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बुधवार, 31 अगस्त 2016

जुद्ध

जुद्ध-

गिरधरदान रतनू दासोड़ी
इतरा आकरा मत पड़ो
जुद्ध रै सारु
बेटी रै बापां!
क्यूं कसो हो जीण
किणी नै तीण -तीण करण नै
क्यूं बजावो हो बीण
छेड़ण नैं नाग नुगरां नैं
डसण सारु
मत बतावो मारग
आपां नीं जाणां हां मंत्र
उणरो
जहर कब्जै में करण रो।
क्यूं मारो हो
किणी नैं बेमोत
जुद्ध रै भय सूं
क्यूं रचो हो?
जुद्ध रा जंजाल़ -जाल़
पंपाल़ मत करो
मत तोड़ो पांपल़ा
वश में करण रा
किणी नै मारण सूं पैला
मरणो पड़ै है
जुद्ध रै कई मोरचां माथै!
सोचो तो खरी
बेलियां !
एकर जुद्ध रा चितराम म़ाड र
देखो तो खरी
धरा रा चितराम
टाबरियां रै बिखरियै घरकोलियां नै
रमतियां नै
किसड़ाक दीखै है?
जुद्ध रै आंगण सूं
कोरो तो खरी
एक र जुद्ध नीवड़ियां
पछै रा मांडणा
इण रूपाल़ी धरती रो रूप
किसड़ोक लागै है
मनभावणो !!
करज्यो मती
धरा नै इतरी विडरूप
आपरै हाथां सूं।
जिणनै देखतां
आपरी आंख्यां
लाजां मरै जावै
अर
डर जावै
आपांरी आत्मा
जुद्ध रै रचाव सूं
राखज्यो इतरो खटाव
कै
छेहली सांस तक
मत छेड़ज्यो
राग जुद्ध री निरभागणी!
गिरधरदान रतनू दासोड़ी

मंगलवार, 30 अगस्त 2016

सूधा ......सट्ट

स्कूल का निरीक्षण चल रहा था।
निरीक्षक लड़कों से-
'सावधान'।
कोई हिला तक नहीं।
निरीक्षक-
'विश्राम'।
सब वैसे ही खड़े रहे।
निरीक्षक-(हेड मास्टर से)
क्या है ये.. इनको इतना
भी नहीं आता।
हेडमास्टर-ऐसा नहीं है सर, मैं करवाता हूँ।
हेड मास्टर- 'सूधा ......सट्ट ।
सब सावधान हो गए।
हेड मास्टर : 'ढिलो .....धस्स ।
सब विश्राम हो गए।
हेड मास्टर( निरीक्षक से) -
ओ राजस्थान है,भाया।। थारी दिल्ली कोणी लाडी

निरीक्षक बेहोश।

सोमवार, 29 अगस्त 2016

देख सके तो आज देख ले

देख सके तो आज देख ले !!!!!

आ आजादी आज देख ले ! तकदीरां का ताज देख ले !!

करमां आडी लीकां काडी, आरक्षण आगाज देख ले !
रुजगारां रो रोळो मचियौ ,
रोळ दपट्ट ऐ राज देख ले !!

ठावा ठरका ठसक ठाकरी, अफसरिया अंदाज देखलेे !
लहरां बिच में लाय लागगी ,
जळ बिन डूू़बी जाज देख ले!!

धरम धजा धारै धणियापौ ,
दुष्टि  दंगाबाज  देख  ले !
नेताजी रा नखरा न्यारा ,
खिणे कोढ में खाज देख ले !!

लाडेसर लखणां रा लाडा ,
लुटतां लिछमी लाज देख ले! भ्रष्टाचारी गुणिया भणिया ,
करोड़ां का काज देख ले !!

चोरी  ज़ारी  बारी  बारी ,
रोज करे रियाज देख ले !
लुकती लुळती लाचारी रा ,
सूना पड़िया साज देख ले!!

निबंळां ऊपर निरभै नाचै ,
सबळां रो समाज देख ले !
अंत हो जासी आंख अंधेरों ,
देख सके तो आज देख ले !!

*रतन सिंह चंपावत रणसी गांव* ©©©©©©

बरसाल़ै रो गीत चित इलोल

बरसाल़ै रो गीत चित इलोल़-गिरधरदान रतनू दासोड़ी
अहर निस असमान आयो,
महर कर मघवान।
लहर कर हद ल़ोर लूंब्या,
ठहर थल़वाट थान।
तो थिरथानजी थिरथान,
थपियो इँद थल़वट थान।।1
गहर नभ गड़डाट गाजै,
धरर कर धड़ड़ाट।
अड़ड़ाट ओसर आवियो इल़,
डकर भर दड़ड़ाट।
तो कड़ड़ाटजी कड़ड़ाट
कड़कै बीजल़ी कड़ड़ाट।।2
छता सरवर तोय छौल़ां,
भरै तण-तण भाव।
खल़किया नद नीर खाल़ा
डगर दिस दरियाव।
तो मनभाव रै मनभाव ,
मुरधर रूप ओ मनभाव।।3
सुरपत्त भरिया खाडिया सह,
नाडिया नीवाण।
काढिया दिन कूट दुरभक्ख,
आप मनसुध आण।
तो महराण रै महराण,मन रो इँदवो महराण।।4
हरस अवनी वसन हरिया,
पहरिया कर प्रीत।
जोप जोबन कोड करणी,
रीझ तरुणी रीत।
तो मनमीतजी मनमीत,
मिल़ियो आय वासव मीत।।5
सरस सावण रैयो सुरँगो,
झड़ी मंडियो जोर।
तीज रै मिस वरस तूठो,
रसा तोड़ण रोर।
तो घणघोर रै घणघोर
घुरियो रीझ नै घणघोर।।6
भादवा तूं भलो भाई!
बूठियो वरियाम।
बूठियां तुझ मिटी विपती,
केक सरिया काम।
तो इमकामजी इमकाम
करिया भादवै भल काम।।7
रम किसन वाल़ा धोया रलक्या
निमल पालर नीर।
पमँग निजपण आप पाया,
पेख गोगै पीर।
तो निजनीरजी निजनीर
नामी भादवै निजनीर।।8
जँगल़ धरती मँगल़ जोवो,
हरदिसा हरियाल़।
मुरधरा ठाकर आय मोटै,
काटियो सिर काल़।
तो हरियाल़जी हरियाल़
हरदिस थल़ी में हरियाल़।।9
धरा भुरटी मोथ धामण,
सरस सेवण साव।
मछर सुरभी महक मसती
चरै गंठियो चाव।
तो कर चावजी कर चाव,
चरणी चरै डांगर चाव।।10
डेयरियां में बधी डीगी,
बाजरी बूंठाल़।
मूंग मगरै तिल्ल तालर,
फूल मोठां फाल़।
तो मतवाल़जी मतवाल़
मुरधर रीझियो मतवाल़।।11
धापिया पालर देख धोरा,
भर्या तालर भाल़।
दहै टहुका मोर दादर,
ताण ऊंची टाल़।
तो नितपाल़जी नितपाल़,
परगल़ नेह सुरियँद पाल़।।12
मही माटां मांय मत्थणो,
देय झाटां दोय।
दही माखण देय दड़का,
लहै लावा लोय।
तो सब लोयजी सब लोय,
सब दिस हरसिया सह लोय।।13
रल़ियावणी धर करो रल़ियां,
थया थल़ियां थाट।
खरी इणविध लगी खेतां,
हेतवाल़ी हाट।
तो हिव हाटजी हिव हाट,
हर दिस हेत री थल़ हाट।।14
गिरधरदान रतनू दासोड़ी

देख सके तो आज देख ले

देख सके तो आज देख ले !!!!!

आ आजादी आज देख ले ! तकदीरां का ताज देख ले !!

करमां आडी लीकां काडी, आरक्षण आगाज देख ले !
रुजगारां रो रोळो मचियौ ,
रोळ दपट्ट ऐ राज देख ले !!

ठावा ठरका ठसक ठाकरी, अफसरिया अंदाज देखलेे !
लहरां बिच में लाय लागगी ,
जळ बिन डूू़बी जाज देख ले!!

धरम धजा धारै धणियापौ ,
दुष्टि  दंगाबाज  देख  ले !
नेताजी रा नखरा न्यारा ,
खिणे कोढ में खाज देख ले !!

लाडेसर लखणां रा लाडा ,
लुटतां लिछमी लाज देख ले! भ्रष्टाचारी गुणिया भणिया ,
करोड़ां का काज देख ले !!

चोरी  ज़ारी  बारी  बारी ,
रोज करे रियाज देख ले !
लुकती लुळती लाचारी रा ,
सूना पड़िया साज देख ले!!

निबंळां ऊपर निरभै नाचै ,
सबळां रो समाज देख ले !
अंत हो जासी आंख अंधेरों ,
देख सके तो आज देख ले !!

*रतन सिंह चंपावत रणसी गांव* ©©©©©©

आजादी

आजादी-
गिरधरदान रतनू दासोड़ी
तिकड़म रासो देख अठै धूतां में आजादी रल़गी !
देवां रो तज वास ,नास भूतां में  आजादी मिल़गी!!
जण जण री कण कण है कीमत लोकतंत्र री गल़ियां में!
छल़ियां रो मिल़ियां संग जबर ढंग री   आजादी खल़गी!!
टेरां नैं टीवणियां भल तोतक कर कोतक ओ कीनो!
स्वाभिमान साचां रो बेच पोल में आजादी छल़गी!!
फाड़ धरम री धज्जियांं सुदियां देश नाखियो कजियै में!
विध -विध बाना धार मार मिनखापण आजादी पल़गी!!
बधिया धर लीचड़ देख खून चूसण नैं चींचड़िया ऐ
खा भ्रष्टाचार गदीड़ हार कीचड़ में आजादी कल़गी!!
कठै बा लोह पुरस री ललकार? कठै गांधी रा सुपना!
जोबन सारो गाल़ भरम में! माग बूढापै  आजादी ढल़गी!!
कांई बदल़्यो बोल बता तूं? भारत री स्वारथ भोमी पर!
कर अपणां सूं अल़गाव भाव मोटां में    आजादी भिल़गी!!
मिनख हुवा लाचार , मार डांगबल़ आगै डरफरिया!
भरिया लुच्चां माल हाल रुल़ियारां सँग  आजादी रल़गी!!
गिरधरदान रतनू दासोड़ी

रविवार, 28 अगस्त 2016

आपणां बडेरा

आपणां बडेरा
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बडेरां रो काम चालतो अंगूठा री छाप सुं

दीखणं में गिंवार हा लाखां रो बिजनस कर लेंता
ब्याजूणां दाम दियां पेली अडाणें गेणां धर लेंता

च्यार महीनां खपता हा बारा महीनां खांता हा कांण मोखाण औसर मौसर दस दस गांव जिमांता हा

एक लोटो हूंतो हो सगला घर रा निमट (फ्रेस) आऊन्ता हा
दांतणं खातर नीमडा री डाली तोड लियांता हा

गाय भैंस रा धीणां हा बलदां री जोडी राखता

परणींजण नें जांवता हा ऊंट बलद रा गाडां में
हनीमून मनाय लेंवता भैंसियां रा बाडा में

न्यारा न्यारा रूम कठै हा कामलां रा ओटा हा
पोता पोती पसता पसता दादी भेला सोंता हा

सात भायां री बेनां हूंती दस बेटां रा बाप हूंता
भूखो कोई रेंवतो कोनीं मोटा अपणें आप हूंता

मा बापां रे सामनें फिल्मी गाणां गांता कोनीं
घरवाली री छोडो खुद रा टाबर नें बतलांता कोनीं

कारड देख राजी हूंता तार देखकर धूजता
मांदगी रा समाचार मरयां पछै ही पूगता

मारवाडी में लिखता लेणां आडी टेडी खांचता
लुगायां रा लव लेटर नें डाकिया ही बांचता

च्यार पांच सोगरा तो धाप्योडा गिट ज्यांवता
खेजडी रा छोडा खार काल सुं भिड ज्यांवता

लुगायां घर में रेंती मोडा पर कोनीं बैठती
साठ साल की हू ज्यांती बजार कोनीं देखती

बाडा भरयोडा टाबर हूंता कोठा भरिया धान हा
पैदा तो इंसान करता पालता भगवान हा

कोङियां री कीमत हूंती अंटी में कलदार रेंता
लुगायां री पेटियां में गेणां रा भंडार रेंता

भाखरां पर ऊंचा म्हेल मालिया चिणायग्या
आदमी में ताकत किती आपां नें समझायग्या

पाला जांता मालवे डांग ऊपर डेरा हा
दूजा कोनीं बे आपणां बडेरा हा

HISTORY OF JODHPUR : मारवाड़ का संक्षिप्त इतिहास

  Introduction- The history of Jodhpur, a city in the Indian state of Rajasthan, is rich and vibrant, spanning several centuries. From its o...

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