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रविवार, 30 जुलाई 2017

चौमासो

मै गाँव मे बुजुर्ग बासा ने पूछयो कि साब लोग कहवै चौमासा मे रिश्ता कोनी होवै ,ओ  बिहार मे भाजपा$- नीतीष रै किकर होयो..

बुजुर्ग  बोल्या - भाई ओ तो नातो है , नाता में चौमासो कोनी आडै आवै।।

फोड़ा घणा घाले

कहे कवि "घनश्याम".....

          'फोड़ा घणा घाले'

घटिया पाड़ोस,
बात बात में जोश,
कु ठोड़ दुखणियो,
जबान सुं फुरणियो....फोड़ा घणा घाले।

थोथी हथाई,
पाप री कमाई,
उळझोड़ो सूत,
माथे चढ़ायोड़ो पूत....फोड़ा घणा घाले।

झूठी शान,
अधुरो ज्ञान,
घर मे कांश,
मिरच्यां री धांस.... फोड़ा घणा घाले।

बिगड़ोडो ऊंट,
भीज्योड़ो ठूंठ,
हिडकियो कुत्तो,
पग मे काठो जुत्तो.... फोड़ा घणा घाले।

दारू री लत,
टपकती छत,
उँधाले री रात,
बिना रुत री बरसात....फोड़ा घणा घाले।

कुलखणी लुगाई,
रुळपट जँवाई,
चरित्र माथे दाग,
चिणपणियो सुहाग....फोड़ा घणा घाले।

चेहरे पर दाद,
जीभ रो स्वाद,
दम री बीमारी,
दो नावाँ री सवारी....फोड़ा घणा घाले।

अणजाण्यो संबन्ध,
मुँह री दुर्गन्ध,
पुराणों जुकाम,
पैसा वाळा ने 'नाम'....फोड़ा घणा घाले।

ओछी सोच,
पग री मोच,
कोढ़ मे खाज,
मूरखां रो राज....फोड़ा घणा घाले।

कम पूंजी रो व्यापार,
घणी देयोड़ी उधार,
बिना विचार्यो काम
कहे कवि "घनश्याम"....फोड़ा घणा घाले।

बुधवार, 31 मई 2017

राष्ट्र-भक्त महाराणा प्रतापसिंह जी

""राष्ट्र-भक्त महाराणा प्रतापसिंह जी""

     विक्रमी संवत 1697 जेष्ठ शुक्ला तृतीया ई. सन 1540 मई 9 रविवार घङी 47/53 आद्रा नक्षत्र में जन्म होने के कारण, ज्योतिषियों ने उस समय यह घौषणा की कि शुभ आद्रा नक्षत्र मे जन्मा बालक (प्रतापसिंह) अपने कुल का नाम उज्जवल करेगा ! यह भविष्यवाणी आगे चलकर अक्षरशः सही निकली ! प्रतापसिंह जी देश की स्वतंत्रता के लिए महाबली सम्राट अकबरसे निरंन्तर तेरह वर्ष जूझते रहे, अकबर की एक भी नहीं चलने दी, उस दीर्घकालीन व घोर संकट के समय नाना प्रकार के कष्टों तथा परेशानियों से जूझते कभी भी अपना संतुलन नही खोया व बङे धैर्य व जीवट के साथ मुगलों की असंख्य वाहिनियों को छापामार लङाई में नांको चने चबवाये व मुगलों को रक्षात्मक एवं छुपकर रहने के लिए मजबूर करदिया, प्रताप ने राष्ट्रप्रेम की मशाल को मजबूति से आजीवन थामे रखा तथा किसी भी प्रकार के झंझावत से विचलित नही हुए !!
      महाराणा प्रताप के लिए दो चारण कवियों की समीक्षा एककी उनके जीवन शौर्य अवस्था की तथा दूसरे उनके अवसान के बाद की बनी अकबर की मनःस्थिति की !!

                       महाराणा परताप के विषय मे
हिंगलाजदानजी कवियारो कह्‌यौ
              !! कवित्त !!
अखिल जहान यूं बखानत हैं आनन तैं,
मेदपाट मंडन परताप बलबंड को !
पाक साक पकत रसोई मे त्थापि तैरो,
पिंड ना तजत रजपूती के घंमड को !
कवि हिंगलाज नवखंडन में नाना विधि,
पंडित पढत पावैं सुजस अखंड को!
जापै भरि दंड,नृप झुडंन के मुंड झुकै,
तापै भुजदंड तेरो मापै बृहमंड को !!

           दुरसाजी आढा कृत मरसिया महाराणा
प्रतातसिंहजी का !
                      !! छप्पय !!
अस लेगो अणदाग, पाघ लेगौ अणनामी !
गो आडा गवङाय, जिकौ बहतो धुरबामी !
नवरोजां न गयो, न गौ आतशां नवल्ली !
न गौ झरोखां हैठ, जैठ दुनियांण दहल्ली !
गहलोत रांण जीति गयो,
                            दसण मूंद रसणा डसी !
निसास मूंक भरिया नयण,
                             तो मृत शाह, प्रतापसी !!

महाराणा प्रताप को साम दाम दण्ड भेदोपाय से येन केन प्रकारेण अपने झण्डे के अधीन में लाने के उपायोन्तर्गत चार पांच संधी प्रस्ताव भी अकबर ने भेजे जिसमे आमेर के कुंवर मान सिंह भी थे उनके बीच नाना प्रकार के संवाद हुये जिनको निरूपित किया है बारहठ केसरी सिंहजी सौन्याणां ने जिसकी एक झलकः.....

प्रताप व मान का संवाद !!
     बारहठ केसरीसिंह सौदा सौन्याणा !!
                    !! प्रताप-चरित्र !!
                        !! कवित्त !!
तनुजा हमारी सोतो क्षत्रिन को ब्याहेगी रू,
मुगलों की संम्पदा पर प्रेम नहीं लावैगी !
भानुकी मरीचि दिश पच्छिम उदै ह्वै तो हू,
जवन जनानखाने बीच नांही आवैगी !
इनकौ तो औसर मिलेगो कहां ऐसो श्रेष्ठ,
जीवित अजीवित ही ये तो जरि जावैगी !
हिन्दुवानी होई के जो हुरम कहावे मान,
पहुमी के पेट में पनाह वही पावैगी !!35!!

महाराणा प्रतापसिंहजीने अपने उसूलों से कभी भी समझौता नहीं किया और संस्कार स्थापना पर सदैव कायम रहे,निरंतर युध्दों मे उऴझना और वह भी उस समय के संसार के सबसे अधिक शक्तिशाली बादशाह के साथ में, उस समय के शासक वर्ग का अकबर को साथ देना तथा प्रतापसिंह जी का प्रतिरोध करना व कुछैक मेवाङ निवासियों का बादशाहसे मिल जाना, इस प्रकार की सभी प्रतिकूल परिस्थितियोंमें, जबकि कोईभी जगह  सुरक्षित नहीं थी, ऐसी विकट परिस्थितियों में भी महाराणा नें अपने या सामन्तो के परिवार के किसी भी सदस्य को मुगलों के हाथ नहीं पङनें दिया, उलटे मुगलोंके हरम की महिलाओ
को अमरसिंह पकङकर लाये तो महाराणा जी ने समान सहित वापस भेजा ।
                 ऐक बार महाराणा के सरदार शाम के समय भोजन के बाद विश्राम की तैयारी में थे तो अचानक मुगलों का आक्रमण हो गया था, सभी फौजी दस्ते मुकाबला या रणनीती में लग गए, इसआपा धापी में महाराणा की बूढी माताजी जो चलने में असमर्थ थी को भूल गए, अचानक यह बात पानङवा के ठाकुर हरीसिंह को याद आई तो उसने बूढी राजमाता को अपनी पीठ पर बांन्ध कर पहाङों पर चढ गया था, पर मुगलों को परिवार छोङ कभी पशुओं को भी हाथ नहीं लगने दिया । महाराणा प्रताप नें हरीसिंह पानङवा को विशेष अधिकार दिए जो स्वतंत्रता तक उसके वंशजो केअधिकार में चलते आये थे !!
युध्द की स्थिति और चलते युध्द में भी अपनी वीरोचित उदारता से महाराणा कभी भी विमुख नही हुए इसकी साक्षी मेः........

हल्दीघाटी रा समर होवण में ऐक दोय दिनां री ढील ही, दोनों ओर री सेनावां आपरा मौरचा ने कायम कर एक बीजा री जासूसी अर सैनिक तैयारियां री टौह लेवण ने ताखङा तोङ रैयी ही जंगी झूंझार जौधारां रो जोश फङका खावण ने उतावऴो पङरियो हो, राणाजी रा मोरचा तो भाखरां रै भीतर लागियोङा हा नै मानमहिप रा खुलै मैदानी भाग मे हा, लङाई होवणरै दो दिन
पहली मानसिंहजी शिकार खेलण थोङाक सा सुभट साथै लैय पहाङां रै भीतरी भाग मे बङ गिया, राणाजी रा सैनिक जायर राणाजी ने आ कही कि हुकुम इण हूं आछो अवसर कदैई नहीं मिऴेला अबार मानसिंहजी ने मारदेवां का कैद कय लेवां, इण बात पर राणाजी आपरी वीरता री उदारता दिखाय आपरा सुभटांने पालर कैयो क आंपणै औ कायरता रो करतब नीं करणो है आंपा धर्म रा रक्षक हां अर भगवानरा भगत हां जणैई आंपांरी बिजै हुवै है, महाराणाजी री ई उदारतारो बरणाव कवि केसरीसिंहजी सौदा रा
मुख सूं ।
                   !! दोहा !!
अरज करि सुभटन यहां, प्रभु अवसर यहँ पूर ।
कैद करें गहि कूर्म को, ह्वै जो हुकम हजूर ।।
रानकहि अरिदल रहित, अनुचित कर्म अतीव ।
हम रक्षक दृढ धर्म तो, दे हैं विजय दईव ।।
                   !! कवि-कथन !!
त्रियअरू शत्रु एकान्तमें, काहू को मिल जात ।
रहै मुस्कल बहु रिसिनको, रहतसुन्यो मनहाथ।
                 !! मनहर !!
पारासर जैसे मछगंधा को ऐकान्त पाय,
काम-वासना को तृप्त करिवे टरे नहीं ।
द्रोन से अपूर्व वीर चक्रब्यूह बेध काल,
बाल अभिमन्यु कहँ गहिबे मुरे नहीं ।
कर्न के कहे पै कान नेक न किरिटी दीन्हो,
धर्म युध्द ठान भुज धरम धरे नहीं ।
कौन परताप महारान सो अरिन कैद,
करि तो सकै पै क्षमा करि के करे नहीं ।।
                  !! दोहा !!
कउ कहत महारानकी, भई महा यहँ भूल ।
लैते बदला मान तै, हतो समय अनुकूल ।।
पै देखहू यह भूल को, महिपति कितनो मोल ।
सबलछमी निरगर्वधनी, ताहिसके को तोल ।।
        
                       !! मनहर !!
प्रचुर पहारन में हजारन फौज परी,
ताके ढिग कूर्म कर्न मृगया विचारी है ।
शत्रुन निकट असहाय फिरै सून्य हिये,
माननीय कच्छप की कैसी मति मारी है ।
गहिबे की अरज भई त्यौं गहिलोत हू तें,
पातल छमा की तहाँ नजर प्रसारी है ।
मान अविचारता पै कैते अविचारी वारौं,
रान की उदारता पै बली बलिहारी है ।।

धन्य है महाराणा प्रतापसिंहजी जिणानै आपरै उपर अबखा बिखारी भी कोई परवा नीं होवती पण आपरा ऊँचा राजपूति अर मानवता रा ऊंचा उसूल अर काण कायदां ने आपाण पाण निभाय कुऴवट अर रजवट रूखाऴी है !!

बऴ पराक्रम और महाराणा प्रताप सिंहजी !!
हल्दीघाटी के चरम पर चलते युध्द में जब महाराणा मानसिंह पर आक्रमण को अग्रसर हो रहे थे तब बहलोलखाँ नामक इक्का उनको मारने को बढा महाराणा प्रताप ने तलवार को घुमाकर "मंडलाग" मारा जिससे बहलोल खांन अपने सिरके लोहे के टोप जिरह बख्तर शरीर घोङे की काठी और घोङे सहित दो भागों मे विभाजित हो गया जैसा कि महाभारत कालमें भीमसेन ने जरासन्ध को दो भाग किया था दो हाथों से पर महाराणा ने एक ही तलवार वाले हाथ से इक्के को दो भागों में विभक्त कर दिया तथा इसके बाद में कुंवर मान से मुखातिब हुए एवं अपने प्रिय घोङे चेतक को हाथी के सिर पर अगले पांव पर खङा कर मानसिंहजी पर भाले का प्रबल प्रहार किया जो कि प्रतापसिंह जैसै प्रचंड वीर के लिए ही संभव हो सकता है बहलोलखाँ पर किए आक्रमण की पुष्टि में वहीं पर युध्दरत रहे चारण रामांजी सांदू ने बङा ही सुन्दर व सटीक कवित्त सृजन किया है !!
                   !! कवित्त !!
गयंद मान रै मुहर ऊभौ हुतौ दुरत गत,
सिलह पौसां तण जूथ साथै !
तद बही रूक अणचूक पातल तणी,
मुगल बहलोलखाँ तणै माथै !
वीर अवसाण केवाण उजबक बहै,
राण हथवाह दुय राह रटियो !
कट झिलम सीस बगतर बरंग अंग कटै,
कटै पाखर सुरंग तुरंग कटियो !!

महाराणा ने अपने घोङै चेतक को मानसिंह के हाथी पर कुदाया इस कार्य को "फिरत" कहा जाता है और यह बहुत ही बलशाली व सधा हुआ प्रशिक्षित घुङसवार ही कर सकता है जो कि प्रतापसिंहजी जैसै सुभङ के लिए ही संभव व साध्य था !!
(जनरल अमरसिंह चांपावत कानौता ने अपनी दैनिक डायरी में लिखा है किः.....जोधपुर के महाराजा जसवंतसिंह जी के महाराजकुंवरजी सरदारसिंहजी जब बूंदी विवाह के लिए जा रहे थे तब जोधपुर के सरदार ने इसी " फिरत" से अपने अश्व को कुदाकर महाराजकुमार के होदे में चुश्की पकङायी थी जनरल अमरसिंह इस बारात में शामिल थे और इस आंखो देखी हुई घटना का विवरण डायरी में दिया है !!)

विश्व के इतिहास के देदिप्यमान जाज्वल्यमान नक्षत्र महाराणा प्रताप सही मायने में हिदुंवांण सूरज थे आज हिन्दी पंचांग की तिथीनुसार उनके जन्मदिवस पर हम सभी को उन पर गर्व है उनको नमन अभिनंदन व वंदन है !!

सोमवार, 12 दिसंबर 2016

जोधपुर की संस्कृति

जोधपुर की संस्कृति

1-दो ब्रेड के बीच में मिर्ची बड़ा दबा के खाना यहाँ का खास ब्रेकफास्ट माना जाता  है.

2-मिठाई की दूकान पर खड़े-खड़े आधा किलो गुलाब जामुन खाते हुए जोधपुर में सहज ही किसी को देखा जा सकता है.
...
3-गर्मी से बचाव के लिए चूने में नील मिला कर घर को पोतने का रिवाज़ सिर्फ और सिर्फजोधपुर में ही है.

4-बैंत मार गणगौर जैसा त्योंहार सिर्फ जोधपुर में मनाया जाता है,जिसमे पूरी रात सड़कों पर महिलाओं का राज़ चलता है.

5-दाल-बाटी-चूरमा के लिए जोधपुर में कहा जाता है....दाल हँसती हुई,चूरमा रोता हुआ ओर बाटी खिल-खिल होनी चाहिए.मतलब-दाल चटपटी-मसालेदार,चूरमा ढेर सारे घी वाला और बाटी सिक के तिडकी हुई होनी चाहिए.

6-पानी की सप्लाई शुरू होते ही घर का आँगन धोने का रिवाज़ जोधपुर में ही है.

7-हरेक गली के नुक्कड़ पर पानी पात्र की खुली कुण्डी जोधपुर में लगभग हर जगह मिल जायेगी,जहाँ  का बचा-खुचा भोजन गायों को डाला जाता है.

8-किसी भी काम को सीधे मना करने की आदत किसी भी "जोधपुरवालो" की नहीं होती...

9-यहाँ फास्ट फ़ूड के नाम पर पिज्जा-बर्गर से ज्यादा मिर्ची बड़ा और प्याज की कचौरी ज्यादा पसंद की जाता है.यहाँ कहा जाता है कि जोधपुर  में अखबारों से भी ज्यादा मिर्ची बड़े के बिक्री होती है.

10-सड़क पर लगे जाम में फँसने के बजाय जोधपुर के लोग पतली गालियों से निकल जाना पसंद करते हैं.

11 - सराफा बाज़ार    जोधपुर में एक ऐसी जगह है जहाँ ,जन्म लेने वाले बच्चे के सामान से ले कर अंतिम संस्कार तक का सामान मिल जाता है.

12 -  जोधपुर के ऑटो रिक्शा अपनी विशेष साज-सज्जा के लिए दुनिया भर में मशहूर है.

13-"के.पी."...यानि खांचा पोलिटिक्स की ट्रिक खास जोधपुर वालो के अंदाज़ में है,जिसमे भीड़ से किसी भी आदमी को सबके सामने चुप चाप अलग कोने में ले जा कर सिर्फ इतना पुछा जाता है..कैसे हो आप?
इससे उस आदमी का महत्व उस भीड़ में बढ़ा दिया जाता है..

14 -जोधपुर  का खास जुमला है-"कांई सा" और "किकर"..इसका अर्थ है-कैसे हैं आप और इन दिनों क्या चल रहा है.

15 -"चैपी राखो"..इस शब्द कां जोधपुर मतलब है-जो काम कर रहे हो,उसमे जुटे रहो.

16 - मिर्ची बड़ा,मावे की कचौरी और दही की लस्सी पर हर जोधपुर वासी को गर्व है.

17- जोधपुरमें मिठाइयों की क्वालिटी उसमे डाली जाने वाली चीजों से नहीं आंकी जाती बल्कि इस से आंकी जाती है कि उनमे देसी घी कितना डाला गया है.

18-यहाँ की परंपरा में गालियों को घी की नालियाँ कहा जाता है.तभी तो यहाँ का बशीन्दा गाली देने पर भी नाराज़ नहीं होता,क्यों कि गाली भी इतने मीठे तरीके से दी जाती है,उसका असर ना के बराबर हो जाता है.

19-जोधपुर रोजाना 4 हज़ार किलो बेसन सिर्फ मिर्ची बड़े बनाने में खर्च होता है.

20-"संध्या काल में शुभ - शुभ बोलना चाहिए " इसीलिए यहाँ शाम होते ही लोग बड़े से बड़ा पान मुहँ में दबा लेतें है , जिससे केवल ॐ की ध्वनि ही उच्चारित हो सके...

21- जोधपुर के साफे  विश्व प्रसिद्ध है |

22- सर्दियो में हल्दी की घोट खास जोधपुर   की पहचान हे।       

23- कड़का कड़क कपडे  जोधपुर की पहचान हे।                  

24- सब को "सा"लगाकर बुलाना  जोधपुर की संस्कृति हे ।

25-जोधपुर  वालो से दोस्ती रखना मतलब पूरा दुनिया की जानकारी हाशिल करना हे।

  म्हारो प्यारो जोधपुर 

खम्मा घणी

मंगलवार, 25 अक्तूबर 2016

जोधपुर, सिर्फ हमारा जोधपुर

जोधपुर,
सिर्फ हमारा जोधपुर

वो गर्मीयो की शाम,
ओर वो जालोरी गेट का "जाम"
.
वो कायलाना रोड की "हवा",
ओर वो गान्धी हॉस्पिटल की "दवा"

वो घन्टाघर कि"शाँपींग"
ओर सिटी बस कि"हिटिंग"

वो रिषभ के "सुट"
ओर वो नई सडक वाले के "बुट"

वो सोजती गेट के "पानी पुडी"
ओर पुन्गलपाडे के महशूर "गुलाब जामुन

वो  जालोरी गेट कि "आइसक्रीम"
ओर वो नींबू सोडा
वे राजमाता स्कूल के पाटे     और सिटी मे अते ही सौटे
वो घनश्यमजी मंदिर कि "शान"
ओर वो सावंरीया का "पान"

वो बी रोड कि"पावभाजी"
ओर वो  दाबेली वाले कि "आलू टिक्की"

वो आईस्क्रीम वाले का "शेक"
ओर  15a.d  का "केक"

वो ठेले का "अचार"
ओर आप सभी कर रहे "विचार"

वो "कुद्दुस" की  "चाय"☕
ओर वो सूर्या  कि "नमकीन"

वे SMS Schoolके "नजारे"
ओर शास्ञी सर्कल के ठंडे "फवारे"

वो उम्मेद स्कूल  की "सडके"
जहा ना जाने कितने दिल "धडके"

वो मस्ती भरी कि "यादें"
ऐसी है कुछ हमारे 
"जोधपुर" की" बातें"
 
जोधपुर वाले या जोधपुर से नाता हो तो आगे FORWARD करो यारो ...,,,,  

जोधपुर तो जोधपुर है,,,,

शुक्रवार, 14 अक्तूबर 2016

Ghana sara dollars kamao sa

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रविवार, 25 सितंबर 2016

छाती कूटा

अध्यापक -
टेबल पर चाय किसने गिराई ? इसेअपनी मातृभाषा मे बोलो ।

छात्र -
मातृभाषा मतलब मम्मी की भाषा में ?

अध्यापक - हां ।

छात्र - अरे छाती कूटा म्हारा जीव लियां बिना थने चैन नी पड़े ? ओ कीरो बाप ढोली चाय ?

अध्यापक बेहोश !

थे घास नांखणीं बंद करो

थे घास नांखणीं बंद करो
--------------------------------------
थे रिश्वत देणीं बंद करो,
लेवणियां भूखां मर ज्यासी।
थे घास नांखणीं बंद करो,
सरकारी सांड सुधर ज्यासी।

खुद रा घर को करो सुधारो,
आखो गांव सूधर ज्यासी।
थे भाव देवणां बंद करो,
केयां रा भाव उतर ज्यासी।

दूजां में गलत्यां मत देखो,
गलत्यां खुद में ही मिल ज्यासी।
जे खुद चोखा बण रेवोला,
पाडोसी चोखा मिल ज्यासी।

थे ब्लेक लेवणों बंद करो,
दो नंबर पूंजी घट ज्यासी।
ईमान धरम पर चालोला,
तो पाप पाप रो कट ज्यासी।

बेटी री कदर करोला तो,
झांसी की राण्यां आ जासी।
पन्ना मीरां अर पदमणियां,
सीतां सावित्र्यां आ ज्यासी।

आजादी रो मतलब समझ्यां,
भारत रो रूप संवर ज्यासी।
सूतोडा शेर जाग ज्यासी,
साल्यां में भगदड मच ज्यासी।

भिड ज्यावो आतंकवादयां सूं,
आतंकवादी खुद डर ज्यासी।
सीमाडे सूता मत रेवो,
दुशमणं री छाती फट ज्यासी।

जे एक होयकर रेवोला,
तो झोड झमेला मिट ज्यासी।
मेहनत की रोटी खावोला,
तो बेईमानी मिट ज्यासी।

झूठा वादां में मती फसो,
वादां री हवा निकल ज्यासी।
वोटां री ताकत नें समझ्यां,
दादां री जमीं खिसक ज्यासी।

नारां रे लारे मत भागो,
नारां रे नाथां घल ज्यासी।
मत बंद और हड़ताल करो,
नुकसाणं देश रो बच ज्यासी।

जे नेम धरम पर चालोला,
जीणें रो ढंग बदल ज्यासी।
मैणंत रा मोती बोयां सुं,
धरती रो रंग बदल ज्यासी।

कविता री कदर करोला तो,
गीतां री राग बदल ज्यासी।
दोस्तों आलस छोड ऊठो,
भारत रा भाग बदल ज्यासी।
     

शुक्रवार, 23 सितंबर 2016

माथे में गुमड़ो हूरयो हो ..

नेम जी अस्पताळ गया !
माथे में गुमड़ो हूरयो हो ..

नर्स जांच कर'र पर्ची बणाबा लागी ...पूछ्यो "नाम !"

नेमीचंद ...!

"उमर किती है !" नर्स पूछ्यो !

छब्बीस बरस !

नर्स-- शादी-शुदा हो ?

नेम जी बोल्या "नहीं सा .
बा बात कोनी ..,
.
.
.
.
.
.
.
.
.


तिसळ'र पड़ग्यो, जणा लाग़गी !

ढब जा रे

मुकेश अंबानी लक्ष्मी पूजन कर रहे थे।

तभी लक्ष्मी जी प्रकट हुई और बोली "ऐ रे मुकेश्या

थू तो ढब जा रे " बेटी का बाप

इत्तो खतरनाक गणित

सात फेरो का गणित

शादी में वर - वधु को 7 फेरे लगवाये जाते है,
क्योंकि एक फेरा 360° का होता है.
और 360 ऐसी संख्या है जो 1 से 9 तक के अंको में केवल 7 से विभाजित नही होती.

इसलिए 7 फेरो का सम्बन्ध अविभाज्य है.
Salute to Indian science & culture

इत्तो खतरनाक गणित

मंगलवार, 20 सितंबर 2016

मती फेको..

एक मारवाडी USA गया और वहां के एक इमारत में आग लग गई।
मारवाडी फायर ब्रिगेड वालो से बोला
मिनका ने उपर सु नीचे नाको मैं नीचे झेल लूँगा।
पहले एक लड़का आया,
फिर लड़की,
फिर आदमी
फिर औरत
मारवाडी ने सबको पकड़ लिया।
फिर एक नेग्रो
(काला व्यक्ति) आया

तो मारवाडी ने उसको छोड़ दिया

और बोला ...

अरे म्हारा बाप,   बलगा जका ने तो मती फेको...

शनिवार, 17 सितंबर 2016

रोशनी

छोरो : थारो नाम के हैं ?
छोरी : मेरो नाम हैं।
छोरो : के??????

छोरी : रोशनी नाम हैं मेरो

छोरी : थारो नाम के हैं ?
छोरो : मेरो नाम गुजरात,महाराष्ट्र,पंजाब,मध्यप्रदेश,
ओरिस्सा, बंगाळ....हैं
छोरी:- के??????

छोरो: बावली मेरो नाम "राज्यो" हैं "राज्यो"   .!!!

कोडमदेसर भैरुंजी रा छंद-

कोडमदेसर भैरुंजी रा छंद-
गिरधरदान रतनू दासोड़ी
(कोडमदेसर भैरुंजी रो बीकानेर में ऐतिहासिक महत्व है।जद बीकोजी जोधपुर सूं जांगल़धरा में आया तद आ मूरती मंडोवर सूं साथै लाय अठै कोडमदेसर गाम में उण ताल़ाब री पाल़ माथै थापित करी जठै कदै ई कोडमदे मोयल आपरै पति पूगल़ रै राजकुमार सादै(शार्दूल) री वीरगति पायां पछै एक हाथ री चूड़ सूं ओ ताल़ाब खोदायो अर एक हाथ बाढर आपरी सासू रै पगै लगाई में मेलियो।इणी भैरुं माधोदास रामस्नेही जैमलसर रै भंडारै सारु मुल़ताण रै एक बाणियै रो सीरै सूं भरियो कड़ाव आणियो,जिणरी अल़ग कहाणी है।कालै  विद्यालय स्टाफ भैरुनाथ रा दरसण करावण नैं आग्रह सहित लेग्या। मानता है कै देवद्वारै,राजद्वारै अर गुरुद्वारै खाली हाथ नीं जावणो सो उणां तो मीठी पूज की अर म्हैं एक रोमकंद छंद भैरु भुरजाल़ै नैं भेंट कियो सो आपरी निजर कर रैयो हूं-)
दूहा
मंडोवर तज माल़िया,
हिव धर जंगल़ हाथ।
रहै इणी धर रीझियो,
नितप्रत भैरवनाथ।।1
जाहर कोडांणो जगत,
सधर धारी रह स्वान।
चावो है चहुंकूंट में,
ठावो थल़वट थान।।2
सिध कामा करण सफल़,
मामा सुण मतवाल़।
जसनामा कवियण जपै,
सामा देख सचाल़।।3
सतधारी चामँड सुतन,
पतधर विघन प्रजाल़।
मुणियो जस मत रै मुजब,
नितप्रत निजर निहाल़।।4
छंद रोमकंद
थपियो थल़ मांय अनुप्पम थांनग,
छत्र मंडोवर छोड छती।
थल़वाट सबै हद थाट थपाड़िय,
पाट जमाड़िय बीक पती।
दिगपाल़ दिहाड़िय ऊजल़ दीरघ,
भाव उमाड़िय चाव भरै।
कवियां भय हार सदा सिग कारज,
कोडमदेसरनाथ करै।।1
प्रगल़ो हद नीर सरोवर पालर,
तालर रै अधबीच तठै।
हरणी मन हेर फबै हरियाल़िय,
जंगल़-मंगल़ कीध जठै।
वरदायक ऊपर पाल़ विराजिय,
दूठ जितायक दीठ डरै।
कवियां।।2
मन थाक अयो सरणै सँत माधव,
आरत सारथ काज अखी।
सिंध जाय कड़ाव उठायर सांमथ,
राज अड़ाव में लाज रखी।
'सर जैमल'में पड़ियो अज साबत,
भाल़ थल़ीजन साख भरै।
कवियां।।3
अगवांण दिपै धिन आयल रो इल़,
मांण अपै मनपूर मही।
सबल़ापण आंण दफै कर संकट,
लंब सुपांण रुखाल़ लही।
वरियांम बखांण बहै बसुधा बड,
तीर समँदाय पार तरै।
कवियां।।4
नर-नार अलेखत भेद बिनां निज,
मांग सँपूरत सांम मढै।
कितरा कव जाप जस कायब,
पंडत मत्र अलाप पढै।
नरपाल़ कितायक नाक नमै नित,
धांम सिधेसर ध्यांन धरै।
कवियां।।5
सिंणगार सिंदूर सजै तन सुंदर
सोरम माल़ ग्रिवाल़ सही।
डणकार सवांन चढै अरि दाबण,
शूल़ करां अजरेल सही।
मनरा महरांण सदा रँग मांणण,
झींटिय तेल फुलेल झरै।
कवियां।।6
लहरां मँझ रास रचै लटियाल़क,
रात उजाल़क रीझ रमै।
पद घूघर बाज छमाछम पावन,
जोर घमाघम नाथ जमै।
डमकार डमाडम बाजिय डैरव,
धूज धमाधम यूं धररै।
कवियां।।7
मुख बांण सिरै मुझ आपण मातुल,
दान विद्या रिझवार दहै।
इणभांत पढूं छँद आणददायक,
कान करै कवि गीध कहै।
सुण साद सताबिय भीर सहायक,
दोस दयाल़िय कीध दुरै।
कवियां।।8
छप्पय
नमो भैरवानाथ,
जगत जाहर जस जांणै।
बंकै बीकानेर,
कियो निवास कोडांणै।
जंगल़पत री जोय,
वार करी के वारां।
उरड़ सरण तो आय,
जोड़ हथ नमै हजारां।
तणकार स्वान तातो तुरत,
भीर सिमरियां भैरवा।
रीझ नै सांम गिरधर रखै,
मामा निसदिन मैरवा।।
गिरधरदान रतनू दासोड़ी

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