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शनिवार, 17 सितंबर 2016

कोडमदेसर भैरुंजी रा छंद-

कोडमदेसर भैरुंजी रा छंद-
गिरधरदान रतनू दासोड़ी
(कोडमदेसर भैरुंजी रो बीकानेर में ऐतिहासिक महत्व है।जद बीकोजी जोधपुर सूं जांगल़धरा में आया तद आ मूरती मंडोवर सूं साथै लाय अठै कोडमदेसर गाम में उण ताल़ाब री पाल़ माथै थापित करी जठै कदै ई कोडमदे मोयल आपरै पति पूगल़ रै राजकुमार सादै(शार्दूल) री वीरगति पायां पछै एक हाथ री चूड़ सूं ओ ताल़ाब खोदायो अर एक हाथ बाढर आपरी सासू रै पगै लगाई में मेलियो।इणी भैरुं माधोदास रामस्नेही जैमलसर रै भंडारै सारु मुल़ताण रै एक बाणियै रो सीरै सूं भरियो कड़ाव आणियो,जिणरी अल़ग कहाणी है।कालै  विद्यालय स्टाफ भैरुनाथ रा दरसण करावण नैं आग्रह सहित लेग्या। मानता है कै देवद्वारै,राजद्वारै अर गुरुद्वारै खाली हाथ नीं जावणो सो उणां तो मीठी पूज की अर म्हैं एक रोमकंद छंद भैरु भुरजाल़ै नैं भेंट कियो सो आपरी निजर कर रैयो हूं-)
दूहा
मंडोवर तज माल़िया,
हिव धर जंगल़ हाथ।
रहै इणी धर रीझियो,
नितप्रत भैरवनाथ।।1
जाहर कोडांणो जगत,
सधर धारी रह स्वान।
चावो है चहुंकूंट में,
ठावो थल़वट थान।।2
सिध कामा करण सफल़,
मामा सुण मतवाल़।
जसनामा कवियण जपै,
सामा देख सचाल़।।3
सतधारी चामँड सुतन,
पतधर विघन प्रजाल़।
मुणियो जस मत रै मुजब,
नितप्रत निजर निहाल़।।4
छंद रोमकंद
थपियो थल़ मांय अनुप्पम थांनग,
छत्र मंडोवर छोड छती।
थल़वाट सबै हद थाट थपाड़िय,
पाट जमाड़िय बीक पती।
दिगपाल़ दिहाड़िय ऊजल़ दीरघ,
भाव उमाड़िय चाव भरै।
कवियां भय हार सदा सिग कारज,
कोडमदेसरनाथ करै।।1
प्रगल़ो हद नीर सरोवर पालर,
तालर रै अधबीच तठै।
हरणी मन हेर फबै हरियाल़िय,
जंगल़-मंगल़ कीध जठै।
वरदायक ऊपर पाल़ विराजिय,
दूठ जितायक दीठ डरै।
कवियां।।2
मन थाक अयो सरणै सँत माधव,
आरत सारथ काज अखी।
सिंध जाय कड़ाव उठायर सांमथ,
राज अड़ाव में लाज रखी।
'सर जैमल'में पड़ियो अज साबत,
भाल़ थल़ीजन साख भरै।
कवियां।।3
अगवांण दिपै धिन आयल रो इल़,
मांण अपै मनपूर मही।
सबल़ापण आंण दफै कर संकट,
लंब सुपांण रुखाल़ लही।
वरियांम बखांण बहै बसुधा बड,
तीर समँदाय पार तरै।
कवियां।।4
नर-नार अलेखत भेद बिनां निज,
मांग सँपूरत सांम मढै।
कितरा कव जाप जस कायब,
पंडत मत्र अलाप पढै।
नरपाल़ कितायक नाक नमै नित,
धांम सिधेसर ध्यांन धरै।
कवियां।।5
सिंणगार सिंदूर सजै तन सुंदर
सोरम माल़ ग्रिवाल़ सही।
डणकार सवांन चढै अरि दाबण,
शूल़ करां अजरेल सही।
मनरा महरांण सदा रँग मांणण,
झींटिय तेल फुलेल झरै।
कवियां।।6
लहरां मँझ रास रचै लटियाल़क,
रात उजाल़क रीझ रमै।
पद घूघर बाज छमाछम पावन,
जोर घमाघम नाथ जमै।
डमकार डमाडम बाजिय डैरव,
धूज धमाधम यूं धररै।
कवियां।।7
मुख बांण सिरै मुझ आपण मातुल,
दान विद्या रिझवार दहै।
इणभांत पढूं छँद आणददायक,
कान करै कवि गीध कहै।
सुण साद सताबिय भीर सहायक,
दोस दयाल़िय कीध दुरै।
कवियां।।8
छप्पय
नमो भैरवानाथ,
जगत जाहर जस जांणै।
बंकै बीकानेर,
कियो निवास कोडांणै।
जंगल़पत री जोय,
वार करी के वारां।
उरड़ सरण तो आय,
जोड़ हथ नमै हजारां।
तणकार स्वान तातो तुरत,
भीर सिमरियां भैरवा।
रीझ नै सांम गिरधर रखै,
मामा निसदिन मैरवा।।
गिरधरदान रतनू दासोड़ी

गुरुवार, 15 सितंबर 2016

तिसळ'र पड़ग्यो

नेम जी अस्पताळ गया ! माथे में गुमड़ो हूर् यो हो ..
नर्स जांच कर'र पर्ची बणाबा लागी ...पूछ्यो "नाम !"
नेमीचंद ...!
"उमर किती है !" नर्स पूछ्यो !
छब्बीस बरस !
नर्स-- शादी-शुदा हो !
नेम जी बोल्या "नहीं सा .
बा बात कोनी ..,
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तिसळ'र पड़ग्यो,जणा लागी !

कुण बेटो कुण बाप।

पीपा पाप न कीजिये, अल्गो रहिये आप,
करनी आपो आप री, कुण बेटो कुण बाप।।

जीव मार हिंसा करे, खातो करे बखान,
पीपा प्रत्यक्ष देखले, थाली माय मसाण।।

गीत त्रिकुटबंध करनीजी रो

सहृदय मित्र पुष्पेंद्रसा जुगतावत अर नरपतसा आशिया रै सुझाव माथै आंशिक संशोधन अर थोड़ीक बधोतरी साथै पाछो आप सैणां री निजर-
गीत त्रिकुटबंध करनीजी रो-गिरधरदान रतनू दासोड़ी
दूहो
विघनगारां मुख बाल़जै,मात मिल़ाजै मीत।
पढियो गिरधर प्रीत सूं,गुणी त्रिकुटबँध गीत।।
गीत -त्रिकुटबंध
इल़ा रूप करनल आजरो
हिवां जनम जय हिंगल़ाज रो
इम कोम किनियां करण ऊजल़,मेह रै महमाय।
अवतार करनल आपरो,
सुध भाग रँग सोयाप रो
सोयाप मुरधर रीत सुरधर
उमँग उरधर भाव भर- भर
कोड तर -तर होड कर-कर
गहक धुनिकर गीत घर-घर
सधर सज नर नार सरभर
गुमर हरदिस गहर मनभर
अमर फणधर उरस ऊतर
उछब अवसर रिधू अवतर
पहर खुशियां पाय।।1
जिथ जगराय जूनी जाल़ियां
तण-तण हींड हींडै टाल़ियां
हरियाल़ियां बिच हरस हिवडो ,रमै जणणी रास।
सज सगत झूल़र सोहणा
मँझ उतर मगरै मोहणा
धर कदम पड़पड़ धमक धड़धड
भिल़ी चड़ -चड़ सकल़ भड़ भड़
अरड़    ऊतर   उरड़   ऊमड़
हँसै हड़हड़ खिलै खड़खड़
वडम समवड़ डाव बड़ चड़
खमा खूबड़ अंब आवड़
सदल़ सुघ्घड़ रमै सड़सड़
अनड़  ऊपर गूंज गड़गड
हरस चहुंदिस हास।।2
खलदल़  कटक धर पर खाल़िया
पुनी रीझ  संतजन  पाल़िया
टाल़ियां ज्यांरा विघन तारां,हेर सिर रख हाथ।
कर कोप अरहर कोपणी
घट पटक शूल़ा  घोपणी
जद प्रगट बाघण कान सिर झट
निपट नटखट तणी तणणट
मरट मेटण क्रोध कटकट
झपट नखड़ां मुरड़ झटपट
दुसट दटपट लेस लटपट
फीस फटफट खँड्यो खटखट
चुरड़ चौसठ पियो चटचट
गजब गटगट त्रिपत घट-घट
बहै थिरचक बात।।3
अवनी प्रवाड़ा अणमापरा
उवै सक्कै कुण गिण आपरा
इम रीझ रंकां दैण अवनी,महर कर महिपाल़।
रिड़माल वीकै रीझणी
धुर थाप जंगल कर धणी
गढ छोड गढपत मान मढपत
प्रतख समरथ राखसी पत
साज सतपथ शरण सुधमत
मांड कथ सथ कही महिपत
हर विपत,दे वर बीसहथ
सगत सुण वत किया श्रीपत
थपत जंगल़ पाट थिरपत
भगत भूपत पाव तो प्रत
नमत नित-नित रह्या नरपत
पीढियां प्रतपाल़।।4
दुनी दिपै धज्ज देसांण री
सदा जोड़ धिन्न सुररांण री
बीकांण री वरियांम बसुधा,निमल़ नवखंड नांम।
मढ दरस करनल मात रा
पह सरस कर परभात रा
आ विमल़ बेकल़ बिछी वल़वल
डगर इणपुल़ सजी दल़बल
सगत सहियल़ मिल़ी महियल़
पूग इल़थल़ समल़ परबल़
धार धाबल़ अमल ऊजल़
पाट भलहल़ चीर पल़पल़
हार गल़ बिच हिंडल़ हल़वल़
रमण मनरल़ राय रँगथल़
धरा पावन धांम।।5
वड्ड बीसहथ झल्ल बांहड़ी
छतर धार लोहड़्ड छांहड़ी
मावड़ी निसदिन रखै मरजी,सुणै गरजी साद।
चढ केवियां थट चूरणी
थंभ जँगल़ रिपुदल़ थूरणी
चख लाल कर चढ जैत पख चट
जुड़ी अणथक क्रोध धख झट
भांज लखदल़ लेय भख भट
डक रगत डकडक पियो दट
थरक कमरू अँतक थक थट
छोड बख निज भगो फक छट
महि अरक तक जँगल़ रख मट
रसा जस धज फरक रजवट
मँडी मा मरजाद।।6
जद-जद डरूं संकट जांमणी
सद सुरराय तूं मो सांमणी
थांमणी अँगुल़ी राय थल़वट ,भाल़ करणी भीर।
हित करण,आफत हारणी
चढ खड़ै नाहर चारणी
चढ मदत चारण हांण हारण
भांय भारण आ उतारण
तरण तारण इम उबारण
कुबुद्ध टारण सुबुद्ध कारण
दे उचारण डर विदारण
धरम धारण मन मँझारण
बण उद्धारण ऐण बारण
सकज सारण पथ सुधारण
धरै गिरधर धीर।।5
दूहो
काला आखर करनला,
मन व्हाला कर माय!
गीत कयो कवि गीधियै,
सुण रीझै सुरराय।।
गिरधरदान रतनू दासोड़ी

जणालटक जा

मारवाड़ी पति अपनी पत्नी को मोबाइल पर कंप्यूटर चलाना सीखा रहा था

पति : माय कम्पुटर पर राईट क्लिक कर ।
पत्नी : हाँ कर लियो
पति : फोल्डर खुलियो ?
पत्नी : हां खुलियो ।
पति : अवे ऊपर की तरफ देख कई दिखियो ?
पत्नी : पंखो

पति : चोखो जणालटक जा

खिलौनों

*राजस्थानी भाषा में एक व्यंगात्मक*
                    *हास्य कविता *

कलयुग में भगवान एक, ''खिलौनों बणायो।
दुनियावाला ई को नाम मोबाइल रखवायो।

मोबाइल रखवायो,खिलोणो अजबअनोखो।
धरती क इन्साना न यो,लाग्यो घणो चोखो।।

इन्सानासुं भगवनबोल्या,बात राखज्यो याद।
सोचसमझ वापरो, वरना होज्यासो बर्बाद।।

होज्यासो बर्बाद,चस्को लागेलो अति भारी।
ई के लारे पागल हो जावेली दुनिया सारी।।

सदउपयोग करेजो कोई,काम घणोयो आसी।
दुर्पयोगजे होवण लाग्यो,टाबर बिगड़जासी।।

टाबर बिगड़ जासी,कोई की भी नहीं सुणेला।
'मोबाइल' में मगन रहसी,काम नहीं करेला।।

टाबरांकी छोड़ो,बडोड़ा की अक्कल जासी।
कामधंधा छोड़ बैठ्या मोबाइल मचकासी।

मोबाइलमचकासी और खेलसी दिनभरगेम।
व्हाट्सएप रे मैसेज मे ही,बीत जासी टेम।।

छोरियां और लुगायां लेसी इंटरनेट कनेक्शन।
हाथांमें मोबाइल रखणो बणजावेलो फ़ैसन।।

बण जावेलो फ़ैसन,ए तो फेसबुक चलासी।
रामायण और भगवतगीता पढणो भूलजासी

अपणेअपणे मोबाइल मे,रहसी सगळा मस्त।
धर्मकर्म और रिश्तानाता,सबहो जासी ध्वस्त।

हे ! प्रभु थारी आ लीला है घणी अपरम्पार
थें म्हानेबतावो, यो थांरो किस्यो है अवतार'।।

न्याल कर दिया सा

अगर कंप्यूटर सिस्टम मारवाडी में होता तो कम्प्यूटर का "की पैड" या मैसेज के नाम  कुछ इस प्रकार होते :

Welcome :    पधारो सा 
Ok:     ठीक सा

Send:   गयो परो

Download:  आ गियो सा ☺

Delete:      चूले म जा

Search:    कठीने मरियो

Run:       दोडो

Syntax Error:  अबे की नइ हु सके

Ctrl+Alt+Del: सबरो पापो कटीयो

Thanks: न्याल कर दिया सा

HISTORY OF JODHPUR : मारवाड़ का संक्षिप्त इतिहास

  Introduction- The history of Jodhpur, a city in the Indian state of Rajasthan, is rich and vibrant, spanning several centuries. From its o...

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