेड़ो डंडो !!!

मैं टाबर हो जणा मन्नै इस्कूल जाणै गो भोत डर लागतो । अबै थे ही बताओ ......नहा धो गे , चला गे जाओ और क्यां खातर ? मास्टर जी कनु डंडा खाण खातर !!!
बेटी आ कठै गी स्याणप हुई ??

और मेरो दिमाग तो थे जाणो ....टाबरपणै स्युं ही तेज !!! तो मैं इस्कूल कोनी जांवतो ।

मेरी दादी एक दिन मन्नै बोली -
" जे मेरो राजा बेटो इस्कूल जासी तो मैं एक पताशो देस्युं "

मैं पताशै गै लालच में इस्कूल चल्यो गयो । मास्टर जी मन्नै दुवै गी भारणी पूछी । मन्नै भारणी आई कोनी..... और मास्टर जी मेरै एक डंडे गी फटकार दी ।

मैं पाटी -बरतो ले गे घरे आग्यो और जेब स्युं पताशो काढ गे दादी नै पाछो दे दियो कै -

" मास्टर जी मेरै डंडे गी मारी है .....तेरो पताशो काठो राख ।"

फेर एक दिन दादी बोली कै - "तूं सुखियै सागै इस्कूल चल्यो जा .....सुखियो तन्नै कूटण कोनी देवै "
सुख काको नौंवी में पढतो ....चोखो छ: फूटो जवान और मुंह पर  दाढ़ी मूंछ ।

मैं सोच्यो ओ काम ठीक है । सुख काको मन्नै कूटीजण कोनी देवै ।

दूसरै दिन मैं सुख काकै सागै इस्कूल ऊठ ग्यो ।

सूख काको पोथी खोल गे बैठ ग्यो और मैं सुख काकै गै सारै बैठ गे..... पाटी पर कोचरी गो चित्र कोरण लाग ग्यो ।

थोड़ी देर बाद मास्टर जी आया । लाल आँख और हाथ में डंडो .....जाणै जमदूत है ।

मेरो तो हाथ काँपण लागग्यो । मास्टर जी आंता पाण सुख काकै नै खड्यो करयो और सुवाल पूछ्यो -

" बोल सुखा .....तेराह चौका किता हुवै ?"

सुख काको तो काणो ऊँट नीम कानै देखै ज्यूँ देखण लाग ग्यो ।

मास्टर जी सुख काकै नै मुर्गो बणा दियो और..... लाग्या डंडा मारण नै । इयाँ तो धापेड़ो बावरी बळद नै ही कोनी कुटै ....जियां मास्टर जी सुख काकै नै कुटै !!

मेरी तो छाती गुल्लो काढ़ण लाग गी । तेरा भला हुवै .....जको बोडी गार्ड बणगे आयो बो तो और जोरगो कुटीजै !!!!

मैं तो पाटी बरतो बठै ही छोड़ दियो और तुतकियो लगाएड़ो रोजड़ो भाजै ज्यूँ भाज्यो ।

घरै पूग्यो जणा दादी बोली -" अरै आज तो सुखियो तेरै सागै हो .....फेर कियां पाछो आग्यो ?"

मैं बोल्यो - " बो तेरो सुखियो तो खुद औसर में गंडक कुटीजै ज्यूँ कुटीजण लाग रैहयो है "

शुक्रवार, 26 अगस्त 2016

नीं मिल़िया चार मिनख!!

नीं मिल़िया चार मिनख!!

गिरधरदान रतनू दासोड़ी
इतरै लंबै -चौड़ै
भारत में
किलबिलता
घणा ई दीसै
फगत कैवण रा मिनख!!
जिणां रै नीं नैण!
नीं कोई सैण!
नीं दिल नीं दरद!
फगत माटी रा पुतला है!
जिणां रै किसो धरम?
किसो करम?
पछै कठै मरम
अर कैड़ी शरम?
ऐ तो खुद ई वेदना है!
पछै संवेदना कठै सूं उपजेला?
कांई आप मानो हो!
कै कदै ई भाठां रै ई
होवै काल़जा!
जिकै पिघलता होवैला
पारखी पीड़ माथै!
म्है नीं सुणिया
नीं दीठा
कदै ई भाठां नै पसीजता!
किणी री कल़़पती काया
अर झरती आंख्यां माथै!!
कांई आप अजै ई मानो !
कै  मिनख जीवता है
अर उणां में कठै ई
कुणै में लुकियोड़ी
बैठी होसी मानवता!!
नीं आवै पतियारो!
आपरै मूंडै अबार ई
सुणी इण खबर पछै
कै एक भारत रो आद-अनादिवासी
आपरी जोड़ायत री मृत देह
घाल कांधै बुवो एकलो
कोसां दर कोसा!
फगत इणी आस में
कै कठै ई तो मिलेला चार मिनख!
जिणां में बसतो होवैला राम!
वै तो हालेला
म्हारै साथै मरघट तक
म्हारी सायधण नैं
मजलां पुगावण!
पण अड़थड़थै
किलबिलतै
इण रॉबेटां में
नीं मिलियो कोई मिनख
जिको एक मृत देह नै उखण
मुट्ठी लकड़ी
देवण नै हालतो समसाण तक।
कांई आप अजै ई मानो?
कै भारत मिनखां सूं
रातो -मातो देश है!!
गिरधरदान रतनू दासोड़ी

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