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रविवार, 25 सितंबर 2016

छाती कूटा

अध्यापक -
टेबल पर चाय किसने गिराई ? इसेअपनी मातृभाषा मे बोलो ।

छात्र -
मातृभाषा मतलब मम्मी की भाषा में ?

अध्यापक - हां ।

छात्र - अरे छाती कूटा म्हारा जीव लियां बिना थने चैन नी पड़े ? ओ कीरो बाप ढोली चाय ?

अध्यापक बेहोश !

थे घास नांखणीं बंद करो

थे घास नांखणीं बंद करो
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थे रिश्वत देणीं बंद करो,
लेवणियां भूखां मर ज्यासी।
थे घास नांखणीं बंद करो,
सरकारी सांड सुधर ज्यासी।

खुद रा घर को करो सुधारो,
आखो गांव सूधर ज्यासी।
थे भाव देवणां बंद करो,
केयां रा भाव उतर ज्यासी।

दूजां में गलत्यां मत देखो,
गलत्यां खुद में ही मिल ज्यासी।
जे खुद चोखा बण रेवोला,
पाडोसी चोखा मिल ज्यासी।

थे ब्लेक लेवणों बंद करो,
दो नंबर पूंजी घट ज्यासी।
ईमान धरम पर चालोला,
तो पाप पाप रो कट ज्यासी।

बेटी री कदर करोला तो,
झांसी की राण्यां आ जासी।
पन्ना मीरां अर पदमणियां,
सीतां सावित्र्यां आ ज्यासी।

आजादी रो मतलब समझ्यां,
भारत रो रूप संवर ज्यासी।
सूतोडा शेर जाग ज्यासी,
साल्यां में भगदड मच ज्यासी।

भिड ज्यावो आतंकवादयां सूं,
आतंकवादी खुद डर ज्यासी।
सीमाडे सूता मत रेवो,
दुशमणं री छाती फट ज्यासी।

जे एक होयकर रेवोला,
तो झोड झमेला मिट ज्यासी।
मेहनत की रोटी खावोला,
तो बेईमानी मिट ज्यासी।

झूठा वादां में मती फसो,
वादां री हवा निकल ज्यासी।
वोटां री ताकत नें समझ्यां,
दादां री जमीं खिसक ज्यासी।

नारां रे लारे मत भागो,
नारां रे नाथां घल ज्यासी।
मत बंद और हड़ताल करो,
नुकसाणं देश रो बच ज्यासी।

जे नेम धरम पर चालोला,
जीणें रो ढंग बदल ज्यासी।
मैणंत रा मोती बोयां सुं,
धरती रो रंग बदल ज्यासी।

कविता री कदर करोला तो,
गीतां री राग बदल ज्यासी।
दोस्तों आलस छोड ऊठो,
भारत रा भाग बदल ज्यासी।
     

शुक्रवार, 23 सितंबर 2016

माथे में गुमड़ो हूरयो हो ..

नेम जी अस्पताळ गया !
माथे में गुमड़ो हूरयो हो ..

नर्स जांच कर'र पर्ची बणाबा लागी ...पूछ्यो "नाम !"

नेमीचंद ...!

"उमर किती है !" नर्स पूछ्यो !

छब्बीस बरस !

नर्स-- शादी-शुदा हो ?

नेम जी बोल्या "नहीं सा .
बा बात कोनी ..,
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तिसळ'र पड़ग्यो, जणा लाग़गी !

ढब जा रे

मुकेश अंबानी लक्ष्मी पूजन कर रहे थे।

तभी लक्ष्मी जी प्रकट हुई और बोली "ऐ रे मुकेश्या

थू तो ढब जा रे " बेटी का बाप

इत्तो खतरनाक गणित

सात फेरो का गणित

शादी में वर - वधु को 7 फेरे लगवाये जाते है,
क्योंकि एक फेरा 360° का होता है.
और 360 ऐसी संख्या है जो 1 से 9 तक के अंको में केवल 7 से विभाजित नही होती.

इसलिए 7 फेरो का सम्बन्ध अविभाज्य है.
Salute to Indian science & culture

इत्तो खतरनाक गणित

मंगलवार, 20 सितंबर 2016

मती फेको..

एक मारवाडी USA गया और वहां के एक इमारत में आग लग गई।
मारवाडी फायर ब्रिगेड वालो से बोला
मिनका ने उपर सु नीचे नाको मैं नीचे झेल लूँगा।
पहले एक लड़का आया,
फिर लड़की,
फिर आदमी
फिर औरत
मारवाडी ने सबको पकड़ लिया।
फिर एक नेग्रो
(काला व्यक्ति) आया

तो मारवाडी ने उसको छोड़ दिया

और बोला ...

अरे म्हारा बाप,   बलगा जका ने तो मती फेको...

शनिवार, 17 सितंबर 2016

रोशनी

छोरो : थारो नाम के हैं ?
छोरी : मेरो नाम हैं।
छोरो : के??????

छोरी : रोशनी नाम हैं मेरो

छोरी : थारो नाम के हैं ?
छोरो : मेरो नाम गुजरात,महाराष्ट्र,पंजाब,मध्यप्रदेश,
ओरिस्सा, बंगाळ....हैं
छोरी:- के??????

छोरो: बावली मेरो नाम "राज्यो" हैं "राज्यो"   .!!!

कोडमदेसर भैरुंजी रा छंद-

कोडमदेसर भैरुंजी रा छंद-
गिरधरदान रतनू दासोड़ी
(कोडमदेसर भैरुंजी रो बीकानेर में ऐतिहासिक महत्व है।जद बीकोजी जोधपुर सूं जांगल़धरा में आया तद आ मूरती मंडोवर सूं साथै लाय अठै कोडमदेसर गाम में उण ताल़ाब री पाल़ माथै थापित करी जठै कदै ई कोडमदे मोयल आपरै पति पूगल़ रै राजकुमार सादै(शार्दूल) री वीरगति पायां पछै एक हाथ री चूड़ सूं ओ ताल़ाब खोदायो अर एक हाथ बाढर आपरी सासू रै पगै लगाई में मेलियो।इणी भैरुं माधोदास रामस्नेही जैमलसर रै भंडारै सारु मुल़ताण रै एक बाणियै रो सीरै सूं भरियो कड़ाव आणियो,जिणरी अल़ग कहाणी है।कालै  विद्यालय स्टाफ भैरुनाथ रा दरसण करावण नैं आग्रह सहित लेग्या। मानता है कै देवद्वारै,राजद्वारै अर गुरुद्वारै खाली हाथ नीं जावणो सो उणां तो मीठी पूज की अर म्हैं एक रोमकंद छंद भैरु भुरजाल़ै नैं भेंट कियो सो आपरी निजर कर रैयो हूं-)
दूहा
मंडोवर तज माल़िया,
हिव धर जंगल़ हाथ।
रहै इणी धर रीझियो,
नितप्रत भैरवनाथ।।1
जाहर कोडांणो जगत,
सधर धारी रह स्वान।
चावो है चहुंकूंट में,
ठावो थल़वट थान।।2
सिध कामा करण सफल़,
मामा सुण मतवाल़।
जसनामा कवियण जपै,
सामा देख सचाल़।।3
सतधारी चामँड सुतन,
पतधर विघन प्रजाल़।
मुणियो जस मत रै मुजब,
नितप्रत निजर निहाल़।।4
छंद रोमकंद
थपियो थल़ मांय अनुप्पम थांनग,
छत्र मंडोवर छोड छती।
थल़वाट सबै हद थाट थपाड़िय,
पाट जमाड़िय बीक पती।
दिगपाल़ दिहाड़िय ऊजल़ दीरघ,
भाव उमाड़िय चाव भरै।
कवियां भय हार सदा सिग कारज,
कोडमदेसरनाथ करै।।1
प्रगल़ो हद नीर सरोवर पालर,
तालर रै अधबीच तठै।
हरणी मन हेर फबै हरियाल़िय,
जंगल़-मंगल़ कीध जठै।
वरदायक ऊपर पाल़ विराजिय,
दूठ जितायक दीठ डरै।
कवियां।।2
मन थाक अयो सरणै सँत माधव,
आरत सारथ काज अखी।
सिंध जाय कड़ाव उठायर सांमथ,
राज अड़ाव में लाज रखी।
'सर जैमल'में पड़ियो अज साबत,
भाल़ थल़ीजन साख भरै।
कवियां।।3
अगवांण दिपै धिन आयल रो इल़,
मांण अपै मनपूर मही।
सबल़ापण आंण दफै कर संकट,
लंब सुपांण रुखाल़ लही।
वरियांम बखांण बहै बसुधा बड,
तीर समँदाय पार तरै।
कवियां।।4
नर-नार अलेखत भेद बिनां निज,
मांग सँपूरत सांम मढै।
कितरा कव जाप जस कायब,
पंडत मत्र अलाप पढै।
नरपाल़ कितायक नाक नमै नित,
धांम सिधेसर ध्यांन धरै।
कवियां।।5
सिंणगार सिंदूर सजै तन सुंदर
सोरम माल़ ग्रिवाल़ सही।
डणकार सवांन चढै अरि दाबण,
शूल़ करां अजरेल सही।
मनरा महरांण सदा रँग मांणण,
झींटिय तेल फुलेल झरै।
कवियां।।6
लहरां मँझ रास रचै लटियाल़क,
रात उजाल़क रीझ रमै।
पद घूघर बाज छमाछम पावन,
जोर घमाघम नाथ जमै।
डमकार डमाडम बाजिय डैरव,
धूज धमाधम यूं धररै।
कवियां।।7
मुख बांण सिरै मुझ आपण मातुल,
दान विद्या रिझवार दहै।
इणभांत पढूं छँद आणददायक,
कान करै कवि गीध कहै।
सुण साद सताबिय भीर सहायक,
दोस दयाल़िय कीध दुरै।
कवियां।।8
छप्पय
नमो भैरवानाथ,
जगत जाहर जस जांणै।
बंकै बीकानेर,
कियो निवास कोडांणै।
जंगल़पत री जोय,
वार करी के वारां।
उरड़ सरण तो आय,
जोड़ हथ नमै हजारां।
तणकार स्वान तातो तुरत,
भीर सिमरियां भैरवा।
रीझ नै सांम गिरधर रखै,
मामा निसदिन मैरवा।।
गिरधरदान रतनू दासोड़ी

गुरुवार, 15 सितंबर 2016

तिसळ'र पड़ग्यो

नेम जी अस्पताळ गया ! माथे में गुमड़ो हूर् यो हो ..
नर्स जांच कर'र पर्ची बणाबा लागी ...पूछ्यो "नाम !"
नेमीचंद ...!
"उमर किती है !" नर्स पूछ्यो !
छब्बीस बरस !
नर्स-- शादी-शुदा हो !
नेम जी बोल्या "नहीं सा .
बा बात कोनी ..,
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तिसळ'र पड़ग्यो,जणा लागी !

कुण बेटो कुण बाप।

पीपा पाप न कीजिये, अल्गो रहिये आप,
करनी आपो आप री, कुण बेटो कुण बाप।।

जीव मार हिंसा करे, खातो करे बखान,
पीपा प्रत्यक्ष देखले, थाली माय मसाण।।

गीत त्रिकुटबंध करनीजी रो

सहृदय मित्र पुष्पेंद्रसा जुगतावत अर नरपतसा आशिया रै सुझाव माथै आंशिक संशोधन अर थोड़ीक बधोतरी साथै पाछो आप सैणां री निजर-
गीत त्रिकुटबंध करनीजी रो-गिरधरदान रतनू दासोड़ी
दूहो
विघनगारां मुख बाल़जै,मात मिल़ाजै मीत।
पढियो गिरधर प्रीत सूं,गुणी त्रिकुटबँध गीत।।
गीत -त्रिकुटबंध
इल़ा रूप करनल आजरो
हिवां जनम जय हिंगल़ाज रो
इम कोम किनियां करण ऊजल़,मेह रै महमाय।
अवतार करनल आपरो,
सुध भाग रँग सोयाप रो
सोयाप मुरधर रीत सुरधर
उमँग उरधर भाव भर- भर
कोड तर -तर होड कर-कर
गहक धुनिकर गीत घर-घर
सधर सज नर नार सरभर
गुमर हरदिस गहर मनभर
अमर फणधर उरस ऊतर
उछब अवसर रिधू अवतर
पहर खुशियां पाय।।1
जिथ जगराय जूनी जाल़ियां
तण-तण हींड हींडै टाल़ियां
हरियाल़ियां बिच हरस हिवडो ,रमै जणणी रास।
सज सगत झूल़र सोहणा
मँझ उतर मगरै मोहणा
धर कदम पड़पड़ धमक धड़धड
भिल़ी चड़ -चड़ सकल़ भड़ भड़
अरड़    ऊतर   उरड़   ऊमड़
हँसै हड़हड़ खिलै खड़खड़
वडम समवड़ डाव बड़ चड़
खमा खूबड़ अंब आवड़
सदल़ सुघ्घड़ रमै सड़सड़
अनड़  ऊपर गूंज गड़गड
हरस चहुंदिस हास।।2
खलदल़  कटक धर पर खाल़िया
पुनी रीझ  संतजन  पाल़िया
टाल़ियां ज्यांरा विघन तारां,हेर सिर रख हाथ।
कर कोप अरहर कोपणी
घट पटक शूल़ा  घोपणी
जद प्रगट बाघण कान सिर झट
निपट नटखट तणी तणणट
मरट मेटण क्रोध कटकट
झपट नखड़ां मुरड़ झटपट
दुसट दटपट लेस लटपट
फीस फटफट खँड्यो खटखट
चुरड़ चौसठ पियो चटचट
गजब गटगट त्रिपत घट-घट
बहै थिरचक बात।।3
अवनी प्रवाड़ा अणमापरा
उवै सक्कै कुण गिण आपरा
इम रीझ रंकां दैण अवनी,महर कर महिपाल़।
रिड़माल वीकै रीझणी
धुर थाप जंगल कर धणी
गढ छोड गढपत मान मढपत
प्रतख समरथ राखसी पत
साज सतपथ शरण सुधमत
मांड कथ सथ कही महिपत
हर विपत,दे वर बीसहथ
सगत सुण वत किया श्रीपत
थपत जंगल़ पाट थिरपत
भगत भूपत पाव तो प्रत
नमत नित-नित रह्या नरपत
पीढियां प्रतपाल़।।4
दुनी दिपै धज्ज देसांण री
सदा जोड़ धिन्न सुररांण री
बीकांण री वरियांम बसुधा,निमल़ नवखंड नांम।
मढ दरस करनल मात रा
पह सरस कर परभात रा
आ विमल़ बेकल़ बिछी वल़वल
डगर इणपुल़ सजी दल़बल
सगत सहियल़ मिल़ी महियल़
पूग इल़थल़ समल़ परबल़
धार धाबल़ अमल ऊजल़
पाट भलहल़ चीर पल़पल़
हार गल़ बिच हिंडल़ हल़वल़
रमण मनरल़ राय रँगथल़
धरा पावन धांम।।5
वड्ड बीसहथ झल्ल बांहड़ी
छतर धार लोहड़्ड छांहड़ी
मावड़ी निसदिन रखै मरजी,सुणै गरजी साद।
चढ केवियां थट चूरणी
थंभ जँगल़ रिपुदल़ थूरणी
चख लाल कर चढ जैत पख चट
जुड़ी अणथक क्रोध धख झट
भांज लखदल़ लेय भख भट
डक रगत डकडक पियो दट
थरक कमरू अँतक थक थट
छोड बख निज भगो फक छट
महि अरक तक जँगल़ रख मट
रसा जस धज फरक रजवट
मँडी मा मरजाद।।6
जद-जद डरूं संकट जांमणी
सद सुरराय तूं मो सांमणी
थांमणी अँगुल़ी राय थल़वट ,भाल़ करणी भीर।
हित करण,आफत हारणी
चढ खड़ै नाहर चारणी
चढ मदत चारण हांण हारण
भांय भारण आ उतारण
तरण तारण इम उबारण
कुबुद्ध टारण सुबुद्ध कारण
दे उचारण डर विदारण
धरम धारण मन मँझारण
बण उद्धारण ऐण बारण
सकज सारण पथ सुधारण
धरै गिरधर धीर।।5
दूहो
काला आखर करनला,
मन व्हाला कर माय!
गीत कयो कवि गीधियै,
सुण रीझै सुरराय।।
गिरधरदान रतनू दासोड़ी

जणालटक जा

मारवाड़ी पति अपनी पत्नी को मोबाइल पर कंप्यूटर चलाना सीखा रहा था

पति : माय कम्पुटर पर राईट क्लिक कर ।
पत्नी : हाँ कर लियो
पति : फोल्डर खुलियो ?
पत्नी : हां खुलियो ।
पति : अवे ऊपर की तरफ देख कई दिखियो ?
पत्नी : पंखो

पति : चोखो जणालटक जा

खिलौनों

*राजस्थानी भाषा में एक व्यंगात्मक*
                    *हास्य कविता *

कलयुग में भगवान एक, ''खिलौनों बणायो।
दुनियावाला ई को नाम मोबाइल रखवायो।

मोबाइल रखवायो,खिलोणो अजबअनोखो।
धरती क इन्साना न यो,लाग्यो घणो चोखो।।

इन्सानासुं भगवनबोल्या,बात राखज्यो याद।
सोचसमझ वापरो, वरना होज्यासो बर्बाद।।

होज्यासो बर्बाद,चस्को लागेलो अति भारी।
ई के लारे पागल हो जावेली दुनिया सारी।।

सदउपयोग करेजो कोई,काम घणोयो आसी।
दुर्पयोगजे होवण लाग्यो,टाबर बिगड़जासी।।

टाबर बिगड़ जासी,कोई की भी नहीं सुणेला।
'मोबाइल' में मगन रहसी,काम नहीं करेला।।

टाबरांकी छोड़ो,बडोड़ा की अक्कल जासी।
कामधंधा छोड़ बैठ्या मोबाइल मचकासी।

मोबाइलमचकासी और खेलसी दिनभरगेम।
व्हाट्सएप रे मैसेज मे ही,बीत जासी टेम।।

छोरियां और लुगायां लेसी इंटरनेट कनेक्शन।
हाथांमें मोबाइल रखणो बणजावेलो फ़ैसन।।

बण जावेलो फ़ैसन,ए तो फेसबुक चलासी।
रामायण और भगवतगीता पढणो भूलजासी

अपणेअपणे मोबाइल मे,रहसी सगळा मस्त।
धर्मकर्म और रिश्तानाता,सबहो जासी ध्वस्त।

हे ! प्रभु थारी आ लीला है घणी अपरम्पार
थें म्हानेबतावो, यो थांरो किस्यो है अवतार'।।

न्याल कर दिया सा

अगर कंप्यूटर सिस्टम मारवाडी में होता तो कम्प्यूटर का "की पैड" या मैसेज के नाम  कुछ इस प्रकार होते :

Welcome :    पधारो सा 
Ok:     ठीक सा

Send:   गयो परो

Download:  आ गियो सा ☺

Delete:      चूले म जा

Search:    कठीने मरियो

Run:       दोडो

Syntax Error:  अबे की नइ हु सके

Ctrl+Alt+Del: सबरो पापो कटीयो

Thanks: न्याल कर दिया सा

मंगलवार, 13 सितंबर 2016

Maharaja Jaswant Singh Ji II of Marwar Maharaja of Jodhpur

Maharaja Jaswant Singh Ji II of Marwar
Maharaja of Jodhpur (b. 1838 r. 1873 - 1895)

The reign of Jaswant Singh II was marked with remarkable prosperity and reforms and development works. He established Courts of Justice, introduced system of revenue settlement and re-organizing all the state departments.Further, he developed infrastructure of the state by introducing telegraphs, railways (Jodhpur State Railway), and developing roads. He formed Imperial Service Cavalry Crops, which later rendered active service in European War. He was honored and created the Knight Grand Commander of the Most Exalted Order of the Star of India in 1875.

The Jaswant Thada is an architectural landmark located in Jodhpur. It is a white marble memorial built by Maharaja Sardar Singhji in 1899 in memory of Maharaja Jaswant Singhji II.

छुपेडो

एक मारवाड़ी न रेड लाइट क्रॉस करता थका पकड लियो....
पुलिस वालो : क्यू थने लाल बत्ती दिखी कोनी के ??
मारवाड़ी :- बत्ती तो दिखी थी पर तू कठे छुपेडो हो ? ❓

अड़ियो दिल्ली आंगणै

अड़ियो दिल्ली आंगणै-

गिरधरदान रतनू दासोड़ी
मरट धार उर मांय, मन डर आगो मेलियो।
चित आजादी चाय,जूझ्यो धर कज जोरड़ो!!1
उरां मरण अणबीह,रहियो रेणव रातदिन।
सोदो जंगल़ सींह, जबर गाजियो जोरड़ो।।2
अँगरेजां सूं आय,अड़ियो दिल्ली आंगणै।
घट होरडिंग घाय,जबर कीनो जोरड़ै।।3
दूजा तो दिनरात,सुख सैजां सूता सदा।
परतख नाहर पात,जूझ्यो फिरँगां जोरड़ो।।4
नह लीनी सुख नींद,दुख  भारत रो देखनै।
बणियो सोदो बींद,जूझ मरण कज.जोरड़ो।।5
बिखमी वेल़ा वीर,भम जँगल़ां में भटकियो।
धुर नह छोड्यो धीर,जूझ मरण कज जोरड़ै।।6
सहिया हद संताप भूख तिरस साजी भल़ै।
अडरपणै धिन आप, जो नहीं मुड़ियो जोरड़ो।।7
भाखर ओटां भाल़़,रहियो कव चढ रूंखड़ां।
कटक गोरां रो काल़,जबरो बणियो जोरड़ो।।7
विदग किसन रै बाल़, जनम्यो जद तूं जोरवर।
थिर  जस वाल़ा थाल़,जबरा बाज्या जोरड़ा।।8
उर अजर आपाण,कव वजर रो काल़जो।
गोरां सूं घमसाण,जद तूं लड़ियो जोरड़ा।।9
लेस नहीं लायोह,आल़स पिंड में आपरै।
जग किसनै जायोह,जूझण गोरां जोरड़ा।।10
जग सह अंजस जात,मातभोम अँजसै मनां।
रे थारोड़ी रात,जनम्यो तुंही जोरड़ा।।11
शहीद सिरोमणी जोरावरसिंहजी बारहठ नैं सादर वंदन साथै श्रद्धांजलि
गिरधरदान रतनू दासोड़ी

रविवार, 11 सितंबर 2016

शीश बोरलो, नासा मे नथड़ी

शीश बोरलो,नासा मे नथड़ी,सौगड़ सोनो सेर कठै,
कठै पौमचो मरवण रौ, बोहतर कळियां घेर कठै!!

कठै पदमणी पूंगळ री ढोलो जैसलमैर कठै,
कठै चून्दड़ी जयपुर री साफौ सांगानेर कठै !!

गिणता गिणता रेखा घिसगी पीव मिलन की रीस कठै,
ओठिड़ा सू ठगियौड़़ी बी पणिहारी की टीस कठै!!

विरहण रातां तारा गिणती सावण आवण कौल कठै,
सपने में भी साजन दीसे सास बहू का बोल कठै!!

छैल भवंरजी ढौला मारू कुरजा़ मूमल गीत कठै,
रूड़ा राजस्थान बता वा थारी रूड़ी रीत कठै!!

हरी चून्दड़ी तारा जड़िया मरूधर धर की छटा कठै,
धौरां धरती रूप सौवणौ काळी कळायण घटा कठै!

राखी पूनम रेशम धागे भाई बहन को हेत कठै,
मौठ बाज़रा सू लदियौड़ा आसौजा का खैत कठै!

आधी रात तक होती हथाई माघ पौष का शीत कठै,
सुख दुःख में सब साथ रैवता बा मिनखा की प्रीत कठै!

जन्मया पैला होती सगाई बा वचना की परतीत कठै,
गाँव गौरवे गाया बैठी दूध दही नौनीत कठै!

दादा को करजौ पोतो झैले बा मिनखा की नीत कठै
रूड़ा राजस्थान बता वा थारी रूड़ी रीत कठै! !

काळ पड़िया कौठार खोलता दानी साहूकार कठै
सड़का ऊपर लाडू गुड़ता गैण्डा की बै हुणकार कठै!

पतियां सागै सुरग जावती बै सतवन्ती नार कठै,
लखी बणजारो टांडौ ढाळै बाळद को वैपार कठै!

धरा धरम पर आँच आवतां मर मिटण री हौड़ कठै
फैरा सू अधबिच उठिया
बे पाबू राठौड़ कठै!!

गळियां में गिरधर ने गावै बीं मीरा का गीत कठै
रूड़ा राजस्थान बता वा थारी रूड़ी रीत कठै!!

बितौड़ा वैभव याद दिरावै रणथम्बौर चितौड़ जठै
राणा कुम्भा रौ विजय स्तम्भ बलि राणा को मौड़ जठै!

हल्दीघाटी में घूमर घालै चैतक चढ्यौ राण जठै
छत्र छँवर छन्गीर झपटियौ बौ झालौ मकवाण कठै!

राणी पदमणी के सागै ही कर सोला सिणगार जठै
सजधज सतीया सुरग जावती मन्त्रा मरण त्यौहार कठै!!

जयमल पत्ता गौरा बादल रै खड़का री तान कठै,
बिन माथा धड़ लड़ता रैती बा रजपूती शान कठै!!

तैज केसरिया पिया कसमा साका सुरगा प्रीत कठै
रूड़ा राजस्थान बता वा थारी रूड़ी रीत कठै!!

निरमोही चित्तौड़ बतावै तीनों सागा साज कठै,
बौहतर बन्द किवाँड़ बतावै ढाई साका आज कठै!

चित्तौड़ दुर्ग को पेलौ पैहरी रावत बागौ बता कठै
राजकँवर को बानौ पैरया पन्नाधाय को गीगो कठै!!

बरछी भाला ढाल कटारी तोप तमाशा छैल कठै,
ऊंटा लै गढ़ में बड़ता चण्डा शक्ता का खैल कठै!

जैता गौपा सुजा चूण्डा चन्द्रसेन सा वीर कठै
हड़बू पाबू रामदेव सा कळजुग में बै पीर कठै!!

कठै गयौ बौ दुरगौ बाबौ श्याम धरम सू प्रीत कठै
रूड़ा राजस्थान बता वा थारी रूड़ी रीत कठै!!

हाथी रौ माथौ छाती झालै बै शक्तावत आज कठै,
दौ दौ मौतों मरबा वाळौ बल्लू चम्पावत आज कठै!!

खिलजी ने सबक सिखावण वाळौ सोनगिरौ विरमदैव कठै
हाथी का झटका करवा वाळौ कल्लो राई मलौत कठै!!

अमर कठै हमीर कठै पृथ्वीराज चौहान कठै
समदर खाण्डौ धोवण वाळौ बौ मर्दानौ मान कठै!!

मौड़ बन्धियोड़ौ सुरजन जूंझै जग जूंझण जूंझार कठै
ऊदिया राणा सू हौड़ करणियौ बौ टौडर दातार कठै!!

जयपुर शहर बसावण वाळा जयसिंह जी सी रणनीत कठै,
रूड़ा राजस्थान बता वा थारी रूड़ी रीत कठै !!
रूडा़ राजस्थान बता वा थारी रूड़ी रीत कठै!!

कविता  किणै ई भेजी ही चोखी लागी भिजवाय रह्यौ हूं ।

गीत त्रिकुटबंध करनीजी रो

गीत त्रिकुटबंध करनीजी रो-गिरधरदान रतनू दासोड़ी
दूहो
विघनगारां मुख बाल़जै,मात मिल़ाजै मीत।
पढियो गिरधर प्रीत सूं,गुणी त्रिकुटबँध गीत।।
गीत -त्रिकुटबंध
महि मुरधरा वड धिनो मंडी
चारणां सदन परगट चंडी
इम कोम किनियां करण ऊजल़,मेह रै महमाय।
अवतार करनल आपरो,
सुध भाग रँग सोयाप रो
सोयाप मुरधर रीत सुरधर
उमँग उरधर भाव भर- भर
कोड तर -तर होड कर-कर
गहक धुनिकर गीत घर-घर
सधर सज नर नार सरभर
गुमर हरदिस गहर मनभर
अमर फणधर उरस ऊतर
उछब अवसर रिधू अवतर
पहर खुशियां पाय।।1
जिथ जगराय जूनी जाल़ियां
तण-तण हींड हींडै टाल़ियां
हरियाल़ियां बिच हरस हिवडो ,रमै जणणी रास।
सज सगत झूल़र सोहणा
मँझ उतर मगरै मोहणा
धर कदम पड़पड़ धमक धड़धड
भिल़ी चड़ -चड़ सकल़ भड़ भड़
अरड़    ऊतर   उरड़   ऊमड़
हँसै हड़हड़ खिलै खड़खड़
वडम समवड़ डाव बड़ चड़
खमा खूबड़ अंब आवड़
सदल़ सुघ्घड़ रमै सड़सड़
अनड़  ऊपर गूंज गड़गड
हिवां चहुंदिस हास।।2
खलदल़  कटक धर पर खाल़िया
पुनी रीझ  संतजन  पाल़िया
टाल़ियां ज्यांरा विघन तारां,हेर सिर रख हाथ।
कर कोप अरहर कोपणी
घट पटक शूल़ा  घोपणी
जद प्रगट बाघण कान सिर झट
निपट नटखट तणी तणणट
मरट मेटण क्रोध कटकट
झपट नखड़ां मुरड़ झटपट
दुसट दटपट लेस लटपट
फीस फटफट खँड्यो खटखट
चुरड़ चौसठ पियो चटचट
गजब गटगट त्रिपत घट-घट
बहै थिरचक बात।।3
अवनी प्रवाड़ा अणमापरा
उवै सक्कै कुण गिण आपरा
इम रीझ रंकां दैण अवनी,महर कर महिपाल़।
रिड़माल वीकै रीझणी
धुर थाप जंगल कर धणी
गढ छोड गढपत मान मढपत
प्रतख समरथ राखसी पत
साज सतपथ शरण सुधमत
मांड कथ सथ कही महिपत
हर विपत,दे वर बीसहथ
सगत सुण वत किया श्रीपत
थपत जंगल़ पाट थिरपत
भगत भूपत पाव तो प्रत
नमत नित-नित रह्या नरपत
पीढियां प्रतपाल़।।4
जद-जद डरूं संकट जांमणी
सद सुरराय तूं मो सांमणी
थांमणी अँगुल़ी राय थल़वट ,भाल़ करणी भीर।
हित करण,आफत हारणी
चढ खड़ै नाहर चारणी
चढ मदत चारण हांण हारण
भांय भारण आ उतारण
तरण तारण इम उबारण
कुबुद्ध टारण सुबुद्ध कारण
दे उचारण डर विदारण
धरम धारण मन मँझारण
बण उद्धारण ऐण बारण
सकज सारण पथ सुधारण
धरै गिरधर धीर।।5
गिरधरदान रतनू दासोड़ी

तेजाजी की विरासत

हमारे आदर्श और लोक देवता वीर तेजाजी महाराज के बारें में कुछ जानकारी शेयर कर रहा हूं।।।
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तेजाजी की विरासत
(1) श्री वीर तेजाजी : शेषावतार लक्ष्मण जी
(2) जन्म तिथि : माघ शुक्ला चतुर्दशी, गुरुवार
वि.स. 1130
29 जनवरी 1074 ई.
(3) पिता : श्री ताहडदेव जी (थिरराज) धौलिया
(4) माता : श्रीमती रामकुंवरी
(5) वंश : नाग वंश की धौलिया जाट शाखा
(6) खांप : चौहान
(7) नख : खींची
(8) जन्म स्थल : खरनाल (नागौर)
(9) विवाह : पीले पोतडों में पुष्कर के नाग घाट पर
पुष्कर पूर्णिमा वि.स 1131
(10) पत्नी : पेमल
(11) ससुर : रायमल जी मुहता
(12) ससुर का गौत्र : झांझर जाट
(13) सासु : बोदल दे
(14) सासु का गौत्र : काला जाट
(15) ससुराल : शहर पनेर
(16) भाई : रुपजी, रणजी, गुणजी, महेश जी, नगजी
(17) भाभियाँ : रतनाई, शेरां, रीतां, राजा, माया
(18) बहिन : राजल
(19) बहनोई : नाथाजी सिहाग
(20) बहिन के ससुर : जोरा जी सिहाग
(21) बहिन का ससुराल : तबीजी (अजमेर)
(22) ननिहाल : त्योद व अठ्यासन
(23) नाना : दुल्हण जी सोढी
(24) गुरु : गुसांई जी व मंगलनाथ जी
(25) लाछां की संपत्ति : गौ माताएं
(26) वीरगति की निशानी : मेंमद मौलिया
(27) मेंमद मौलिया वाहक : आसू देवासी
(28) तेजाजी के दुश्मन : सासु बोदल दे व काला गौत्री बालू नाग
(29) तेजाजी का खेत : खाबड खेत (खरनाल)
(30) तेजाजी का तालाब : गैण तालाब (इनाणा व मूडावा के बीच)
(31) तेजाजी का रास्ता : तेजा पथ
(32) घाटा : मोकल घाटा (मालास परबतसर)
(33) नदी : पनेर की नदी
(34) तेजाजी का वचन : सत्यवाद
(35) तेजाजी की मर्यादा : नुगरां की धरती में वासा ना करां
(36) तेजाजी का व्रत : ब्रह्मचर्य
(37) सम्बोधन : सत्यवादी वीर तेजाजी
(38) माता का बोल : तेजा का बोयोडा मोती निपजे
(39) तेजाजी के साक्षी : चांद, सूरज व खेजडी वृक्ष
(40) बासग नाग द्वारा वरदान : काला बाला रोग चिकित्सा, घर घर पूजा
(41) तेजाजी देवता : सर्प विष चिकित्सा, कृषि उपकारक, पशुधन तारक
(42) पेमल का आशीर्वाद : पूजा से बस्ती नगर रोग निवारण
(43) तेजाजी की चिकित्सा पद्धति : गौमूत्र, नीमपत्र, काली मिर्च, देशी गाय का घी, देशी गाय के गोबर के कण्डो की भभूत
(44) तेजाजी का ध्वज : चांद, सूरज, नाग, खेजडी वृक्ष युक्त
(45) तेजाजी का भोग : देशी गाय का कच्चा दूध, नारियल, मिश्री
(46) तेजाजी के जागरण की रात व व्रत : भादवा सुदी नवमी हर वर्ष
(47) तेजाजी का शकुन : जागती जोत
(48) तेजाजी का गीत : गाज्यो गाज्यो जेठ आषाढ
(49) तेजाजी के गीत की प्रथम गायिका : लाछां गुर्जरी
(50) तेजाजी के गीत की पुन: रचना : बींजाराम जोशी
(51) तेजाजी का शिलोका : पूनमचन्द सिखवाल
(52) तेजाजी ख्याल : पं. अम्बालाल
(53) भक्ति : सालिगराम
(54) ईष्ट देव : शंकर भगवान
(55) सेवा : गोमाता
(56) कर्म : गोचारण, कृषि, युवराज पद दायित्व
(57) धर्म : गोरक्षा, न्याय, सत्यवाद
(58) तीर्थ : तीर्थराज पुष्कर
(59) वीरगति स्थल : सुरसुरा (अजमेर)
(60) दाह संस्कार स्थल : सुरसुरा (अजमेर)
(61) पेमल का सती स्थल : सुरसुरा (अजमेर)
(62) घोडी का नाम : लीलण
(63) प्रमुख शस्त्र : भाला
(64) सहअस्त्र शस्त्र : ढाल-तलवार, धनुष बाण
(65) रण संग्राम स्थल : मण्डावरिया पहाडी की तलहटी एवं चांग का लीला खुर न्हाल्सा करणाजी की डांग (पाली)
(66) प्रतिपक्षी : चांग के चीतावंशी मेर मीना
(67) मीना का सरदार : कालिया
(68) तेजाजी के साथी : पाँचू, खेता, जेता
(69) पेमल की सखी : लाछां गुर्जरी (चौहान खाँप)
(70) लाछां का गांव : रंगबाडी का वास पनेर (अजमेर)
(71) लाछां के पति : नन्दू गुर्जर
(72) लाछां की निशानी : लाछां बावडी
(73) वाईट मार्बल की तेजा जी की घोड़ी  ( सूपर हिट )  जालसू नानक (काटेड़ी ) डेगाना
(74) तेजाजी महाराज का परम व अनन्य भक्त : आप और हम..........
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जय तेजाजी।।
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धन्यवाद।

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