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शनिवार, 6 अगस्त 2016

कद ऊगेला थोर में हाथ

कद ऊगेला थोर में हाथ?
गिरधरदान रतनू दासोड़ी

म्है जद-जद ई
करिया करतो चिड़बोथिया
टाबरपणै री भोल़प में
म्हारी बैनां सूं।
म्हारी आल़ रै पाण
जद टपकता हा
उणां री आंख्यां सूं
टप टप टप
आंसू मोतीड़ा बण ।
उणां रै इण
आंसूड़ां माथै पसीज
म्हारी मा
कैया करती ही कै
तूं मत किया कर
गैलायां!
मत रोवांणिया कर
सवासणियां नैं
मत संताया कर!
तन्नै ठाह नीं है
म्हारा व्हाला बचिया!
सवासणियां नैं संतायां
लागै है दुरासीस!
अर थारा हाथ
ऊग जावैला
भोर रै साथै
बाड़ में ऊभै थोर में!
कांटां में बींधीज जावैला
थारा हाथ!
झरेला लोही
टप -टप
सवासणियां रै आंसूड़ां ज्यूं!
सवासणियां रो कांई?
सवासणियां तो भोल़ोड़ी
चिड़कल्यां है।
उड जावैला दिन लागां
इण घर सूं उण घर कानी
चुग्गो चुगण नैं।
मत करिया कर अचपल़ापणो!
तूं अजै पिचियो है!
नीं समझेला
म्हारा व्हाला बचिया
आंरै झरतोड़ै आंसूड़ां सूं
झुर जावैला
आपांरो टापरियो
बोलेला उण जागा मोर
उडेला कबूड़ा
थोर ऊगेला उण ठौड़ां
थारै हाथां रै साथै!
तूं नीं पावेली रमती
रमझमती
झांझर री झणकार साथै
हंसतोड़ी बैनां रै कंठां सूं
मीठोड़ी रागां में
ढल़तोड़ी रातां में
झूलरियां मांही
वीर रै सारु गातोड़ी गीतड़ला
कै
वीरो म्हारो भाई ऐ मा!
म्है वीरै री बाई ऐ मा!
म्हारै मन में
एकर तो डबकोसीक उठियो
भोल़ावण जामण री सांभल़
गतागम में पजियो
पछै हंसियो
मन ई मन में
कै
धिन है इण जग रा चाल़ा
पाल़ा ऐ देखो मंड्योड़ा
कितरा छिदराल़ा है?
जाल़ा में गूंथ्योड़ा
जामण रा बोल मीठोड़ा
म्है दीठा है
उण सागी ई जागा
भाभीसा नैं देती भोल़ावण
कोठै री होठै सी लाती
नैणां सूं डराती
मांयां री मांयां धमकाती
कै
बहू मत कर कालायां
कुण सांभेला इतरो गिंद?
धोवेला कुण इतरो सुगलवाड़ो?
तूं समझ्या कर
तन्नै ठाह है
कै ओ भाठो है!
क्यूं करै है इतरो काठो?
पाप काट! पिंड छूटै!
हिंया फूट सावल़ सुणले!
म्हारो अकैयो करियां
नीं मिल़ेला आल़खो
इण घर में।
चेतो कर
देख र सीख्या कर
म्हारो जीव अमूझै है
थारै इण माठापणै सूं
उतर्योड़ै थोबड़ सूं
झरतोड़ै नैणां सूं
अटक्योड़ै वैणां सूं
जा! मेटदे झंझट नैं
छायोड़ै संकट नैं
अर
भाभी अबोली सी
मर्योड़ै मनसूं
घींसीजतै तन सूं
निज नैं निज रै हाथां सूं
घर री घातां सूं
उबार नीं सकी
असथामा(अश्वाथामा) रै ब्रह्मास्त्र सूं
परीखत रै उनमान कूखनै
आंख्यां मीच
घाल आंगल़ियां कानां में
नीसासो न्हांख
पड़ी ही अधमर्योड़ी
कूख री पीड़ा सूं
डर्योड़ी  ही
कूख री किरल़ाटां सूं
अधगावल़ी सी होयोड़ी
उपजतै प्रश्नां रै अणसूझ्यै उत्तरां सूं
उतरा रै ज्यूं ई
कुरुखेत रै उजड्योड़ै डेरां में।
अदीठ बाणां सूं
घायल हिरणी सी
रगत पसीनैं सूं
लथपथ
बिनां जापै रै जापायत होयोड़ी
पड़ी ही मिनख होय
रिंधरोही में
पूछै ही हिचक्यां रै साथै
भरतोड़ी डुसका
मिलण री वेल़ा रो मोल
पड़वै रा कोल
सस्तो कीकर है इतरो?
कै
प्रीत री सैनाणी
ममता रा ऐनाण
मिटावण रै सारु
करदे है मजबूर मजबूती नैं मजबूरी सूं!
पण म्हनै
बतावजो आप
कै
इण पापरै कर्णधारां रा
कद ऊगेला
हाथ थोर में ?
जिकै कन्या रै पेट में पड़तां ई
कीकर मिटै
कद मिटै री
ऊधेड़बुन में रैवै लागोड़ा
अजाण्यै डर सूं
भयभीत !
आंख फोड़ अपसुगन करणियै
ऐड़ै कुरदरसणियां रा
हाथ कद ऊगेला थोर में?
म्है उडीकूं उण भोर नै!

गिरधरदान रतनू दासोड़ी

शुक्रवार, 5 अगस्त 2016

मुंडै चाती अर छाती राखो

आज कुछ गुदगुदाने वाली पंक्तियां पढ़ने को मिली ...
आप भी आनंद ले ....

अपनी *औकात* भूल कर दूसरों को *औकात* याद दिलाने वाले नेताओं पर एक करारा व्यंग

मुंडै चाती अर छाती राखो
==============
आपरी अणदेखी देख'र
खुद थरपीज्यो नेता बोल्यो
घोर कळजुग है
लोग हातै-बातै नीं रैया
*म्हे* चंगा भला नेता हां
लोग पण *म्हानै* नेता नी मानै
लोग कित्ता डोफा है
*म्हे*कित्तो काम करियो है
उण काम नै सड़कां माथै सोधै
नेट पर नीं देखै
जठै *म्हे* काम रो ढिग लगा राख्यो है !

नेता जी बोल्या
बातां में बात तो बा ई
जिकी *म्हे* करां
बाकीस क्यांरी बात
निरो बतंगड है !
कामां में काम तो बो ई
जिको *म्हे* करां
बाकीस क्यांरो काम
फगत कढी बिगाड़ है !

आप सगळा
बोला-बाला बैठ्या रैवो
*म्हारै* मनभांवतै काम माथै
थूक मत बिलोवो
फगत ताळी बजाओ
आपनै जे स्याणा 
समझदार कुहावणों है तो
आप *म्हारा* हुकुम मानता रैवो
मुंडै माथै चाती राखो
*म्हारी* करणीं माथै छाती राखो !

*म्हारी* किणी भी गळती माथै
आप बोलो मत
आप तो ओ मान'र चालो
बोलणों आप नै नीं
फगत *म्हानै* ई 'ज आवै
ओ भी मान'र चालो
कै *म्हे* गळती कर ई नीं सकां
गळती तो फगत आप इज करो !
*
[] ओम पुरोहित कागद

देश इन *मैं के रोग से ग्रस्त *औकात* बताने वाले लोगों से दुखी है

आपकी क्या राय है ????

GST क्या है..?

लड़का - यह
            G
            S
            T
            क्या है..?

मारवाड़ी-
             घणों
             सारो
             टैक्स..

की आदमी स्यूं किंया बात करणी चाईजै ..

की आदमी स्यूं किंया बात करणी चाईजै  ..

माँ= स्यूं बिन्या भेद ...खुल'र बात करणी

बाप= स्यूं आदर स्यूं बात करणी...

गुरूजी=  स्यूं नजर नीची कर'र बात करणी ...

भगवान=  स्यूं नैण भर'र बात करणी ...

भायां=  स्यूं हियो खोल'र बात करणी ...

बैना=  स्यूं हेत सू बात करणी ...

टाबरा=  स्यूं हुलरा'र बात करणी..

सगा-समधी=  स्यूं सन्मान दे'र बात करणी ...

भायलां= स्यूं हंसी मजाक सू बात करणी...

अफसरा=  स्यूं नम्रता स्यूं बात करणी ...

दुकान हाळै= स्यूं कडक स्यूं बात करणी...

गिराक= स्यूं ईमानदारी स्यूं बात करणी ...
और
*घरवाळी स्यूं ....अं हं हं हं ह ह..*

अठै आतां चेतो राखणो .....
ई, माते-राणी आगै तो चुप ही रेणो ....

नत-मस्तक हू'र सगळी सुण लेणी ...
बोलणूं घातक हुवै ।

फेर भी कोई रै घणी ही बाकड़ चालती हुवै तो...
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आगली-पाछली ..तीन भो की सोच'र बात करणी ...
  

गुरुवार, 4 अगस्त 2016

मत दे इतरा धता रामजी !


       
        मत दे इतरा धता रामजी !
        मिनख मिल़ै तो बता रामजी !!

        लोकतंत्र में लूखो, भूखो !
        जन तो खावै खता रामजी !!

        मिनख, मिनख नै जाति पूछै !
        जूत चेपनै सता रामजी !!

        वोट मांगिया पैर पकड़नै !
        अब तो मालक छता रामजी !!

        धर्म धजा फरकावै ऊंची !
        करर्या कुकर्म कता रामजी !!

        देख विगोयो भाईचारो !
        भेल़प गंगा घता रामजी !!

        गुड़ मिरकी सूं राजी कीना !
        कीरप पीढ्या जता रामजी !!

        देवै रीझ थथूबा चोखा !
        मसल़ काम में तता रामजी !!

        ज्यांरो राज! लेवै ई ज्यांरा !
        जनतंत्र तो लता रामजी !!

        थारी माया तुंही जाणै !
        पूजीजै बेपता रामजी !!

        छल़िया देव! पुजारी छल़िया !
        पल-पल बदल़ै मता रामजी !!

        ठग बैठा ठकराई थापै !
        जिता चोखल़ै हता रामजी !!

        खोसो, खावो ! रोसो, मोसो !
        पढिया अजतक अता रामजी !!

        स्नेह , प्रेम अपणायत गमगी !
        लाधण रा दे पता रामजी !!
                                     

शनिवार, 30 जुलाई 2016

अब्दुल कलाम रा मरसिया ....

अब्दुल कलाम रा मरसिया ....

अब्दुल तोड़ी आज दीवारां इण देह री
पूरी कर परवाज. पद परमहंस पावियो

अब्दुल पूगौ आप  अमरापुर रे आँगणे
शोक घणौ संताप नयण नीर मावै नहीं

अब्दुल पूरी आस कथनी करणी एक कर
खुदाबन्द वो खास भगत बड़ौ भगवान रो

अब्दुल तूं आधार भांण भळकतौ भारती
अगनी रौ अवतार साधक सांचो सूरमो

अब्दुल नहीं अनाम. इतिहासां रहसी अमर
कीरत वाळा काम कायम करगौ कोड सूं

अब्दुल वाळी आंण अवरां ने आंणी नहीं
जीवत जुगां प्रमाण भूलै किण विध भारती

रतनसिहं चाँपावत कृत

रविवार, 17 जुलाई 2016

ऐड़ी एक किंवदंती है ऊमरकोट रै सोढै कल्याणसिंह री।

सोढै ऊमरकोट रै,सिर पड़ियां बाहीह!गिरधरदान रतनू दासोड़ी
किणी राजस्थानी कवि रो ओ दूहो कितरो सतोलो है कै-
हीरा नह निपजै अठै,नह मोती निपजंत।
सिर पड़ियां खग सामणा,इण धरती उपजंत।।
इणी गत री बात एकर मध्यकाल़ में मुगल दरबार में ई चाली कै रजवट रा रुखाल़ा राजपूत रणांगण में सिर कटियां ई तरवार बावता रैवै ।आ बात सुणण वाल़ै नै अवस अपरोगी लागै पण इतियास अर किंवदंतियां में ऐड़ा आख्यान भरिया पड़िया है।ऐड़ी एक किंवदंती है ऊमरकोट रै सोढै कल्याणसिंह री।
कल्याणसिंह, ऊमरकोट रै राणै ऱो छोटो भाई। अमल रो मोटो बंधाणी।
काम फगत ओ कै आमद रो हिंसाब राखणो अर पूछणो।नित रो सेर मावो।कई दिन तो धाको धिकियो पण एक दिन खंचाची राणैजी नैं कैयो कै आपरो भाई राज नैं मोटो घाटो है।कमावै कीं नीं अर खावै नितरो सेर अमल!राणै,आपरै भाई नैं हाथ जोड़ दिया।कल्याणसिंह, ऊमरकोट छोड दियो।कई रजवाड़ां में घूमियो पण घणा दिन कठै ई पार नीं पड़ी।घूमतो- घूमतो दिल्ली पूगियो।दिल्ली में उण दिनां पचास वाघेलै राजपूतां रा घर।इणां रो सिरदार वाघो वाघेलो।उणनैं ठाह पड़ियो कै एक ऊमरकोट रो सोढो कल्याणसिंह अमल रै घाटै मारियो ठेठ धाट सूं दिल्ली आयग्यो,पण इतै मोटै बंधाणी नैं आपरै गल़ै कुण घातै!उण आपरै भाईयां नैं भेल़ा किया अर पूछियो कै
" आप हां भरो तो एक जोगै राजपूत नैं राखूं?पण बो अमल रो मोटो बंधाणी!थित रो सेर मावो!आप बारी-बारी सूं एक दिन रो खर्च पूरण री हां भरो तो हूं इणनैं राखूं?"भाईयां कैयो राखो !आपांनैं ऐड़ो अजरेल आदमी चाहीजै जिको अबखी पड़ियां आपांरी आण राखै।कल्याणसिंह ,वाघेलां रै रैयो।जोग सूं एक दिन मुगल दरबार में आ बात चाली कै मुसलमानां सूं हिंदू सिरै!ऐ माथो कटियां ई हेठा नीं पड़ै अपितु खाग बजावता रैवै अर उण जोधै री जोड़ायत उणरी वीरगति पछै उणरै साथै काठ चढै।बात बंतल़ सूं वाद में पड़गी।आखिर तय होयो कै बीड़ो फेरियो जावै कै आज ई ऐड़ो कोई हिंदू है कांई जिको सिर पड़ियां जूझै अर जोड़ायत सत करै।बीड़ो किणी नीं झालियो ।फिरतो -फिरतो वाघेलां रै वास आयो पण वाघेलां सूं ई हिम्मत नीं होई ।उणां ई हाथ पाधरा कर दिया ।वाघै वाघेलै कैयो कै म्हां सूं पार नीं पड़ै ।उठै बैठै कल्याणसिंह हाथ मसल़ निसासो भरियो।कल्याणसिंह नै निसासो भरतां देख ,वाघै पूछियो कै      " सोढा राण कांई दुख सूं निसासो भरो!" "सोढै कैयो ठाकरां बीड़ो राजपूतां रै अठै सूं पाछो जावै !अर सेर सूत बांधणिया आपां अजै जीवतां हां आ देखर निसासो भरियो है हुकम।" "भुजां माथै इतो भरोसो है तो झालो क्यूं नीं बीड़ो!"वाघै कैयो।सोढै कैयो कै बीड़ो झालणो तो म्हारै आंख वाल़ो फूस.है हुकम पण कंवारो हूं सो लारै सत कुण करै?"ऐ बातां वाघै री बेटी, जिणरी ऊमर फगत 13-14 वर्ष ही सुणै ही उण आपरी डावड़ी नैं मेल बाप नै कैवायो कै म्हारो हाथ सोढै रै हाथ में दिरावो जे सोढो बीड़ो झालै तो हूं लारै काठ चढूंली।वाघै आपरी बेटी साठ साल रै सोढै नैं परणाय दी।एक दिन सोढो रंग रल़ी में रीझियो रैयो पण दूजै दिन वाघेली कैयो "हुकम बीड़ो झालियो उणरी त्यारी करावो। सास रो कोई विश्वास नीं ।सास वटाऊ पावणो,आवण होय न होय।"सोढो मुगल दरबार में पूगियो।सोढो रो मुकाबलो एकै साथै पचास इक्कां सूं होयो।तरवारां री चौकड़ी पड़ी।घणां रा घणां वार।जोग सूं सोढै रो सिर कटियो।सिर कटतां ई देह चौगणै बेग सूं अरियां रो घाण करण लागी।च्यारां कानी हैकंप मचग्यो।छेवट किणीगत देह शांत होई।लारै राजपूताणी आपरो वचन पूरो कियो।सोढै कल्याणसिंह री अदम्य वीरता रो ओ दूहो आज ई साखीधर है-
सोढै ऊमरकोट रै,सिर कटियां बाहीह।
जांणै आध वंटावियो, भिड़ दोनूं भाईह।।(ऊमरकोट रै सोढै सिर कटियां पछै इणगत तरवार बाही जिणसूं अरियां री देहां बीचै सूं इणगत कटी जाणै दो भाईयां आपरो आधो -आधो बंट कियो होवै।)
इण किंवदंती रै आधार माथै आधुनिक डिंगल़ कवि सुखदानजी मूल़ा ई कीं दूहा लिखिया।सोढै री वरेण्य वीरता विषयक ऐ लिखै-
देखै देवी देवता,सिव सनकादिक सत्थ।
सोढै रो झगड़ो सुण्यो,रवि ठांभियो रत्थ।।
वाघैली रै साहस ,सत अर कर्तव्यबोध नैं इंगित करतां ऐ लिखै -
परसंग रु बातां पड़ी,कड़ी वाघैली कान।
सोढै संग चंवरी चड़ी,अड़ी,घड़ी,खड़ी आन।।
सोढै रै संग में खड़ी,जुद्ध घड़ी जड़ी जान।
प्रीतम रै पासै लड़ी,मरण घड़ी बडी मान।।
(ऐतिहासिक ग्रंथां में तो आ बात पढण में नीं आई पण मौखिक बात परंपरा में आ बात घणी चावी है)

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