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नटियो मूंतो नैणसी
सम्वत् 1723 में महाराजा जसवन्तसिंह औरंगाबाद में थे और उनके दीवान मुहरणोत नैरणसी तथा उसका भाई सुन्दरदास दोनों उनके साथ थे। किसी कारणवश श् महाराज उनसे अप्रसन्न हो गये तथा पोैष सुदी 9 को उन दोनों को कैद कर लिया
सम्वत् 1725 में महाराजा ने एक लाख रूपया
दण्ड लगााकर इन दोनो भाईयो को छोङ दिया ,परन्तु इन्होने एक पैसा तक देना स्वीकार न किया । इस विषय पर निम्नलिखित दोहे आज श्ी प्रसिद्ध है
लाख लखारां नीपजे बड पीपल री साख।
नटियो मूंतो नैरणसी, तांबो देरा तलाक।।
लेसो पीपल लाख, लाख लखारा लावसो।
तांबो देरणा तलाक, नटिया सुन्दर नैरणसी।।
नैरणसी और सुन्दरदास के दण्ड के रूपये देना अस्वीकार करने पर वि.स. 1726 माघ बदी 9 को फिर वे दोनो कैद कर दिये गये और उन पर रूपयो के लिए सख्तियां होती रही। फिर कैद की हालत में ही इन दोनो को महाराज ने
औरंगाबाद से मारवाड. को भेज दिया। दोनो वीर प्रकृति के कारण इन्होने महाराज के छोटे आदमियों की सख्तियां सहन की अपेक्षा वीरता से मरना उचित समझा वि०सं० 1727 की भाद्रपद बदी 13 को इन्होने अपने पेट में कटार मारकर मार्ग में ही शरीरांत कर दिया। इस प्रकार मरुधरा के महापुरुष,विद्यानुरागी,इतिहास प्रेमी ,नीति निपुण नैणसी की जीवनलीला का अन्त हुआ।
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