लड़का - यह
G
S
T
क्या है..?
मारवाड़ी-
घणों
सारो
टैक्स..
की आदमी स्यूं किंया बात करणी चाईजै ..
माँ= स्यूं बिन्या भेद ...खुल'र बात करणी
बाप= स्यूं आदर स्यूं बात करणी...
गुरूजी= स्यूं नजर नीची कर'र बात करणी ...
भगवान= स्यूं नैण भर'र बात करणी ...
भायां= स्यूं हियो खोल'र बात करणी ...
बैना= स्यूं हेत सू बात करणी ...
टाबरा= स्यूं हुलरा'र बात करणी..
सगा-समधी= स्यूं सन्मान दे'र बात करणी ...
भायलां= स्यूं हंसी मजाक सू बात करणी...
अफसरा= स्यूं नम्रता स्यूं बात करणी ...
दुकान हाळै= स्यूं कडक स्यूं बात करणी...
गिराक= स्यूं ईमानदारी स्यूं बात करणी ...
और
*घरवाळी स्यूं ....अं हं हं हं ह ह..*
अठै आतां चेतो राखणो .....
ई, माते-राणी आगै तो चुप ही रेणो ....
नत-मस्तक हू'र सगळी सुण लेणी ...
बोलणूं घातक हुवै ।
फेर भी कोई रै घणी ही बाकड़ चालती हुवै तो...
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आगली-पाछली ..तीन भो की सोच'र बात करणी ...
मत दे इतरा धता रामजी !
मिनख मिल़ै तो बता रामजी !!
लोकतंत्र में लूखो, भूखो !
जन तो खावै खता रामजी !!
मिनख, मिनख नै जाति पूछै !
जूत चेपनै सता रामजी !!
वोट मांगिया पैर पकड़नै !
अब तो मालक छता रामजी !!
धर्म धजा फरकावै ऊंची !
करर्या कुकर्म कता रामजी !!
देख विगोयो भाईचारो !
भेल़प गंगा घता रामजी !!
गुड़ मिरकी सूं राजी कीना !
कीरप पीढ्या जता रामजी !!
देवै रीझ थथूबा चोखा !
मसल़ काम में तता रामजी !!
ज्यांरो राज! लेवै ई ज्यांरा !
जनतंत्र तो लता रामजी !!
थारी माया तुंही जाणै !
पूजीजै बेपता रामजी !!
छल़िया देव! पुजारी छल़िया !
पल-पल बदल़ै मता रामजी !!
ठग बैठा ठकराई थापै !
जिता चोखल़ै हता रामजी !!
खोसो, खावो ! रोसो, मोसो !
पढिया अजतक अता रामजी !!
स्नेह , प्रेम अपणायत गमगी !
लाधण रा दे पता रामजी !!
अब्दुल कलाम रा मरसिया ....
अब्दुल तोड़ी आज दीवारां इण देह री
पूरी कर परवाज. पद परमहंस पावियो
अब्दुल पूगौ आप अमरापुर रे आँगणे
शोक घणौ संताप नयण नीर मावै नहीं
अब्दुल पूरी आस कथनी करणी एक कर
खुदाबन्द वो खास भगत बड़ौ भगवान रो
अब्दुल तूं आधार भांण भळकतौ भारती
अगनी रौ अवतार साधक सांचो सूरमो
अब्दुल नहीं अनाम. इतिहासां रहसी अमर
कीरत वाळा काम कायम करगौ कोड सूं
अब्दुल वाळी आंण अवरां ने आंणी नहीं
जीवत जुगां प्रमाण भूलै किण विध भारती
रतनसिहं चाँपावत कृत
सोढै ऊमरकोट रै,सिर पड़ियां बाहीह!गिरधरदान रतनू दासोड़ी
किणी राजस्थानी कवि रो ओ दूहो कितरो सतोलो है कै-
हीरा नह निपजै अठै,नह मोती निपजंत।
सिर पड़ियां खग सामणा,इण धरती उपजंत।।
इणी गत री बात एकर मध्यकाल़ में मुगल दरबार में ई चाली कै रजवट रा रुखाल़ा राजपूत रणांगण में सिर कटियां ई तरवार बावता रैवै ।आ बात सुणण वाल़ै नै अवस अपरोगी लागै पण इतियास अर किंवदंतियां में ऐड़ा आख्यान भरिया पड़िया है।ऐड़ी एक किंवदंती है ऊमरकोट रै सोढै कल्याणसिंह री।
कल्याणसिंह, ऊमरकोट रै राणै ऱो छोटो भाई। अमल रो मोटो बंधाणी।
काम फगत ओ कै आमद रो हिंसाब राखणो अर पूछणो।नित रो सेर मावो।कई दिन तो धाको धिकियो पण एक दिन खंचाची राणैजी नैं कैयो कै आपरो भाई राज नैं मोटो घाटो है।कमावै कीं नीं अर खावै नितरो सेर अमल!राणै,आपरै भाई नैं हाथ जोड़ दिया।कल्याणसिंह, ऊमरकोट छोड दियो।कई रजवाड़ां में घूमियो पण घणा दिन कठै ई पार नीं पड़ी।घूमतो- घूमतो दिल्ली पूगियो।दिल्ली में उण दिनां पचास वाघेलै राजपूतां रा घर।इणां रो सिरदार वाघो वाघेलो।उणनैं ठाह पड़ियो कै एक ऊमरकोट रो सोढो कल्याणसिंह अमल रै घाटै मारियो ठेठ धाट सूं दिल्ली आयग्यो,पण इतै मोटै बंधाणी नैं आपरै गल़ै कुण घातै!उण आपरै भाईयां नैं भेल़ा किया अर पूछियो कै
" आप हां भरो तो एक जोगै राजपूत नैं राखूं?पण बो अमल रो मोटो बंधाणी!थित रो सेर मावो!आप बारी-बारी सूं एक दिन रो खर्च पूरण री हां भरो तो हूं इणनैं राखूं?"भाईयां कैयो राखो !आपांनैं ऐड़ो अजरेल आदमी चाहीजै जिको अबखी पड़ियां आपांरी आण राखै।कल्याणसिंह ,वाघेलां रै रैयो।जोग सूं एक दिन मुगल दरबार में आ बात चाली कै मुसलमानां सूं हिंदू सिरै!ऐ माथो कटियां ई हेठा नीं पड़ै अपितु खाग बजावता रैवै अर उण जोधै री जोड़ायत उणरी वीरगति पछै उणरै साथै काठ चढै।बात बंतल़ सूं वाद में पड़गी।आखिर तय होयो कै बीड़ो फेरियो जावै कै आज ई ऐड़ो कोई हिंदू है कांई जिको सिर पड़ियां जूझै अर जोड़ायत सत करै।बीड़ो किणी नीं झालियो ।फिरतो -फिरतो वाघेलां रै वास आयो पण वाघेलां सूं ई हिम्मत नीं होई ।उणां ई हाथ पाधरा कर दिया ।वाघै वाघेलै कैयो कै म्हां सूं पार नीं पड़ै ।उठै बैठै कल्याणसिंह हाथ मसल़ निसासो भरियो।कल्याणसिंह नै निसासो भरतां देख ,वाघै पूछियो कै " सोढा राण कांई दुख सूं निसासो भरो!" "सोढै कैयो ठाकरां बीड़ो राजपूतां रै अठै सूं पाछो जावै !अर सेर सूत बांधणिया आपां अजै जीवतां हां आ देखर निसासो भरियो है हुकम।" "भुजां माथै इतो भरोसो है तो झालो क्यूं नीं बीड़ो!"वाघै कैयो।सोढै कैयो कै बीड़ो झालणो तो म्हारै आंख वाल़ो फूस.है हुकम पण कंवारो हूं सो लारै सत कुण करै?"ऐ बातां वाघै री बेटी, जिणरी ऊमर फगत 13-14 वर्ष ही सुणै ही उण आपरी डावड़ी नैं मेल बाप नै कैवायो कै म्हारो हाथ सोढै रै हाथ में दिरावो जे सोढो बीड़ो झालै तो हूं लारै काठ चढूंली।वाघै आपरी बेटी साठ साल रै सोढै नैं परणाय दी।एक दिन सोढो रंग रल़ी में रीझियो रैयो पण दूजै दिन वाघेली कैयो "हुकम बीड़ो झालियो उणरी त्यारी करावो। सास रो कोई विश्वास नीं ।सास वटाऊ पावणो,आवण होय न होय।"सोढो मुगल दरबार में पूगियो।सोढो रो मुकाबलो एकै साथै पचास इक्कां सूं होयो।तरवारां री चौकड़ी पड़ी।घणां रा घणां वार।जोग सूं सोढै रो सिर कटियो।सिर कटतां ई देह चौगणै बेग सूं अरियां रो घाण करण लागी।च्यारां कानी हैकंप मचग्यो।छेवट किणीगत देह शांत होई।लारै राजपूताणी आपरो वचन पूरो कियो।सोढै कल्याणसिंह री अदम्य वीरता रो ओ दूहो आज ई साखीधर है-
सोढै ऊमरकोट रै,सिर कटियां बाहीह।
जांणै आध वंटावियो, भिड़ दोनूं भाईह।।(ऊमरकोट रै सोढै सिर कटियां पछै इणगत तरवार बाही जिणसूं अरियां री देहां बीचै सूं इणगत कटी जाणै दो भाईयां आपरो आधो -आधो बंट कियो होवै।)
इण किंवदंती रै आधार माथै आधुनिक डिंगल़ कवि सुखदानजी मूल़ा ई कीं दूहा लिखिया।सोढै री वरेण्य वीरता विषयक ऐ लिखै-
देखै देवी देवता,सिव सनकादिक सत्थ।
सोढै रो झगड़ो सुण्यो,रवि ठांभियो रत्थ।।
वाघैली रै साहस ,सत अर कर्तव्यबोध नैं इंगित करतां ऐ लिखै -
परसंग रु बातां पड़ी,कड़ी वाघैली कान।
सोढै संग चंवरी चड़ी,अड़ी,घड़ी,खड़ी आन।।
सोढै रै संग में खड़ी,जुद्ध घड़ी जड़ी जान।
प्रीतम रै पासै लड़ी,मरण घड़ी बडी मान।।
(ऐतिहासिक ग्रंथां में तो आ बात पढण में नीं आई पण मौखिक बात परंपरा में आ बात घणी चावी है)
माण मिटाणा मीत-गिरधरदान रतनू दासोड़ी
बाजै देखो वायरो,
लाज उडावण लीक।
रलकीज्या ऐ रेत में,
ठाठ वडां रा ठीक।।1
मरट वडां रो मेटियो,
समै किया इकसार।
भरम अबै तो भायलां,
लेस न रैयो लिगार।।2
कठै गयो वो कायदो,
कठै गई वा काण।
फट्ट मिल़ै कीं फायदो,
वीरां!पड़गी बाण।।3
पैठ मेट परिवार री,
मोद करै मन मूढ।
डरता देखो डांगबल़
गैला बणग्या गूढ।।4
वडा -वडा के विटल़गा,
छती लाज जग छोड।
अधुनातन री आड़ में,
हिंया फूट सूं होड।।5
पह दिया मर पूरजां,
राखण कुल़वट रीत।
गेह जनमिया गादड़ा,
मांण मिटाणा मीत।।6
घर रो कुरब घटावियो,
वडकां जस नैं बोड़।
मगर-अगर में मोथिया,
डगर उंधोड़ी दौड़।।7
लेस लगै न लाभरी,
वडकां वाल़ी वाट।
बैठै जिथ करणा विटल़,
कुटल़ा वद वद काट।।8
विलल़ां सदन विगाड़ियो,
कर कर कोजा काम।
निरभै राम निकाल़ियो,
हित चित दियो हराम।।9
प्रीत नहीं मन पांगरै,
रखै नहीं घर रीत।
अंजसजोग अतीत रै,
चूंची दे बुरचीत।।10
स्वाभिमान नैं सिटल़ ऐ,
गिणै न आज गहीर।
लाज छोड लिपल़ापणै,
बोतां कियो वहीर।11
शंको रैयो न शर्म तिल,
रही न रीत रिवाज।
जात रसातल़ जाय री,
नेही किण पर नाज।।12
किसो 'चार' चालै कहो,
किसी घमँड री कत्थ।
गल सब छोड गुमेज री,
परी गमाई पत्त।।13
वाटां ऊंधी बह रह्या,
अधुनातन री ओट।
पटकै चवड़ै पापिया ,
खरी कमाई खोट।।14
सिटल़ै कामां सज्जना!
पिटै जात में प्रीत।
घटै काण घरवट तणी,
फल़ नित मिल़ै फजीत।।15
सधरो नहीं समाज नैं,
रेटो नितप्रत रीत।
पह मिल़सी सत पीढियां,
फोड़ा अनै फजीत।।16
सग्गा मन सोझो नहीं,
धन सग्गा सब धार।
जोवो इणविध जातरो,
सो किम होय सुधार।।17
रुपियां सूं रीझ्या रहै,
भूल न देखै भाव।
मन मोल़ै रा मानवी,
तन नैं मानै ताव।।18
कहो आज सँगठण किसो,
सबल़ कूणसो संघ।
कूण सधर अगवाण में,
भिल़ी कुवै में भंग।।19
गिनर गैलै री गांम नीं,
गिणै न गैलो गांम।
वडपण धार बतावजो,
कीकर सुधरै कांम।।20
चढ आसण झाड़ै चतुर,
भासण सखरा भास।
जदै मिल़ां घर जायनैं,
नेही करै निरास।।21
सूधी गाय समाज ओ,
गिण नेता लगडेल।
बातां सूं बुचकारनै,
झाड़ दूयलै झेल।।22
कितरी बधी कुरीतियां,
लिखण न आवै लेख।
कूण गमावै सच कहो?,
पांय कुत्ते री पेख!।।23
डोल़ा काढै देखलो,
रिदै बसै नीं राम।
बुरीगार बदनीत सूं,
कुटल़ विगाड़ै काम।।24
गल़ै मांय गेडी फसा,
बूझै सुखरी बात।
ज्यांनैं दुनिया जोयलो,
हरदम जोड़ै हाथ।।25
गिरधरदान रतनू दासोड़ी
लड़के के पिता लड़की
देखने गए
लडकी के पिता से कहा
लड़की क्या करती है ?
पिता ने कहा : सीए है ।
भाई क्या करते हैं ?
सीए है ।
मम्मी क्या करती है ?
सीए है ।
आप भी ???
हाँ साब ।।।
पिता बहुत खुश
आपका आफिस कहां है?
सब काम घर पर ही होवे...
मैं कटिंग करू ने ई सब
घाघरा ब्लाउज सीए है ।
।।।।
Introduction- The history of Jodhpur, a city in the Indian state of Rajasthan, is rich and vibrant, spanning several centuries. From its o...