अध्यापक -
टेबल पर चाय किसने गिराई ? इसेअपनी मातृभाषा मे बोलो ।
छात्र -
मातृभाषा मतलब मम्मी की भाषा में ?
अध्यापक - हां ।
छात्र - अरे छाती कूटा म्हारा जीव लियां बिना थने चैन नी पड़े ? ओ कीरो बाप ढोली चाय ?
अध्यापक बेहोश !
अध्यापक -
टेबल पर चाय किसने गिराई ? इसेअपनी मातृभाषा मे बोलो ।
छात्र -
मातृभाषा मतलब मम्मी की भाषा में ?
अध्यापक - हां ।
छात्र - अरे छाती कूटा म्हारा जीव लियां बिना थने चैन नी पड़े ? ओ कीरो बाप ढोली चाय ?
अध्यापक बेहोश !
टीचर:थारी हाज़री घणी कम है।
तू एग्जाम में नी बैठ सके....
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कालू: काई वात कोनी। म्हारे अतरो घमंड कोनी। मुं तो उबो उबो भी एग्जाम दे सकूं ।
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क्लास टेस्ट 2016
विधार्थी नाम - कालू
विषय - हिंदी
प्रशन - कुत्ते का पर्यायवाची
उत्तर - गंडकड़ो
प्रशन - शिक्षा किसे कहते हे?
उत्तर - एक रुकड़ा के नीचे ढेर सारा छोरा छोरी ने मारसाब पढावे विने शिक्षा केवे ।
प्रशन - भेस का पर्यायवाची
उत्तर - डोबो , पाडी
प्रशन - पर्यावरण किसे कहते हे
उत्तर - जब भी मैं हमारे आंगणे में से उप्पर देखता हूं तो मुझे धोला-धोला दीखता हे उसे ही पर्यावरण कहते हे।
प्रशन - पशुपालन किसे कहते है
उत्तर - हमारे घर में 2 भैस्यां हैं हम उसके पोटे साफ करते है दूध काडते हैं
गोबर के छाने थेप्ते हे इसे ही पशुपालन कहते है ।
प्रशन-पानी का महत्व बताओ?
उत्तर-पाणी हमारे कूड़े से लाणा पड़ता है, पाणी नी मिले तो हम तो तस्ये रे जाते हैं कोई पामणा आवे तो वो भी क्या पिये?
प्रशन- खाना बनाते समय किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर - चुल्हे पर खाना बनाते समय बलिता हिसाब से देना चाहिय , रोटी बलने लगे तो अन्गीरे बाहर निकाल लेने चाहिए खाटे को हिलाते रहना चाहिए
ताकि पीन्दे लगे नहीं आदि ।
और कालू पास हो गया✔
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राजस्थानी भाषा में एक व्यंगात्मक
हास्य कविता
कलयुग में भगवान एक, ''खिलौनों बणायो।
दुनियावाला ई को नाम मोबाइल रखवायो।
मोबाइल रखवायो,खिलोणो अजबअनोखो।
धरती क इन्साना न यो,लाग्यो घणो चोखो।।
इन्सानासुं भगवनबोल्या,बात राखज्यो याद।
सोचसमझ वापरो, वरना होज्यासो बर्बाद।।
होज्यासो बर्बाद,चस्को लागेलो अति भारी।
ई के लारे पागल हो जावेली दुनिया सारी।।
सदउपयोग करेजो कोई,काम घणोयो आसी।
दुर्पयोगजे होवण लाग्यो,टाबर बिगड़जासी।।
टाबर बिगड़ जासी,कोई की भी नहीं सुणेला।
'मोबाइल' में मगन रहसी,काम नहीं करेला।।
टाबरांकी छोड़ो,बडोड़ा की अक्कल जासी।
कामधंधा छोड़ बैठ्या मोबाइल मचकासी।
मोबाइलमचकासी और खेलसी दिनभरगेम।
व्हाट्सएप रे मैसेज मे ही,बीत जासी टेम।।
छोरियां और लुगायां लेसी इंटरनेट कनेक्शन।
हाथांमें मोबाइल रखणो बणजावेलो फ़ैसन।।
बण जावेलो फ़ैसन,ए तो फेसबुक चलासी।
रामायण और भगवतगीता पढणो भूलजासी
अपणेअपणे मोबाइल मे,रहसी सगळा मस्त।
धर्मकर्म और रिश्तानाता,सबहो जासी ध्वस्त।
हे ! प्रभु थारी आ लीला है घणी अपरम्पार
थें म्हानेबतावो, यो थांरो किस्यो है अवतार'।।.
शीश बोरलो,नासा मे नथड़ी,सौगड़ सोनो सेर कठै,
कठै पौमचो मरवण रौ, बोहतर कळियां घेर कठै!!
कठै पदमणी पूंगळ री ढोलो जैसलमैर कठै,
कठै चून्दड़ी जयपुर री साफौ सांगानेर कठै !!
गिणता गिणता रेखा घिसगी पीव मिलन की रीस कठै,
ओठिड़ा सू ठगियौड़़ी बी पणिहारी की टीस कठै!!
विरहण रातां तारा गिणती सावण आवण कौल कठै,
सपने में भी साजन दीसे सास बहू का बोल कठै!!
छैल भवंरजी ढौला मारू कुरजा़ मूमल गीत कठै,
रूड़ा राजस्थान बता वा थारी रूड़ी रीत कठै!!
हरी चून्दड़ी तारा जड़िया मरूधर धर की छटा कठै,
धौरां धरती रूप सौवणौ काळी कळायण घटा कठै!
राखी पूनम रेशम धागे भाई बहन को हेत कठै,
मौठ बाज़रा सू लदियौड़ा आसौजा का खैत कठै!
आधी रात तक होती हथाई माघ पौष का शीत कठै,
सुख दुःख में सब साथ रैवता बा मिनखा की प्रीत कठै!
जन्मया पैला होती सगाई बा वचना की परतीत कठै,
गाँव गौरवे गाया बैठी दूध दही नौनीत कठै!
दादा को करजौ पोतो झैले बा मिनखा की नीत कठै
रूड़ा राजस्थान बता वा थारी रूड़ी रीत कठै! !
काळ पड़िया कौठार खोलता दानी साहूकार कठै
सड़का ऊपर लाडू गुड़ता गैण्डा की बै हुणकार कठै!
पतियां सागै सुरग जावती बै सतवन्ती नार कठै,
लखी बणजारो टांडौ ढाळै बाळद को वैपार कठै!
धरा धरम पर आँच आवतां मर मिटण री हौड़ कठै
फैरा सू अधबिच उठिया
बे पाबू राठौड़ कठै!!
गळियां में गिरधर ने गावै बीं मीरा का गीत कठै
रूड़ा राजस्थान बता वा थारी रूड़ी रीत कठै!!
बितौड़ा वैभव याद दिरावै रणथम्बौर चितौड़ जठै
राणा कुम्भा रौ विजय स्तम्भ बलि राणा को मौड़ जठै!
हल्दीघाटी में घूमर घालै चैतक चढ्यौ राण जठै
छत्र छँवर छन्गीर झपटियौ बौ झालौ मकवाण कठै!
राणी पदमणी के सागै ही कर सोला सिणगार जठै
सजधज सतीया सुरग जावती मन्त्रा मरण त्यौहार कठै!!
जयमल पत्ता गौरा बादल रै खड़का री तान कठै,
बिन माथा धड़ लड़ता रैती बा रजपूती शान कठै!!
तैज केसरिया पिया कसमा साका सुरगा प्रीत कठै
रूड़ा राजस्थान बता वा थारी रूड़ी रीत कठै!!
निरमोही चित्तौड़ बतावै तीनों सागा साज कठै,
बौहतर बन्द किवाँड़ बतावै ढाई साका आज कठै!
चित्तौड़ दुर्ग को पेलौ पैहरी रावत बागौ बता कठै
राजकँवर को बानौ पैरया पन्नाधाय को गीगो कठै!!
बरछी भाला ढाल कटारी तोप तमाशा छैल कठै,
ऊंटा लै गढ़ में बड़ता चण्डा शक्ता का खैल कठै!
जैता गौपा सुजा चूण्डा चन्द्रसेन सा वीर कठै
हड़बू पाबू रामदेव सा कळजुग में बै पीर कठै!!
मेवाड़ में चारभुजा सांवरो सेठ कठे
श्रीनाथ सो वैभव कठे!!
कठै गयौ बौ दुरगौ बाबौ श्याम धरम सू प्रीत कठै
रूड़ा राजस्थान बता वा थारी रूड़ी रीत कठै!!
हाथी रौ माथौ छाती झालै बै शक्तावत आज कठै,
दौ दौ मौतों मरबा वाळौ बल्लू चम्पावत आज कठै!!
खिलजी ने सबक सिखावण वाळौ सोनगिरौ विरमदैव कठै
हाथी का झटका करवा वाळौ कल्लो राई मलौत कठै!!
अमर कठै हमीर कठै पृथ्वीराज चौहान कठै
समदर खाण्डौ धोवण वाळौ बौ मर्दानौ मान कठै!!
मौड़ बन्धियोड़ौ सुरजन जूंझै जग जूंझण जूंझार कठै
ऊदिया राणा सू हौड़ करणियौ बौ टौडर दातार कठै!!
जयपुर शहर बसावण वाळा जयसिंह जी सी रणनीत कठै,
रूड़ा राजस्थान बता वा थारी रूड़ी रीत कठै !!
रूडा़ राजस्थान बता वा थारी रूड़ी रीत कठै!!
कविता किणै ई भेजी ही चोखी लागी भिजवाय रह्यौ हूं ।
बातचीत री डोर
बांधै इक परवार नै,बातचीत री डोर।
मन मुटाव अळगो रहे, संपत राखै जोर।।1।।
जणो जणो राजी रहे,रिदै न आणै रीस।
काम करै सो प्रेम सूं,ऊजळ लै आसीस।।2।।
मन मुटाव मेटै सदा,बातचीत री डोर।
तूटा जोड़ै तारड़ा, कसर छोड़ै न कोर।।3।।
पापो काटै राड़ रौ,बातचीत री डोर।
सैणां नै राजी करै,बंदो हुवै न बोर ।।4।।
रंग रचावै प्रेम सूं ,बातचीत री डोर।
घावां मेंटै मांयला,दमखम हंदो दोर।।5।।
धेजो देवै धीज नै ,बातचीत री डोर।
पासो झालै न्याव रौ,हिवड़ै उठै हिलोर।।6।।
उतम कबीलो आपणो,भलो राख बरताव।
सुंदर घटक समाज रौ ,सदा भरो सदभाव।।7।।
@संग्रामसिंह सोढा सचियापुरा
आभै देखूं बादळा, हिवड़ै उपजै नेह ।
साजन होवै साथ मेँ, भळ बरसो थे मेह ।।
चंदै लिपटी बादळी, आभै देखूं भाज ।
घरां पधारो सायबा, काया छोडूं आज ।।
तरस मिटाणी तीज!
गिरधरदान रतनू दासोड़ी
भलो थल़ी में भादवो, रमूं सहेली रीझ।
हड़हड़ती हँसती हरस,तरस मिटाणी तीज।
हरदिस में हरयाल़ियां,भोम गई सह भीज।
भल तूं लायो भादवा, तरस मिटाणी तीज।।
भैंसड़ियां सुरभ्यां भली,पसमां घिरी पतीज।
मह थल़ बैवै मछरती,तकड़ी भादव तीज।।
सदा सुहागण सरस मन,धन उर राखै धीज।
भाई!लायो भादवा,तरस मिटाणी तीज।।
मही घमोड़ै माटलां,रे थल़ रमणी रीझ।
भल सुखदायक भादवा,तो सँग खुशियां तीज।।
सदन हींड तणियां सबल़,पह मन बै पोमीज।
जुड़ जुड़ साथण झूलती,तण तण भादव तीज।।
साहिब ज्यांरा सदन नीं,खरी हेली गी खीझ।
म्हैं तो मनभर मांणसूं,तकड़ी भादव तीज।।
काळी- काळी उमड़ी कांठळ डॉ मदन सिंह राठौड़ काळी- काळी उमड़ी कांठळ, धवळा- धवळा अहो! धोरिया। गुडळा- गुडळा भुरज गहरावै, गैरा - गैर...