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रविवार, 11 सितंबर 2016

आपणी संस्कृति

*आपणी संस्कृति*

*मारवाड़ी बोली*
*ब्याँव में ढोली*
*लुगायां रो घुंघट*
*कुवे रो पणघट*
*....................ढूँढता रह जावोला*

*फोफळीया रो साग*
*चूल्हे मायली आग*
*गुवार री फळी*
*मिसरी री डळी*
*....................ढूँढता रह जावोला*

*चाडीये मे बिलोवणो*
*बाखळ में सोवणों*
*गाय भेंस रो धीणो*
*बूक सु पाणी पिणो*
*........................ढूंढता रह जावोला*

*खेजड़ी रा खोखा*
*भींत्यां मे झरोखा*
*ऊँचा ऊँचा धोरा*
*घर घराणे रा छोरा*
*.......................ढूंढता रह जावोला*

*बडेरा री हेली*
*देसी गुड़ री भेली*
*काकडिया मतीरा*
*असली घी रा सीरा*
*........................ढूंढता रह जावोला*

*गाँव मे दाई*
*बिरत रो नाई*
*तलाब मे न्हावणो*
*बैठ कर जिमावणों*
*......................ढूँढता रह जावोला*

*आँख्यां री शरम*
*आपाणों धरम*
*माँ जायो भाई*
*पतिव्रता लुगाई*
*....................ढूँढता रह जावोला*

*टाबरां री सगाई*
*गुवाड़ मे हथाई*
*बेटे री बरात*
*राजस्थानी री जात*
*...................ढूँढता रह जावोला*

*आपणो खुद को गाँव*
*माइतां को नांव*
*परिवार को साथ*
*संस्काrरां की बात*
*..................ढूंढता रह जावोला*

*सबक:- आपणी संस्कृति बचावो*
*रंगीलो राजस्थान - पधारो म्हारे देश*

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