जाट- "तुं व्हाट्सएप्प पर है के" ?
जाटणी- "ना, मैं तो म्हारै घरां हुँ "...
जाट- "मैरो मतलब है, व्हाट्सएप्प यूज करै है के" ?
जाटणी- "ना रै, मैं तो फेयर लवली यूज करुं हुँ" ...!!
जाट- "अरै बावळी, व्हाट्सएप्प चलावै है के" ?
जाटणी- "ना रै बावळा, मेरै कनै तो साईकल है, बा
ही चलाऊँ हुँ" ...!!
जाट- "मेरी माँ, व्हाट्एप्प चलाणो आवै है के तनै" ?
जाटणी- "तु चला लेयी, मैं पीछै बैठ ज्याऊँगी" ...!!!
गुरुवार, 16 जून 2016
व्हाट्सएप्प पर है के" ?
मारवाड़ी जोड़ो
✪ मारवाड़ी जोड़ो ✪
बीवी: अजी, सुणयो है कि। आदमी मरे जदे उणाने स्वर्ग माए अप्सरा मिले है।
.....तो लुगायां ने स्वर्ग में काई मिले है..?
पति: बांदरो मिले है... बांदरो ..!!
बीवी: (ठंडी सांस लैती हुई) आ तो गलत बात है। थाने अठै भी अप्सरा.... ने वठै भी अप्सरा।
म्हाने अठै भी बांदरो .... ने वठै भी बांदरो।
राजस्थान की कुछ पुरानी कहावते
राजस्थान की कुछ पुरानी कहावतें
राजस्थानी में वर्षा अनुमान:
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आगम सूझे सांढणी, दौड़े थला अपार !
पग पटकै बैसे नहीं, जद मेह आवणहार !!
..सांढनी (ऊंटनी) को वर्षा का पूर्वाभास हो जाता है. सांढणी जब इधर-उधर भागने लगे, अपने पैर जमीन पर पटकने लगे और बैठे नहीं तब समझना चाहिए कि बरसात आयेगी !
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अत तरणावै तीतरी, लक्खारी कुरलेह|
सारस डूंगर भमै, जदअत जोरे मेह ||
.... तीतरी जोर से बोलने लगे, लक्खारी कुरलाने लगे, सारस पहाड़ों की चोटियों पर चढ़ने लगे तो ये सब जोरदार वर्षा आने के सूचक है !!
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तीतर पंखी बादली, विधवा काजळ रेख
बा बरसै बा घर करै, ई में मीन न मेख ||
....यदि तीतर पंखी बादली हो (तीतर के पंखों जैसा बादलों का रंग हो) तो वह जरुर बरसेगी| विधवा स्त्री की आँख में काजल की रेखा दिखाई दे तो समझना चाहिए कि अवश्य ही नया घर बसायेगी, इसमें कुछ भी संदेह नहीं !!
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काळ कसुमै ना मरै, बामण बकरी ऊंट|
वो मांगै वा फिर चरै, वो सूका चाबै ठूंठ||
...ब्राह्मण, बकरी और ऊंट दुर्भिक्ष के समय भी भूख के मारे नहीं मरते क्योंकि ब्राह्मण मांग कर खा लेता है, बकरी इधर उधर गुजारा कर लेती है और ऊंट सूखे ठूंठ चबा कर जीवित रह सकता है|
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धुर बरसालै लूंकड़ी, ऊँची घुरी खिणन्त|
भेली होय ज खेल करै, तो जळधर अति बरसन्त|
....यदि वर्षा ऋतू के आरम्भ में लोमड़िया अपनी “घुरी” उंचाई पर खोदे एवं परस्पर मिल कर क्रीड़ा करें तो जानो वर्षा भरपूर होय।
"जय जय राजस्थान"
बुधवार, 15 जून 2016
किरणदेवी
अकबर की महानता का गुणगान तो कई इतिहासकारों ने किया है लेकिन अकबर की औछी हरकतों का वर्णन बहुत कम इतिहासकारों ने किया है
अकबर अपने गंदे इरादों से प्रतिवर्ष दिल्ली में नौरोज का मेला आयोजित करवाता था जिसमें पुरुषों का प्रवेश निषेध था अकबर इस मेले में महिला की वेष-भूषा में जाता था और जो महिला उसे मंत्र मुग्ध कर देती थी उसे दासियाँ छल कपटवश अकबर के सम्मुख ले जाती थी एक दिन नौरोज के मेले में महाराणा प्रताप की भतीजी छोटे भाई महाराज शक्तिसिंह की पुत्री मेले की सजावट देखने के लिए आई जिनका नाम बाईसा किरणदेवी था जिनका विवाह बीकानेर के पृथ्वीराज जी से हुआ
बाईसा किरणदेवी की सुंदरता को देखकर अकबर अपने आप पर काबू नही रख पाया और उसने बिना सोचे समझे दासियों के माध्यम से धोखे से जनाना महल में बुला लिया जैसे ही अकबर ने बाईसा किरणदेवी को स्पर्श करने की कोशिश की किरणदेवी ने कमर से कटार निकाली और अकबर को ऩीचे पटकर छाती पर पैर रखकर कटार गर्दन पर लगा दी और कहा नींच... नराधम तुझे पता नहीं मैं उन महाराणा प्रताप की भतीजी हुं जिनके नाम से तुझे नींद नहीं आती है बोल तेरी आखिरी इच्छा क्या है अकबर का खुन सुख गया कभी सोचा नहीं होगा कि सम्राट अकबर आज एक राजपूत बाईसा के चरणों में होगा अकबर बोला मुझे पहचानने में भूल हो गई मुझे माफ कर दो देवी तो किरण देवी ने कहा कि आज के बाद दिल्ली में नौरोज का मेला नहीं लगेगा और किसी भी नारी को परेशान नहीं करेगा अकबर ने हाथ जोड़कर कहा आज के बाद कभी मेला नहीं लगेगा उस दिन के बाद कभी मेला नहीं लगा
इस घटना का वर्णन गिरधर आसिया द्वारा रचित सगत रासो मे 632 पृष्ठ संख्या पर दिया गया है बीकानेर संग्रहालय में लगी एक पेटिंग मे भी इस घटना को एक दोहे के माध्यम से बताया गया है
किरण सिंहणी सी चढी उर पर खींच कटार
भीख मांगता प्राण की अकबर हाथ पसार
धन्य है किरण बाईसा उनकी वीरता को कोटिशः प्रणाम !
पाडो
सर - तुम भैंस का दुध पिया करो बड़े आदमी बन जाओगे
छात्र - रेवादो मारसा दुध पिवा ती कोई बडो आदमी वेतो तो आज माहरो पाडो कलेक्टर वेतो
मंगलवार, 14 जून 2016
थोड़ा नहीँ खूब हसोला
थोड़ा नहीँ खूब हसोला
जोधपुर में GPS शुरू हुयो । एक भा सा आप रे फोन में इनस्टॉल कियो ।
भा सा टेस्ट करण री सोची । भाटी सॉफ़्टी सू रवाना हुआ ।
फीड कियो जालोरी गेट सू चतुर्भुज री दूकान ।
जीपीएस ऑन ।
आवाज़ आई - भा सा 50 मीटर सीधा चालजो बाद में नाजरजी री बावड़ी री तरफ जीवणे हाथ कनी मुड़ जाईजो सा ।
भा सा चालता रेया, एकदम सीधा । मोड़ आयो जीपीएस बोलियो - हुकम जीवणे हाथ मुड़ जावो सा ।
भा सा नहीं मुड़िया । आगे चालता रेया । पुष्टिकर स्कूल आई । जीपीएस बोलियो - भा सा 20 मीटर बाद जाळप कनी जीवणे मुड़ जाइजो सा और एकदम सीधा चालजो बाद में ।
भा सा भेर नहीं मुड़िया, आगे चालता रेया ।
जीपीएस बोलियो - भा सा, ज़वरी बाजार आवे जरे बनिये बाड़े वाळे रास्ते जीवणा मुड़ जाईजो और बिस्सों रे चौक साइड चालजो ।
भा सा अनसुनी कर ने भेर आगे बढ़ गया । जीपीएस खीजियो ।
गुस्से में बोलियो - हमें खाण्डे फ़लसे सू भीमजी री हथाई कनी जीवणा मुड़ जाइजो नहीं तो आगे मैं बोलुला कोनी हो ।
भा सा रे की फरक कोनी पड़ियो ।
पिपळीया महादेव जी आया । न भा सा मुड़िया जीवणे कनी और न ही जीपीएस बोलियो ।
आखिर में भैरजी री हॉटेल पहला भा सा रुकिया, पॉन खायो और जीवणे हाथ कनी मुड़िया और ज्यूँ ही मोहनजी री दूकान पार की, जीपीएस खीजियोड़ो बोलियो ' भा सा, थोने खुद रे हिसाब सू इज अगर चालणो है तो म्होने किण वास्ते इंस्टॉल कियो बाळीयो हो, आगो डिलीट इज ठोक नोको नी ।
कायो कर नोकियो है।'
भा सा मंद मंद मुस्कुराया ने बोलिया ' जीपीएस भा, जोधपुर री गळीयों है, अठे थे कई थोरा पड़ दाजी आ जावे तो भी फेल इज हुई ।'
शनिवार, 11 जून 2016
करम खोडला बण्या सूल्डा,
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करम खोडला बण्या सूल्डा, मनख निमटता हेरै।
बाड़े बाड़े टीबां टीबां देसी इबके फेरै।।
कोई निरखै मात पिता नै, कोई राम-रहीमा।
खोटी करणी गुरु जूण की, इस्या दिया है जिम्मा।।
दिन उगतां ही निरखे नागा, और नरक का कूण्डा।
फोटू खींचे लौट्या सागै, घणा लागसी भूण्डा।।
खूब करी रै रामजी, गुरुदेव के मांय।
घणा मान मनुवार दे सूअर दिया बणाय।।
निमटण लागी डावड़ी, फोटू लीनी त्यार।
जूती लीनी हाथ में पडी टाट पर मार।।
पडी टाट पर मार गुरूजी भागण लाग्या।
छाती फूली सांस पसीना टपकण लाग्या।।
वा वा रै सरकार, हुकुम से होग्या नरतण।
फोटू खींच्या गुरु, डावड़ी लागी निमटण।।
HISTORY OF JODHPUR : मारवाड़ का संक्षिप्त इतिहास
Introduction- The history of Jodhpur, a city in the Indian state of Rajasthan, is rich and vibrant, spanning several centuries. From its o...
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राजस्थानी भाषा में एक व्यंगात्मक हास्य कविता कलयुग में भगवान एक, ''खिलौनों बणायो। दुनियावाला ई को नाम मोबाइल ...
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राजस्थान की कुछ पुरानी कहावतें राजस्थानी में वर्षा अनुमान: ☃☔ आगम सूझे सांढणी, दौड़े थला अपार ! पग पटकै बैसे नहीं, जद मेह आवणहार !! ..सा...
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राजपूती दोहे ( - ठा फ़तह सिंह जसौल) •» ” दो दो मेला नित भरे, पूजे दो दो थोर॥ सर कटियो जिण थोर पर, धड जुझ्यो जिण थोर॥ ” मतलब :- •» एक रा...