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बुधवार, 22 जून 2016

पीली धरती पथवाली..

~पीली धरती पथवाली..
धन धोरां रो देस..
~अमर पागड़ी वीरां री.. केसर बरणो
वेश..
~जरणी जाया नाहर सम.. ऐड़ा वीर सपूत..
~"तेजस" धन या मरूधरा.. धन धन धन रजपूत।

रविवार, 19 जून 2016

मारवाड़ी कविता

मारवाड़ी कविता

आ दातल्ली केडी,
रजको वाडे जेडी
ओ रजको केडो,
भैंयो ने नोके जेडो
ऐ भैंयो केडी,
दुध दे जेडी
ओ दुध केडो,
दही वणे जेडो
ओ दही केडो,
मोखण वणे जेडो
ओ मोखण केडो,
घी वणे जेडो
ओ घी केडो,
बाटियो सोपडे जेडो
ऐ बाटियो केडी,
पोमणा जिमे जेडी
ऐ पोमणा केडा,
चुल्हा में नोके जेडा

शुक्रवार, 17 जून 2016

छानो कोनी रेवै...

*एक राजस्थानी हास्य कविता*

दर्द गोडा रो..
संग डोडा रो..
स्कुटर होन्डा रो...
*छानो कोनी रेवै....*

खायडो खिचड...
चिपेडो चिँचड...
आदत को लिचड...
*छानो कोनी रेवै...*

घराँ बाजेडा सोट...
छिटकायडा होठ...
जाटणी रो रोट...
*छानो कोनी रेवै...*

माँगेडा बूँट...
खायडी सूँठ...
पावलो ऊँट...
*छानो कोनी रेवै...*

फौजी की फीँत...
भोपी रो गीत...
झुठी प्रीत...
*छानी कोनी रेवै....*

आँधी आती..
गाँव का बराती..
मतलब को साथी...
*छानो कोनी रेवै....*

भाँग खायडो...
दारू पीयेडो..
अर माँ को बिगाडेडो...
*छानो कोनी रेवै....*

*आर के छंगाणी*

राजस्थानी में वर्षा अनुमान

राजस्थानी में वर्षा अनुमान:
☃☔

आगम सूझे सांढणी, दौड़े थला अपार !
पग पटकै बैसे नहीं, जद मेह आवणहार !!

..सांढनी  (ऊंटनी) को वर्षा का पूर्वाभास हो जाता है. सांढणी जब इधर-उधर भागने लगे, अपने पैर जमीन पर पटकने लगे और बैठे नहीं तब समझना चाहिए कि बरसात आयेगी !
---☔☔

मावां पोवां धोधूंकार, फागण मास उडावै छार|
चैत मॉस बीज ल्ह्कोवै, भर बैसाखां केसू धोवै ||

.... माघ और पोष में कोहरा दिखाई पड़े, फाल्गुन में धुल उड़े, चैत्र में बिजली न दिखाई दे तो बैशाख में वर्षा हो|
----☃☃

अक्खा रोहण बायरी, राखी सरबन न होय|
पो ही मूल न होय तो, म्ही डूलंती जोय ||

.....अक्षय तृतीया पर रोहणी नक्षत्र न हो, रक्षा बंधन पर श्रवण नक्षत्र न हो और पौष की पूर्णिमा पर मूल नक्षत्र न हो तो संसार में विपत्ति आवे|
----

अत तरणावै तीतरी, लक्खारी कुरलेह|
सारस डूंगर भमै, जदअत जोरे मेह ||

.... तीतरी जोर से बोलने लगे, लक्खारी कुरलाने लगे, सारस पहाड़ों की चोटियों पर चढ़ने लगे तो ये सब जोरदार वर्षा आने के सूचक है !!
----☃☃

आगम सूझै सांढणी, तोड़ै थलां अपार।
पग पटकै, बैसे नहीं, जद मेहां अणपार।

....यदि चलती ऊँटनी को रात के समय ऊँघ आने लगे, तब भी बरसात का होना माना जाता है।
------☔☔

तीतर पंखी बादली, विधवा काजळ रेख
बा बरसै बा घर करै, ई में मीन न मेख ||

....यदि तीतर पंखी बादली हो (तीतर के पंखों जैसा बादलों का रंग हो) तो वह जरुर बरसेगी| विधवा स्त्री की आँख में काजल की रेखा दिखाई दे तो समझना चाहिए कि अवश्य ही नया घर बसायेगी, इसमें कुछ भी संदेह नहीं !!
----☔

अगस्त ऊगा मेह पूगा|

....अगस्त्य तारा उदय होने पर वर्षा का अंत समझना चाहिए
----
अगस्त ऊगा मेह न मंडे,
जो मंडे तो धार न खंडे ||

....अगस्त तारा उदय होने पर प्राय: वर्षा नहीं होती, लेकिन कभी हो तो फिर खूब जोरों से होती है ।
----⛈

अम्मर पीलो
मेह सीलो |

....वर्षा ऋतू में आसमान का रंग पीलापन लिए दिखाई पड़े तो वर्षा मंद पड़ जाती है|

अम्बर रातो|
मेह मातो||

....वर्षा ऋतू में यदि आसमान लाल दिखाई पड़े, लालिमा छाई हो तो अत्यधिक वर्षा होती है|

अम्बर हरियौ, चुवै टपरियौ |

...आकाश का हरापन सामान्य वर्षा का धोतक है|
-----⛅

काळ कसुमै ना मरै, बामण बकरी ऊंट|
वो मांगै वा फिर चरै, वो सूका चाबै ठूंठ||

...ब्राह्मण, बकरी और ऊंट दुर्भिक्ष के समय भी भूख के मारे नहीं मरते क्योंकि ब्राह्मण मांग कर खा लेता है, बकरी इधर उधर गुजारा कर लेती है और ऊंट सूखे ठूंठ चबा कर जीवित रह सकता है|
----

धुर बरसालै लूंकड़ी, ऊँची घुरी खिणन्त|
भेली होय ज खेल करै, तो जळधर अति बरसन्त|

....यदि वर्षा ऋतू के आरम्भ में लोमड़िया अपनी “घुरी” उंचाई पर खोदे एवं परस्पर मिल कर क्रीड़ा करें तो जानो वर्षा भरपूर होगी||
--

गुरुवार, 16 जून 2016

व्हाट्सएप्प पर है के" ?

जाट- "तुं व्हाट्सएप्प पर है के" ?
जाटणी- "ना, मैं तो म्हारै घरां हुँ "...
जाट- "मैरो मतलब है, व्हाट्सएप्प यूज करै है के" ?
जाटणी- "ना रै, मैं तो फेयर लवली यूज करुं हुँ" ...!!
जाट- "अरै बावळी, व्हाट्सएप्प चलावै है के" ?
जाटणी- "ना रै बावळा, मेरै कनै तो साईकल है, बा
ही चलाऊँ हुँ" ...!!
जाट- "मेरी माँ, व्हाट्एप्प चलाणो आवै है के तनै" ?
जाटणी- "तु चला लेयी, मैं पीछै बैठ ज्याऊँगी" ...!!!

मारवाड़ी जोड़ो

✪ मारवाड़ी जोड़ो ✪

बीवी: अजी, सुणयो है कि। आदमी मरे जदे उणाने स्वर्ग माए अप्सरा मिले है।
.....तो लुगायां ने स्वर्ग में काई मिले  है..?

पति: बांदरो मिले है... बांदरो ..!!

बीवी: (ठंडी सांस लैती हुई) आ तो गलत बात है। थाने अठै भी अप्सरा.... ने वठै भी अप्सरा।
म्हाने अठै भी बांदरो .... ने वठै भी बांदरो।

राजस्थान की कुछ पुरानी कहावते

राजस्थान की कुछ पुरानी कहावतें

राजस्थानी में वर्षा अनुमान:
☃☔

आगम सूझे सांढणी, दौड़े थला अपार !
पग पटकै बैसे नहीं, जद मेह आवणहार !!

..सांढनी  (ऊंटनी) को वर्षा का पूर्वाभास हो जाता है. सांढणी जब इधर-उधर भागने लगे, अपने पैर जमीन पर पटकने लगे और बैठे नहीं तब समझना चाहिए कि बरसात आयेगी !
।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।

अत तरणावै तीतरी, लक्खारी कुरलेह|
सारस डूंगर भमै, जदअत जोरे मेह ||

.... तीतरी जोर से बोलने लगे, लक्खारी कुरलाने लगे, सारस पहाड़ों की चोटियों पर चढ़ने लगे तो ये सब जोरदार वर्षा आने के सूचक है !!
------☔☔

तीतर पंखी बादली, विधवा काजळ रेख
बा बरसै बा घर करै, ई में मीन न मेख ||

....यदि तीतर पंखी बादली हो (तीतर के पंखों जैसा बादलों का रंग हो) तो वह जरुर बरसेगी| विधवा स्त्री की आँख में काजल की रेखा दिखाई दे तो समझना चाहिए कि अवश्य ही नया घर बसायेगी, इसमें कुछ भी संदेह नहीं !!
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काळ कसुमै ना मरै, बामण बकरी ऊंट|
वो मांगै वा फिर चरै, वो सूका चाबै ठूंठ||

...ब्राह्मण, बकरी और ऊंट दुर्भिक्ष के समय भी भूख के मारे नहीं मरते क्योंकि ब्राह्मण मांग कर खा लेता है, बकरी इधर उधर गुजारा कर लेती है और ऊंट सूखे ठूंठ चबा कर जीवित रह सकता है|
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धुर बरसालै लूंकड़ी, ऊँची घुरी खिणन्त|
भेली होय ज खेल करै, तो जळधर अति बरसन्त|

....यदि वर्षा ऋतू के आरम्भ में लोमड़िया अपनी “घुरी” उंचाई पर खोदे एवं परस्पर मिल कर क्रीड़ा करें तो जानो वर्षा भरपूर होय।

"जय जय राजस्थान"

HISTORY OF JODHPUR : मारवाड़ का संक्षिप्त इतिहास

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