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गुरुवार, 18 अगस्त 2016

'ऊम' रा दूहा-

आदरजोग धौल़ी ठाकुर साहब राठौड़ उम्मेदसिंहजी 'ऊम' रा दूहा-गिरधरदान रतनू दासोड़ी

    दूहा
मेड़तियो मांटी मरद,
शंभू सुतन सुजाण।
धिन राजै मेवाड़ धर,
मरूधर हँदो माण।।1
मेड़तिया मेवाड़ कज,
बढिया नर चढ वीर।
उण पुरखां रै ऊमसी,
निमल़ चढावै नीर।।2
आद घराणै ऐणरी ,
रही आजलग रीत।
उणनै अडग उम्मेदसी,
पाल़ै उरधर प्रीत।।3
मेड़तियां मेवाड़ रो,
निपट उजाल़़्यो नाम।
सधर वडेरां सीखियो,
ऊमो काम अमाम।।4
वडो वंश ज्यूं नाम वड,
वडा काज वरियाम।
वडपण बातां ऊमरी,
सरबालै सरनाम।।5
ऊजल़ कुल़वट ऊमरी,
ऊजल़ रूक अनूप।
ऊजल़ धौल़ी आजदिन,
राजै रजवट रूप।।6
सिटल़ बगत में सिटल़ग्या,
मन नाही मजबूत।
इल़ धिन धौल़ी ऊमड़ो,
रहै अजै रजपूत।।7
रग रग में रजवट रसै,
सतवट सबद सतोल।
ओ तो जाणै ऊमड़ो,
मही सनातन मोल।।8
विदगां नै रजपूत बिच,
पड़ै न पीढी पेख।
बतल़ावै  बडभ्रात कह,
नर धिन ऊमो नेक।।9
साहित अनै समाज री,
जाझी रखणो जाण।
ओ तो ठाकर ऊमड़ो,
विमल़ उचारै बाण।।10
प्रीत नकोई परहरै,
निपट तजै नीं नीत।
रीत रखै ग्यै राज में,
जो ऊमो जसजीत।।11
आखर आखर ऊमरै,
साकर वाल़ो साव।
भल ठाकर सूं भेटबा,
चारण हर मन चाव।।12
स्नेह मेह मँडियो सरस,
लोर उरड़ झड़ लूम।
धौल़ी वरसै पात धर,
आखर आखर ऊम।।13
ठाकर धौल़ी ठाठ सूं,
आखर लिखिया ऊम।
पढियां मन सैणां प्रसन,
सँकिया सबदां सूम।।14
गिरधरदान रतनू दासोड़ी

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